कांग्रेस, द्रमुक और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने नेशनल कान्फ्रेंस के नेता फ़ारूक़ अब्दुल्ला को जनसुरक्षा क़ानून के तहत हिरासत में रखे जाने का विरोध करते हुए लोकसभा अध्यक्ष से उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश देने का अनुरोध किया.
नई दिल्ली: नेशनल कान्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला को श्रीनगर में हिरासत में रखे जाने का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस, द्रमुक और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने लोकसभा में सरकार पर निशाना साधा.
उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से सरकार को अब्दुल्ला को तत्काल रिहा करने का आदेश देने का अनुरोध भी किया. इस मुद्दे पर विरोध जताते हुए कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया.
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा की बैठक शुरू होते ही कांग्रेस, नेशनल कान्फ्रेंस, द्रमुक और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस विषय पर हंगामा शुरू कर दिया. उनके साथ ही शिवसेना के सदस्य महाराष्ट्र में किसानों के मुद्दे पर नारेबाजी कर रहे थे.
कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के निकट पहुंच गए. उन्होंने ‘फारूक अब्दुल्ला को वापस लाओ’ और ‘लोकतंत्र की हत्या बंद करो’ के नारे लगाए.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल चलाना शुरू किया. उन्होंने इस दौरान विपक्षी सदस्यों से अपनी सीटों पर जाने का आग्रह करते हुए कहा कि वह हर विषय पर चर्चा को तैयार हैं और सदन में नारेबाजी नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘सदन सबकी सहमति से चलता है, सभी सदस्य सदन की गरिमा बनाये रखें.’ सदन में नारेबाजी के बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है. कार्य मंत्रणा समिति में जो मुद्दे तय होंगे उन पर नियमों के अनुसार चर्चा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खुद इस बारे में आश्वासन दिया है.
प्रश्नकाल में कांग्रेस, द्रमुक, नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्य आसन के समीप नारेबाजी करते रहे. प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद अध्यक्ष ने कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी को उनकी बात रखने का मौका दिया.
इस दौरान हंगामा कर रहे सदस्य अपनी सीटों पर जाकर बैठ गये. सदन में कांग्रेस के नेता चौधरी ने कहा कि गत पांच अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह ने सदन को आश्वासन दिया था कि फारूक अब्दुल्ला को हिरासत में नहीं लिया गया है और उनकी सेहत खराब है. लेकिन वह 108 दिन से हिरासत में हैं.
चौधरी ने मांग की कि नेशनल कान्फ्रेंस नेता अब्दुल्ला को तत्काल रिहा कर सदन में लाया जाए. उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश के सांसदों को कश्मीर जाने की इजाजत नहीं है और पार्टी नेता राहुल गांधी को श्रीनगर हवाईअड्डे पर रोक लिया गया लेकिन यूरोपीय सांसदों को कश्मीर आने की इजाजत दे दी गयी.
चौधरी ने आरोप लगाया, ‘यह सभी सांसदों का अपमान है. सरकार जम्मू कश्मीर को आंतरिक मामला बताती है लेकिन उसने इसे अंतरराष्ट्रीय मामला बना दिया.’ चौधरी ने इस विषय पर सदन में चर्चा की भी मांग की.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि जब गृह मंत्री ने सदन में कहा था कि फारूक अब्दुल्ला को हिरासत में नहीं लिया गया है तो यह बात सत्य थी क्योंकि तब तक सदन को उनके हिरासत में रखे जाने की कोई सूचना नहीं थी.
द्रमुक के टीआर बालू ने भी सवाल किया कि सरकार ने अब्दुल्ला को किस कानून के तहत हिरासत में लिया? नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला 5 अगस्त को भी हिरासत में थे, इस बात के सबूत हैं.
उन्होंने कहा कि वह न्यायिक हिरासत में नहीं हैं, बल्कि जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत एहतियातन हिरासत में है. इसलिए लोकसभा अध्यक्ष सरकार को उन्हें रिहा करने का आदेश दे सकते हैं और उनका प्रतिनिधित्व सदन में सुनिश्चित कर सकते हैं.
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि अब्दुल्ला 83 साल के हैं और वरिष्ठ सदस्य हैं. उन्हें 108 दिन से हिरासत में रखने का सरकार ने कोई कारण नहीं बताया है. उन्होंने मांग की कि अध्यक्ष सरकार को अब्दुल्ला को तत्काल रिहा करने का निर्देश दें.
अध्यक्ष बिरला ने कहा कि सभी दलों के नेता आज होने वाली कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में इस विषय पर लंबी चर्चा का सुझाव दे सकते हैं और वह सरकार से इसके लिए आग्रह करेंगे.
इस विषय पर असंतोष जताते हुए कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया. इससे पहले शिवसेना के सदस्यों ने भी वाकआउट किया.