बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि ज़मीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के वकील ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा कि वे वकीलों से बात करने के बाद पुनर्विचार याचिका दायर करने के बारे में निर्णय लेंगे.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि ज़मीन विवाद में विवादित ज़मीन हिंदू पक्ष को देने के फैसले के बाद मामले के मुस्लिम पक्षकार सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के वकील ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा कि वे इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं लेकिन वे इसका सम्मान करते हैं.
मीडिया से बात करते हुए जिलानी ने कहा कि वे आगे की कार्रवाई के लिए बातचीत करके निर्णय लेंगे. बता दें कि शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अपने फैसले में विवादित जमीन पर मुस्लिम पक्ष का दावा ख़ारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने हिंदू पक्ष को जमीन देने को कहा है.
"The judgement is not satisfactory but we respect it. We will have discussions and then decide further course of action": Zafaryab Jilani, Sunni Waqf Board Lawyer#AyodhyaVerdict pic.twitter.com/OVR11zg3lW
— NDTV (@ndtv) November 9, 2019
अदालत ने यह भी कहा कि रामजन्मभूमि न्यास को 2.77 एकड़ ज़मीन का मालिकाना हक़ मिलेगा. वहीं, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को अयोध्या में ही पांच एकड़ ज़मीन दी जाएगी. साथ ही मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाना होगा और इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़ा का एक सदस्य शामिल होगा.
जिलानी ने कहा, ‘अदालत का फैसला हमारी उम्मीदों के मुताबिक संतोषजनक नहीं है. हम इससे संतुष्ट नहीं हैं, खासकर इस पहलू से कि मस्जिद की जमीन और अंदर के प्रांगण की जमीन जहां नमाज पढ़ी जाया करती थी, वे दूसरे पक्ष को दे दी गई हैं. हम इसे न त्रुटि मान सकते हैं न न्याय मान सकते हैं. इसका जो भी क़ानूनी हल होगा हम इसके बारे में पूरा फैसला पढ़ने के बाद बताएंगे.’
उन्होंने आगे कहा कि फैसले में अदालत ने जो बातें कही हैं, उनमें से कुछ देश के भविष्य के लिए फायदेमंद हैं. हम उन सबकी आलोचना नहीं कर रहे हैं. उन्होंने मस्जिद के लिए पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन देने को लेकर कहा कि मस्जिद की कोई कीमत नहीं हो सकती.
जिलानी ने कहा कि यह मुकदमा किसी की जीत और हार नहीं है और सभी को शांति बनाए रखनी चाहिए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)