पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और असम सरकार को निर्देश दिया था कि असम के पूर्व एनआरसी समन्वयक प्रतीक हजेला को सात दिनों में उनके मूल राज्य मध्य प्रदेश स्थानांतरित कर दिया जाए.
नई दिल्ली: असम सिविल सेवा अधिकारी हितेश देव शर्मा को शनिवार को राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का राज्य समन्वयक नियुक्त किया गया. उन्हें प्रतीक हजेला के स्थान पर यह दायित्व सौंपा गया है.
हजेला ने उच्चतम न्यायालय की निगरानी में 31 अगस्त को एनआरसी का अंतिम संस्करण प्रकाशित किया था.
एक आधिकारिक आदेश में कहा गया कि देव शर्मा को गृह एवं राजनैतिक विभाग का सचिव, एनआरसी का राज्य समन्वयक और एनआरसी निदेशालय का प्रभारी बनाया गया है. इससे पहले शहरी विकास और वित्त विभागों के सचिव के रूप में कार्य कर रहे शर्मा सोमवार को पदभार ग्रहण कर सकते हैं.
उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार हजेला को उनके गृह राज्य मध्य प्रदेश में स्थानांतरित कर दिया गया है. वह एनआरसी के राज्य समन्वयक का पदभार 11 नवंबर को छोड़ेंगे.
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और असम सरकार को 18 अक्टूबर को निर्देश दिया था कि हजेला को सात दिनों में उनके मूल राज्य मध्य प्रदेश स्थानांतरित कर दिया जाए. हालांकि न्यायालय ने तबादला करने का स्पष्ट कारण नहीं दिया था, लेकिन ऐसा बताया जा रहा है कि प्रतीक हजेला की जान को खतरा है, जिसके बाद यह फैसला लिया गया.
हालांकि, इसके बाद केंद्र सरकार ने 24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके हजेला को मध्य प्रदेश स्थानांतरित करने संबंधी औपचारिकताएं पूरी करने की समयसीमा बढ़ाने का समय मांगा था.
सूत्रों के अनुसार, शीर्ष अदालत के आदेश के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति पहले ही असम-मेघालय कैडर से मध्य प्रदेश कैडर में हज़ेला के तीन वर्ष के अंतर-कैडर प्रतिनियुक्ति के लिए केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे चुकी है.
असम सरकार ने भी कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि उसे हजेला को स्थानांतरित करने में कोई आपत्ति नहीं है.
गौरतलब है कि अद्यतन एनआरसी हजेला के कार्यकाल में प्रकाशित की गई थी जिसमें 19 लाख व्यक्तियों के नाम नहीं थे. एनआरसी में नाम शामिल करने के लिए 3,30,27,661 व्यक्तियों ने आवेदन किया था. इनमें से 3,11,21,004 लोगों को इसमें शामिल किया गया है जबकि 19,06,657 को इससे बाहर रखा गया.
अब देव शर्मा के पास बड़ी चुनौती है क्योंकि जिनका नाम एनआरसी में नहीं है, उनके पास 120 दिन के भीतर इसके खिलाफ विदेशी न्यायाधिकरण में जाने का विकल्प है. अधिकरण के फैसले से संतुष्ट नहीं होने पर वे उच्च और उच्चतम न्यायालय में जा सकते हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)