अयोध्या मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के पांच जज कौन हैं?

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ आज ऐतिहासिक फैसला सुनाएगी. इस पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

New Delhi: A group photo of the five-judge bench comprised of Chief Justice of India Ranjan Gogoi (C) flanked by (L-R) Justice Ashok Bhushan, Justice Sharad Arvind Bobde, Justice Dhananjaya Y Chandrachud, Justice S Abdul Nazeer after delivering the verdict on Ayodhya land case, at Supreme Court in New Delhi, Saturday, Nov. 9, 2019. (PTI Photo) (PTI11_9_2019_000298B)

राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद ज़मीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ फैसला सुना दिया है. इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर शामिल हैं.

New Delhi: A group photo of the five-judge bench comprised of Chief Justice of India Ranjan Gogoi (C) flanked by (L-R) Justice Ashok Bhushan, Justice Sharad Arvind Bobde, Justice Dhananjaya Y Chandrachud, Justice S Abdul Nazeer after delivering the verdict on Ayodhya land case, at Supreme Court in New Delhi, Saturday, Nov. 9, 2019. (PTI Photo) (PTI11_9_2019_000298B)
अयोध्या मामले की सुनवाई करने वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (बीच में) जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर (बाएं से दाएं) शामिल थे. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः अयोध्या में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट शनिवार को फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि जमीन विवाद पर अपना फैसला सुना दिया है. विवादित जमीन पर मुस्लिम पक्ष का दावा ख़ारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने हिंदू पक्ष को जमीन देने को कहा है.

इस फैसले की संवेदनशीलता को देखते हुए देशभर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. उत्तर प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गई है. छह अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में 40 दिनों तक इस मामले की रोजाना सुनवाई चलती रही, अदालत ने हफ्ते में पांच दिन इस मामले को सुना. आखिरी कुछ दिनों में सुनवाई का वक्त एक घंटे के लिए बढ़ा दिया गया था.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कर रहे हैं पीठ की अगुवाई

जमीन विवाद मामले में पांच जजों की पीठ की अगुवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कर रहे हैं. उन्होंने तीन अक्टूबर 2018 को बतौर मुख्य न्यायाधीश पदभार ग्रहण किया था. वह देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश हैं.

18 नवंबर, 1954 को जन्मे जस्टिस रंजन गोगोई ने 1978 में बार काउंसिल ज्वॉइन की थी. उन्होंने शुरुआत गुवाहाटी हाईकोर्ट से की. वे 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट में जज भी बने.

इसके बाद वह 2010 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में बतौर जज नियुक्त हुए. 2011 में वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने.

23 अप्रैल, 2012 को जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के जज बने.

उन्होंने बतौर मुख्य न्यायाधीश अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण मामलों को सुना है, जिसमें अयोध्या मामला, असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), जम्मू कश्मीर से संबंधित याचिकाएं शामिल हैं.

जस्टिस गोगोई उस समय विवादों में आए, जब एक महिला ने उन पर यौन शोषण का आरोप लगाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आरोप को निराधार बताया.

जस्टिस गोगोई आने वाले  17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.

जस्टिस शरद अरविंद बोबडे

जस्टिस शरद अरविंद (एसए) बोबडे 17 नवंबर को जस्टिस गोगोई के रिटायर होने के बाद देश के 47वें मुख्य न्यायाधीश का पद्भार सभांलेंगे. वह सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठता के क्रम में दूसरे स्थान पर हैं.

जस्टिस बोबडे 12 अप्रैल 2013 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे. अयोध्या जमीन मामले के अलावा उन्होंने आधार, निजता का अधिकार, आर्थिक रूप से पिछले लोगों के लिए आरक्षणऔर अनुच्छेद 370 जैसे कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की है.

1978 में वह बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र में शामिल हुए थे. इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस की. वह 1998 में वरिष्ठ वकील भी बने.

साल 2000 में उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में बतौर एडिशनल जज पदभार ग्रहण किया. इसके बाद वह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और 2013 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कमान संभाली.

जस्टिस एसए बोबडे 23 अप्रैल, 2021 को रिटायर होंगे.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

इलाहाबाद हाईकोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुए थे. बतौर जज नियुक्त होने से पहले वह देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं.

वह सबरीमाला, भीमा-कोरेगांव, समलैंगिकता समेत कई बड़े मामलों में पीठ का हिस्सा रह चुके हैं.

उनके पिता जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ भी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी और एलएलएम की डिग्री प्राप्त की है. जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल 2024 तक है.

जस्टिस अशोक भूषण

जस्टिस अशोक भूषण का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था. वह साल 1979 में यूपी बार काउंसिल का हिस्सा बने, जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत शुरू की.

इसके अलावा उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कई पदों पर काम किया और 2001 में बतौर जज नियुक्त हुए.

2014 में वह केरल हाईकोर्ट के जज नियुक्त हुए और 2015 में  वह केरल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने. 13 मई 2016 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कार्यभार संभाला.

जस्टिस भूषण आधार कार्ड को पैन कार्ड से लिंक करने की अनिवार्यता पर आंशिक रोक लगाने का आदेश देने वाली पीठ का हिस्सा भी थे.

जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर

जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर ने 20 सालों तक कर्नाटक हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की. उन्हें 2003 में कर्नाटक हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया.

वह 17 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्त हुए.

अयोध्या मामले की बेंच में शामिल जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने 1983 में वकालत की शुरुआत की.

उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की, इसके बाद में वहां बतौर एडिशनल जज और परमानेंट जज के तौर पर कार्य किया. 17 फरवरी, 2017 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कार्यभार संभाला.

वह जनवरी 2023 तक सुप्रीम कोर्ट में बने रहेंगे.

अयोध्या मामले की सुनवाई में जस्टिस नज़ीर ने ही कहा था कि इस मामले की सुनवाई एक बड़ी पीठ को करनी चाहिए. जस्टिस नज़ीर उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने तीन तलाक की संवैधानिक वैधता के मामले पर फैसला सुनाया था.