एफसीआरए उल्लंघन को लेकर एमनेस्टी पर मामला दर्ज कर सीबीआई ने दिल्ली और बेंगलुरु में की छापेमारी

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कहा कि पिछले एक वर्ष के दौरान जब भी एमनेस्टी इंडिया भारत में मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ खड़ा हुआ है और बोला है तब उसे उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है.

/
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया का बेंगलुरु स्थित दफ़्तर. (फोटो: पीटीआई)

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कहा कि पिछले एक वर्ष के दौरान जब भी एमनेस्टी इंडिया भारत में मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ खड़ा हुआ है और बोला है तब उसे उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया का बेंगलुरु स्थित दफ़्तर. (फोटो: पीटीआई)
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया का बेंगलुरु स्थित दफ़्तर. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/बेंगलुरु: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 36 करोड़ रुपये के विदेशी चंदे के संबंध में कानूनों के कथित उल्लंघन को लेकर शुक्रवार को एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और उसके तीन सहयोगी संस्थाओं के खिलाफ मामला दर्ज किया.

मामला दर्ज करने के बाद सीबीआई ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और बेंगलुरु में चार स्थानों पर तलाशी की.

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के एक प्राधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि सीबीआई के करीब छह अधिकारी सुबह करीब साढ़े आठ बजे बेंगलुरु कार्यालय पहुंचे और शाम पांच बजे तक छापेमारी की.

अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्रालय की शिकायत के बाद सीबीआई ने मामला दर्ज किया. गृह मंत्रालय ने विदेशी चंदा विनियमन कानून (एफसीआरए) 2010 और आईपीसी के प्रावधानों के कथित उल्लंघन को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी.

यह मामला एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एआईआईपीएल), इंडियंस फोर एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट (आईएआईटी), एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (एआईआईएफटी), एमनेस्टी इंटरनेशनल साउथ एशिया फाउंडेशन (एआईएसएएफ) और अन्य के खिलाफ दर्ज किया गया था.

अधिकारियों ने बताया, ‘आरोप है कि उपरोक्त निकायों ने एआईआईपीएलके माध्यम से एमनेस्टी इंटरनेशनल यूके से विदेशी चंदा हासिल कर एफसीआरए और आईपीसी का उल्लंघन किया जबकि एफसीआरए के तहत एआईआईएफटी और अन्य न्यासों को पंजीकरण या अनुमति से मना कर दिया गया था.’

तलाशी के बाद एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कहा कि पिछले एक वर्ष के दौरान जब भी एमनेस्टी इंडिया भारत में मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ खड़ा हुआ है और बोला है तब उसे उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है.

एमनेस्टी ने एक बयान में कहा, ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कानून का पूर्ण पालन करता है. भारत में और अन्य स्थान पर हमारा काम सार्वभौमिक मानवाधिकार को बरकरार रखना और उसके लिए संघर्ष करना है. ये वही मूल्य हैं जो भारतीय संविधान में सन्निहित हैं और बहुलवाद, सहिष्णुता एवं असहमति की एक लंबी और समृद्ध भारतीय परंपरा से प्रवाहित होते हैं.’

करीब एक वर्ष पहले प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी मुद्रा उल्लंघन मामले के सिलसिले में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यालय पर छापेमारी की थी.

छापेमारी गृह मंत्रालय द्वारा 2010 में एनजीओ का विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस निरसन के एक पूर्ववर्ती मामले से संबंधित विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नियमों के कथित उल्लंघन के सिलसिले में थी.

गृह मंत्रालय की ओर से सीबीआई में की गई शिकायत के अनुसार एआईआईपीएल एक गैर लाभकारी संगठन है. उल्लेख करने वाली बात है कि लंदन स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल चार कंपनियों के माध्यम से काम करता है जिनका सीबीआई ने इस मामले में उल्लेख किया है.

आरोप है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के तहत 10 करोड़ रुपये एमनेस्टी इंडिया में उसके लंदन कार्यालय से आए और गृहमंत्रालय की अनुमति नहीं ली गई. फिर 26 करोड़ रुपये एमनेस्टी इंडिया में ब्रिटेन स्थित निकायों से आये.
गृह मंत्रालय ने कहा, ‘ये सारे पैसे एफसीआरए का उल्लंघन करते हुए एमनेस्टी की एनजीओ गतिविधियों पर खर्च किए गये.’

आरोप है कि एमनेस्टी ने एफसीआरए के तहत पूर्वानुमति या पंजीकरण हासिल करने के लिए कई प्रयास किए और जब असफल हो गये तब उसने एफसीआरए से बचने के लिए वाणिज्यिक तरीका अपनाया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)