कश्मीर में लगी पाबंदियों पर उठे हर सवाल का जवाब दे प्रशासन: सुप्रीम कोर्ट

कश्मीर में लगी पाबंदी पर याचिका दाखिल करने वालों की ओर से पेश एक वकील ने प्रतिदिन हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बावजूद हांगकांग हाईकोर्ट द्वारा प्रदर्शनकारियों पर से सरकारी प्रतिबंध हटा लेने का उदाहरण दिया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों को बनाए रखने में भारत का सर्वोच्च न्यायालय कहीं अधिक श्रेष्ठ है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

कश्मीर में लगी पाबंदी पर याचिका दाखिल करने वालों की ओर से पेश एक वकील ने प्रतिदिन हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बावजूद हांगकांग हाईकोर्ट द्वारा प्रदर्शनकारियों पर से सरकारी प्रतिबंध हटा लेने का उदाहरण दिया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों को बनाए रखने में भारत का सर्वोच्च न्यायालय कहीं अधिक श्रेष्ठ है.

A deserted road in Srinagar on Monday. Restrictions were in force across Kashmir and in several parts of Jammu. (REUTERS/Danish Ismail)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को जम्मू कश्मीर प्रशासन से कहा कि उसे पूर्ववर्ती राज्य से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद वहां लगाए गए प्रतिबंधों के बारे में हर सवाल का जवाब देना होगा.

जस्टिस एनवी रमन के नेतृत्व वाली पीठ ने प्रशासन की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में व्यापक पैमाने पर तर्क दिए गए हैं और उन्हें सभी सवालों का जवाब देना होगा. पीठ में जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई भी शामिल हैं.

पीठ ने कहा, ‘मिस्टर मेहता, आपको याचिकाकर्ताओं के हर सवाल का जवाब देना होगा जिन्होंने विस्तार में तर्क दिए हैं. आपके जवाबी हलफनामे से हमें किसी नतीजे पर पहुंचने में कोई मदद नहीं मिली है. यह संदेश न दें कि आप इस मामले पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहे हैं.’

मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने प्रतिबंधों पर जो भी बात कही है, वह ज्यादातर ‘गलत’ है और अदालत में बहस के दौरान वह हर बात का हर पहलू से जवाब देंगे.

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि उनके पास मामले की स्थिति रिपोर्ट है लेकिन उन्होंने अभी वह अदालत में दाखिल नहीं की है क्योंकि जम्मू कश्मीर में हर रोज हालात बदल रहे हैं तथा रिपोर्ट दाखिल करने के समय वह एकदम वास्तविक हालात का ब्योरा देना चाहते हैं.

मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने कहा, ‘हम जम्मू कश्मीर के मामले में किसी हिरासती मामले की सुनवाई नहीं कर रहे हैं. हम इस समय दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं जो अनुराधा भसीन और गुलाम नबी आजाद ने दायर की हैं. ये आवाजाही की स्वतंत्रता और प्रेस आदि से जुड़ी हैं.’

इसके साथ ही पीठ ने कहा कि केवल एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लंबित है जो कि एक कारोबारी की हिरासत के खिलाफ है क्योंकि याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के साथ ही जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में भी यह याचिका दाखिल की थी.

पीठ ने कहा, ‘अब उन्होंने उच्च न्यायालय से याचिका वापस ले ली है और यहां दाखिल याचिका लंबित है.’

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं ओर से पेश हुईं वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने चेहरे पर मास्क पहनने वाले प्रदर्शनकारियों पर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को हटाने के हांगकांग हाईकोर्ट के आदेश का उल्लेख किया. उन्होंने कहा, ‘हमने कश्मीर में जितनी देखी, हांगकांग की स्थिति इससे कहीं ज्यादा खराब थी. वहां रोज विरोध प्रदर्शन हो रहे थे.’

इस पर जस्टिस रमन ने कहा, ‘नागरिकों के मौलिक अधिकारों को बनाए रखने में भारत का सर्वोच्च न्यायालय कहीं अधिक श्रेष्ठ है.’

इसके बाद, जस्टिस गवई ने अरोड़ा से पूछा कि क्या हांगकांग ने सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे का सामना किया है. इस पर अरोड़ा ने कहा ‘अगर यह वास्तव में सीमा पार आतंक का मुद्दा होता, तो प्रतिबंध केवल चुनिंदा क्षेत्रों में होता और पूरे राज्य में नहीं होता.’

वहीं, मेहता ने कहा कि कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों से अधिकार नहीं छीने गए, बल्कि 70 साल में पहली बार दिए गए.

उन्होंने कहा, ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं था. लेकिन कोई भी सार्वजनिक व्यक्ति अदालत में नहीं आया और कहा कि हमारे बच्चे पढ़ाई नहीं कर सकते. अब वे कहते हैं कि इंटरनेट पर पाबंदी के कारण बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘5 अगस्त को भी सात जिलों में मोबाइल संचार पर कोई प्रतिबंध नहीं था. जिन स्थानों पर कानून और व्यवस्था की समस्याएं नहीं थीं उन जगहों पर 917 स्कूल 5 अगस्त को बंद नहीं हुए थे. यह दर्शाता है कि अधिकारियों की ने परिस्थिति के अनुसार काम किया.’

बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि घाटी में हालात बिल्कुल सामान्य हैं. उन्होंने पुलिस की गोली से एक भी व्यक्ति की जान नहीं जाने का दावा भी किया था.

उन्होंने राज्यसभा को बताया था कि रात के 8 बजे से सुबह के 6 बजे के बीच छोड़कर जम्मू कश्मीर के 195 पुलिस स्टेशनों में से किसी में भी धारा 144 लागू नहीं है. उन्होंने यह भी कहा था कि स्कूलों में उपस्थिति 98 फीसदी है और जम्मू कश्मीर प्रशासन के संतुष्ट पर ही इंटरनेट सेवाओं को चालू किया जाएगा.

वहीं, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा में बताया था कि 4 अगस्त से कश्मीर घाटी में नेताओं, अलगाववादियों और पत्थरबाजों सहित 5,161 लोगों की गिरफ्तारियां हुई हैं. इसमें से 218 पत्थरबाजों के साथ 609 लोगों को फिलहाल हिरासत में रखा गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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