श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में गोटबाया राजपक्षे ने सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार सजित प्रेमदास को हराया था. इसके बाद निवर्तमान प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
कोलंबो: श्रीलंका के नए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने बुधवार को अपने भाई महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री नामित किया. इससे पहले श्रीलंका के निवर्तमान प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी.
समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया कि वह विक्रमसिंघे द्वारा गुरुवार को औपचारिक रूप से इस्तीफा देने के बाद पदभार संभाल लेंगे. महिंदा इस समय मुख्य विपक्षी नेता हैं. वे अगस्त 2020 में होने वाले आम चुनाव तक कार्यवाहक कैबिनेट के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करेंगे.
‘कोलंबो गजट’ अखबार के मुताबिक, एक विशेष बयान में विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने मंगलवार को राष्ट्रपति राजपक्षे से मुलाकात की और श्रीलंका की संसद के भविष्य पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि संसद में उनकी सरकार को अभी भी बहुमत है लेकिन उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में राजपक्षे को मिले जनादेश का सम्मान करने और पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है.
16 नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव में राजपक्षे की जीत के बाद विपक्षी खेमे से उनके इस्तीफे को लेकर दबाव बनाया जा रहा था. राजपक्षे ने राष्ट्रपति चुनाव में सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार सजित प्रेमदास को हराया था.
10 साल पहले अपने भाई और तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व में तमिल अलगाववादियों की सैन्य हार की निगरानी करने वाले राजपक्षे ने 22 मिलियन लोगों के द्वीप को सुरक्षित करने के लिए मजबूत नेतृत्व का वादा किया है, जिनमें से अधिकांश सिंहली बौद्ध हैं.
तमिल राजनीतिक दल राजपक्षे के प्रबल विरोधी हैं जिन्होंने 2009 में अलगाववादियों के खिलाफ युद्ध के अंतिम चरण में नागरिकों के व्यापक मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों का सामना किया है. हालांकि, राजपक्षे और उनके भाई आरोपों से इनकार करते हैं.
दूसरे बड़े अल्पसंख्यक समूह, मुसलमानों का कहना है कि उन्हें भी अप्रैल में होटलों और चर्चों पर हुए हमले के बाद से दुश्मनी का सामना करना पड़ा है जिसमें 250 से अधिक लोग मारे गए थे. हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी.
गौरतलब है कि 26 अक्टूबर 2018 को तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना ने विवादास्पद कदम के तहत महिंदा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. इस कदम के बाद देश में असाधारण संवैधानिक संकट पैदा हो गया था. उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद दिसंबर में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.
महिंदा 2005 में चुनाव जीते थे और श्रीलंका में सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाले नेता बन गए थे. महिंदा 24 साल की उम्र में 1970 में देश के सबसे युवा सांसद बन गए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)