केरल: आज खुलेगा सबरीमाला मंदिर, सरकार ने महिलाओं को सुरक्षा उपलब्ध कराने से किया इनकार

केरल में स्थित सबरीमाला मंदिर के कपाट आज शाम 5 बजे के आसपास खोले जाएंगे. सुरक्षा की दृष्टि से भगवान अयप्पा के मंदिर में और उसके आस-पास 10 हजार से अधिक सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है.

Sabarimala: Devotees enter the Sabarimala temple as it opens amid tight security, in Sabarimala, Friday, Nov. 16, 2018. (PTI Photo) (Story no. MDS18) (PTI11_16_2018_000138B)
Sabarimala: Devotees enter the Sabarimala temple as it opens amid tight security, in Sabarimala, Friday, Nov. 16, 2018. (PTI Photo) (Story no. MDS18) (PTI11_16_2018_000138B)

केरल में स्थित सबरीमाला मंदिर के कपाट आज शाम 5 बजे के आसपास खोले जाएंगे. सुरक्षा की दृष्टि से भगवान अयप्पा के मंदिर में और उसके आस-पास 10 हजार से अधिक सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है.

Sabarimala: Devotees enter the Sabarimala temple as it opens amid tight security, in Sabarimala, Friday, Nov. 16, 2018. (PTI Photo) (Story no. MDS18) (PTI11_16_2018_000138B)
(फोटो: पीटीआई)

सबरीमाला (केरल): कड़ी सुरक्षा के बीच, केरल के सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा मंदिर दो महीने के तीर्थयात्रा सीजन के लिए शनिवार शाम को खुल जाएगा. राज्य की माकपा नीत एलडीएफ सरकार सभी के लिए निर्बाध तीर्थ यात्रा सुनिश्चित करने की तैयारी कर रही है.

हालांकि, सरकार ने 10-50 आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर तक पहुंचने के लिए पुलिस सुरक्षा नहीं देने का फैसला किया है.

भगवान अयप्पा मंदिर में प्रवेश करने वाली महिला कार्यकर्ताओं को पुलिस सुरक्षा प्रदान किये जाने संबंधी खबरों को खारिज करते हुए सुरेंद्रन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले को ले कर ‘कुछ भ्रम’ है और सबरीमाला मंदिर जाने की इच्छुक महिलाओं को ‘अदालत का आदेश’ लेना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को इस मामले पर फैसला देते हुए इसे बड़ी पीठ को सौंपने का निर्णय किया है, इसी परिप्रेक्ष्य में संवाददाताओं के पूछे गए सवाल का जवाब सुरेंद्रन दे रहे थे.

मंत्री ने कहा, ‘सबरीमाला आंदोलन करने वालों के लिए स्थान नहीं है. कुछ लोगों ने संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर मंदिर में प्रवेश करने की घोषणा की है. वे लोग केवल प्रचार के लिए ऐसा कर रहे हैं. सरकार इस तरह की चीजों का समर्थन नही करेगी.’

कुछ कार्यकर्ताओं के इस कथन के बारे में पूछे जाने पर कि शीर्ष अदालत ने 28 सितंबर 2018 के फैसले पर रोक नहीं लगायी है, मंत्री ने कहा, ‘वे लोग शीर्ष अदालत का रूख कर सकते हैं और वहां से आदेश लेकर आयें और मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘आदेश में अब भी कुछ भ्रम है. सरकार कानूनी विशेषज्ञों की राय लेगी.’

कंदरारू महेश मोहनारारू गर्भगृह को खोलेंगे और पूजा करेंगे.

एक के. सुधीर नंबूदिरी सबरीमाला मेलशांति और एमएस परमेश्वरन नंबुदिरी मलिकापुरम मेलशांति के रूप में कार्यभार संभालेंगे. पदी पूजा के बाद तीर्थयात्रियों को 18 पवित्र सीढ़ियों पर चढ़ने और दर्शन करने की अनुमति होगी.

राज्य के पथनमथिट्टा जिले के पश्चिमी घाट में एक आरक्षित वन में स्थित पहाड़ी मंदिर के कपाट आज शाम 5 बजे के आसपास खोले जाएंगे. आज से दो महीने तक चलने वाला मंडलम मकरविलक्कू का सीजन शुरू हो रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इस सीजन के शुरू होने के साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से भगवान अयप्पा के मंदिर में और उसके आस-पास 10 हजार से अधिक सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है.

केरल और पड़ोसी राज्यों के विभिन्न हिस्सों से भक्तों ने निलक्कल और पंबा में पहुंचना शुरू कर दिया है, लेकिन उन्हें दोपहर 2 बजे तक ही मंदिर के लिए रवाना होने दिया जाएगा.

पिछले साल एलडीएफ सरकार ने 28 सितंबर, 2018 को उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करने का फैसला किया था, जिसमें सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में पूजा करने की इजाजत दी गई है. फैसले के बाद राज्य भर में और मंदिर के आस-पास दक्षिणपंथी संगठनों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था.

सदियों से 10 से 50 वर्ष के रजस्वला उम्र वाली महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने पर रोक लगी थी.

इस साल, शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपना फैसला नहीं सुनाते हुए मामले को सात जजों की एक बड़ी संविधान पीठ के पास भेज दिया, लेकिन सरकार पूरी सतर्कता बरत रही है.

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने बहुमत के निर्णय से सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के 2018 के फैसले पर पुनर्विचार की याचिका के साथ ही मुस्लिम और पारसी महिलाओं के साथ कथित रूप से भेदभाव करने वाले अन्य विवादास्पद मुद्दों को फैसले के लिये बृहस्पतिवार को सात सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा लिए गए बहुमत के निर्णय में पुनर्विचार याचिकायें सात न्यायाधीशों की पीठ के लिये लंबित रखीं और 28 सितंबर, 2018 के बहुमत के फैसले पर रोक नहीं लगायी जो सभी आयु वर्ग की महिलाओं को इस धर्मस्थल की तीर्थयात्रा की अनुमति देता है.

बता दें कि, केरल के सबरीमाला मंदिर में दो महिलाओं के प्रवेश के बाद चल रहे विरोध में इस साल अप्रैल में 1,369 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. मंदिर में महिलाओं के प्रवेश करने के बाद से राज्य में स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी और कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए थे.

मामले में 1369 लोगों की गिरफ्तारी के अलावा 717 लोगों को हिरासत में लिया गया था और 801 केस भी दर्ज किए गए थे. उस दौरान हुई हिंसा में राज्य में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे जिसमें 21 पुलिसकर्मी भी शामिल थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)