कुडनकुलम प्लांट के साथ इसरो को भी दी गई थी साइबर सुरक्षा में सेंध लगने की जानकारी

कुडनकुलम प्लांट में लगाई गई सेंध की जानकारी 28 अक्टूबर को तब सामने आई जब एक ऑनलाइन मालवेयर स्कैनिंग सर्विस वायरसटोटल डॉट कॉम पर प्लांट के डाटा को दिखाया गया.

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कुडानकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र. (फोटो: पीटीआई)

कुडनकुलम प्लांट में लगाई गई सेंध की जानकारी 28 अक्टूबर को तब सामने आई जब एक ऑनलाइन मालवेयर स्कैनिंग सर्विस वायरसटोटल डॉट कॉम पर प्लांट के डाटा को दिखाया गया.

कुडानकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र. (फोटो: पीटीआई)
कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: संदिग्ध वायरस से साइबर सुरक्षा में सेंध के बारे में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के कुडनकुलम प्लांट को भी जानकारी दी गई थी.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बीते 3 सितंबर को राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र को अमेरिका स्थित साइबर सिक्योरिटी की कंपनी से खुफिया जानकारी मिली थी कि कुडनकुलम प्लांट और इसरो में किसी वायरस ने सेंध लगाई है. बाद में इस वायरस की पहचान डीट्रैक के रूप में की गई. सूत्रों के अनुसार, एनपीसीआईएल और इसरो को 4 सितंबर को चेतावनी दी गई थी.

बता दें कि, राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र की स्थापना एक मौजूदा परियोजना के तहत मौजूदा और संभावित साइबर सुरक्षा खतरों की आवश्यक स्थितिजन्य जागरूकता उत्पन्न करने और समय पर सूचना साझा करने में सक्षम बनाने के लिए की गई थी.

कुडनकुलम प्लांट में लगाई गई सेंध की जानकारी 28 अक्टूबर को तब सामने आई जब एक ऑनलाइन मालवेयर स्कैनिंग सर्विस वायरसटोटल डॉट कॉम पर प्लांट के डाटा को दिखाया गया.

29 अक्टूबर को कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना (केकेएनपीपी) ने कहा कि संयंत्र के एकमात्र नियंत्रण प्रणाली पर कोई साइबर हमला संभव नहीं था. हालांकि, अगले दिन एनपीसीआईएल ने स्वीकार किया कि प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले इंटरनेट से जुड़े नेटवर्क में एक संक्रमण था और कहा कि इस मामले की जांच डीएई विशेषज्ञों द्वारा तुरंत की गई थी.

यह भी कहा गया, ‘यह नेटवर्क महत्वपूर्ण आंतरिक नेटवर्क से अलग है. नेटवर्क पर लगातार नजर रखी जा रही है. जांच से यह भी पुष्टि होती है कि संयंत्र प्रणाली प्रभावित नहीं हैं.’

इसरो ने इस संबंध में अखबार के कॉल, मैसेज आदि का कोई जवाब नहीं दिया.

हालांकि, सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि खतरे की सूचना मिलने के दौरान विफल चंद्रयान मिशन-2 को छोड़े जाने में 100 मिनट बाकी थे और एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र की सुरक्षा दांव पर थी, जिसके बाद कई एजेंसियों की एक टीम ने तत्काल कार्रवाई की.

23 सितंबर को रूस स्थित साइबर सिक्योरिटी कंपनी कास्परस्की लैब्स के शोधकर्ताओं ने बताया कि भारत में बैंकों और अनुसंधान केंद्रों को लक्षित करने वाली एक डीट्रैक मालवेयर की अंतिम गतिविधि का सितंबर 2019 की शुरुआत में पता लगाया गया था.

कुडनकुलम प्लांट की साइबर सुरक्षा में सेंध लगाने की जानकारी पिछले सप्ताह सार्वजनिक होने के बाद दक्षिण कोरिया स्थित मालवेयर का विश्लेषण करने वाले एक विशेषज्ञ समूह गैर लाभकारी इश्यूमेकर्सलैब ने दावा किया था कि यह वही मालवेयर है जिसने साल 2016 में दक्षिण कोरिया के आंतरिक सैन्य नेटवर्क में सेंध लगाई थी.

इसने 1 नवंबर को दावा किया कि उत्तर कोरिया थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा हासिल करना चाहता है, जो कि यूरेनियम परमाणु ऊर्जा की जगह लेगा. भारत थोरियम परमाणु ऊर्जा तकनीक के मामले में अग्रणी है.