केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेश में नेहरू मेमोरियल म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी के सदस्य कांग्रेस नेताओं- मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और कर्ण सिंह को हटाकर टीवी पत्रकार रजत शर्मा, प्रसून जोशी और राज्यसभा सदस्य स्वामी दासगुप्ता को शामिल किया गया है.
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) सोसाइटी का पुनर्गठन करते हुए इसके नए सदस्यों के नामों की घोषणा की. इसके सदस्यों में से कांग्रेस नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और कर्ण सिंह को हटा दिया गया है.
इनके स्थान पर टीवी पत्रकार रजत शर्मा, प्रसून जोशी और राज्यसभा सदस्य स्वामी दासगुप्ता को शामिल किया गया है.
मंगलवार को जारी एक आदेश के अनुसार, केंद्र सरकार ने एनएमएमएल सोसाइटी का पुनर्गठन किया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके अध्यक्ष और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उपाध्यक्ष हैं.
इसके सदस्यों में केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह, निर्मला सीतारमण, रमेश पोखरियाल, प्रकाश जावड़ेकर, वी. मुरलीधरन और प्रह्लाद सिंह पटेल के अलावा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे, प्रसार भारती के अध्यक्ष ए. सूर्य प्रकाश आदि शामिल हैं.
Govt reconstitutes members of the Nehru Memorial Museum and Library
Top #Congress Faces go missing pic.twitter.com/DyIfyyaQCC— Aditi A (@AditiAnarayanan) November 6, 2019
आदेश में कहा गया है कि इन सदस्यों का कार्यकाल पांच साल के लिए या अगले आदेश तक पहले के अनुरूप होगा. आदेश के अनुसार, अन्य सदस्यों में अनिर्बान गांगुली, सच्चिनानंद जोशी, कपिल कपूर, लोकेश चंद्र, मकरंद प्रान्जपे, किशोर मकवाना, कमलेश जोशीपुरा, रिजवान कादरी शामिल हैं.
किशोर मकवाना गुजरात के एक लेखक हैं, जिन्होंने 2015 में ‘मोदी: कॉमन मैन्स पीएम’ नाम से किताब लिखी थी.
स्क्रॉल डॉट इन की रिपोर्ट के मुताबिक, नई समिति में कुल 28 सदस्य हैं जबकि पिछली समिति में 34 सदस्य थे.
पूर्व संस्कृति सचिव राघवेंद्र सिंह को छह महीने की अवधि के लिए संग्रहालय का निदेशक नियुक्त किया गया है.
नेहरू मेमोरियल म्यूजियन एंड लाइब्रेरी एक स्वायत्त संस्थान है, जिसकी स्थापना संस्कृति मंत्रालय के तहत 1966 में दिल्ली के तीन मूर्ति भवन में की गई थी. यहां नेहरू के निजी दस्तावेजों और स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित अन्य कागजातों को सहेजकर रखा है.
मालूम हो कि 2017 में नयनजोत लाहिड़ी सहित एनएमएमएल के सदस्यों ने तीन मूर्ति भवन परिसर में प्रधानमंत्रियों के लिए समर्पित एक अन्य म्यूजियम की स्थापना की केंद्र सरकार की योजना का विरोध किया था. जुलाई में भी बैठक में सदस्यों ने एक बार फिर इसका विरोध किया था.
देश के सभी प्रधानमंत्रियों के लिए संग्रहालय बनाने के प्रस्ताव की लगातार आलोचना होती रही है. कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि यह नेहरू की विरासत को मिटाने का प्रयास है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अगस्त 2018 में केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि वह तीन मूर्ति परिसर को बाधित न करें.
नवंबर 2018 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्रियों के लिए अलग से संग्रहालय बनाने के फैसले की आलोचना करने वाले एनएमएमएल के उन तीनों सदस्यों को बदल दिया था. विरोध करने वाले प्रोफेसर उदयन मिश्रा, अर्थशास्त्री नितिन देसाई और पूर्व नौकरशाह बीपी सिंह को सोसाइटी से हटा दिया गया था जबकि अकादमिक प्रताप भानु मेहता ने इस्तीफा दे दिया था.
इनके स्थान पर पत्रकार अर्नब गोस्वामी, पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर, आईसीसीआर प्रमुख विनय सहस्रबुद्धे और इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर ऑफ आर्ट्स के चेयरमैन राम बहादुर राय को समिति में शामिल किया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)