अयोध्या में विवादित भूमि को लेकर अगले सप्ताह सुनाए जाने की संभावना है, क्योंकि चीफ जस्टिस रंजन गोगाई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. पूरे राज्य सहित 78 बड़े स्टेशनों तथा ट्रेनों में चौकसी बढ़ा दी है. अर्द्धसैनिक बलों के करीब 4,000 जवानों को भेजा गया है.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजेआई) रंजन गोगोई ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर फैसला सुनाए जाने से पहले शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से मुलाकात की.
गोगोई ने मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी और पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह से राज्य में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया. इस दौरान राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए किए गए बंदोबस्त से चीफ जस्टिस को अवगत कराया गया.
सूत्रों ने बताया कि चीफ जस्टिस के चैंबर में करीब एक घंटे यह बैठक चली.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान- में बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर 40 दिन तक लगातार सभी पक्षों की दलीलें सुनी.
पीठ ने 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा.
इस मामले में फैसला अगले सप्ताह सुनाए जाने की संभावना है, क्योंकि चीफ जस्टिस 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर शामिल हैं.
केंद्र और राज्य की सरकारें अयोध्या मामले पर फैसले को लेकर बीते कुछ दिनों से कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने की दिशा में काम कर रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पार्टी नेताओं से किसी भी तरह के भड़काऊ बयान नहीं देने का आदेश दिया है.
सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपनी मंत्रिपरिषद के साथ अयोध्या मुद्दे पर चर्चा की थी. उन्होंने अपने मंत्रियों से इस विषय पर अनावश्यक बयान देने से बचने और देश में सौहार्द कायम रखने को कहा था.
दोनों समुदायों के नेताओं ने भी किसी भी तरह के फैसले के मद्देनजर शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है.
उधर, विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए पत्थर तराशने का काम 1990 से पहली बार रोका है. विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि सभी कारीगर अपने-अपने घर लौट गए हैं. उन्होंने कहा कि पत्थर तराशने का काम रोकने का फैसला विहिप के शीर्ष नेतृत्व द्वारा लिया गया.
अर्द्धसैनिक बलों के करीब 4,000 जवान उत्तर प्रदेश भेजे गए
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर कड़ी नजर बनाए रखने को कहा है.
सुरक्षा तैयारियों के तहत केंद्र ने अर्द्धसैनिक बलों के करीब 4,000 जवानों को उत्तर प्रदेश भेजा है. साथ ही रेलवे पुलिस ने अपने कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं और 78 बड़े स्टेशनों तथा ट्रेनों में चौकसी बढ़ा दी है.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एक आम परामर्श जारी किया गया है, जिसमें उन्हें सभी संवेदनशील इलाकों में पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात करने को कहा गया है.
इसमें कहा गया है कि नेता लोगों से भड़काऊ टिप्पणी नहीं करने या अफवाह नहीं फैलाने की एक बार फिर से अपील करें.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को सभी राज्यों को भेजी सामान्य एडवाइजरी में कहा है कि वे किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति न बनने दें.
दिल्ली में गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय ने खासतौर पर अयोध्या में कानून व्यवस्था कायम रखने में उप्र सरकार की मदद के लिये अर्द्धसैनिक बलों की 40 कंपनियां राज्य में भेजी हैं. एक कंपनी में करीब 100 कर्मी होते हैं.
वहीं, अयोध्या में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अगले सप्ताह बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के उमड़ने की संभावना है और स्थानीय प्रशासन शांति सुनिश्चित करने के लिये कमर कस रहा है.
लाखों श्रद्धालुओं के 12 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा स्नान के अवसर पर अयोध्या आने की संभावना है.
यह पूछे जाने पर कि क्या न्यायालय के फैसले के मद्देनजर अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या धीरे-धीरे कम की जाएगी, इस पर फैजाबाद के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने कहा, ‘नहीं, श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन के लिए अयोध्या आते रहेंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)