विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त की आशंका के बीच एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना ने अपने विधायकों को मुंबई के विभिन्न लग्ज़री होटलों में रखा है. शिवसेना सेना संजय राउत ने आरोप लगाया कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अजीत पवार द्वारा दिखाए फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर भाजपा के देवेंद्र फड़णवीस के नेतृत्व में नई सरकार के गठन की अनुमति दी.
नई दिल्ली/मुंबई: शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस ने रविवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि उनके पास महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत है और अगर देवेंद्र फड़णवीस के पास बहुमत है तो उन्हें सदन में संख्या बल साबित करना चाहिए.
तीनों दलों ने यह भी कहा कि यह लोकतंत्र के साथ धोखा और उसकी हत्या ही है कि जब एनसीपी के 41 विधायक भाजपा के साथ नहीं है, उसके बाद भी सरकार बनाने की मंजूरी दे दी गई.
इस बीच भाजपा ने भी दावा किया है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के पास 170 से अधिक विधायकों का समर्थन है और भरोसा जताया कि वह राज्य विधानसभा में अपनी सरकार का बहुमत साबित करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एनवी रमन, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष गठबंधन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, ‘यदि फड़णवीस के पास संख्या बल है, तो उन्हें सदन के पटल पर यह साबित करने दें, अन्यथा महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए हमारे पास संख्या बल है.’
वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी ने शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की ओर से पेश होते हुए कहा कि शरद पवार के साथ एनसीपी के 41 विधायक हैं.
सिंघवी ने पीठ को बताया कि एनसीपी के कुल विधायकों की संख्या 54 है और 41 विधायकों ने महाराष्ट्र के राज्यपाल को लिखा है कि अजीत पवार को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया है.
सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल ने सत्तारूढ़ पार्टी को बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर तक का जो समय दिया है, उसका मतलब कुछ और है.
उन्होंने कहा, ‘यह लोकतंत्र के साथ पूरी तरह से धोखा और उसकी हत्या है कि सरकार बनाने की मंजूरी तब दे दी गई जब एनसीपी के 41 विधायक उनके साथ नहीं हैं.’
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी कुछ भाजपा और निर्दलीय विधायकों की ओर से न्यायालय में पेश हुए. उन्होंने कहा कि यह याचिका बॉम्बे उच्च न्यायालय में दायर होनी चाहिए. रोहतगी ने एनसीपी की याचिका का विरोध किया.
रोहतगी ने पीठ से कहा, ‘तीनों पार्टियों को समय दिया गया था, लेकिन उन्होंने सरकार नहीं बनाई, इसलिए फड़णवीस को बहुमत साबित करने दें क्योंकि कोई जल्दबाजी नहीं है.’
मालूम हो कि भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस ने बीते 23 नवंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. यह शपथ ग्रहण समारोह ऐसे समय में हुआ जब शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस का नया गठबंधन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने पर सहमत हो गया था.
मुंबई में सुबह-सुबह आननफानन हुए एक समारोह में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने फड़णवीस और अजीत पवार को शपथ दिलाई. इससे कुछ देर पहले राज्य में राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया.
बाद में शिवसेना ने देवेंद्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर की.
उच्चतम न्यायालय ने रविवार को देवेंद्र फड़णवीस को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले के खिलाफ शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन द्वारा दायर याचिका पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किए.
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को केंद्र सरकार को राज्यपाल द्वारा सरकार बनाने से जुड़े दो दस्तावेजों को पेश करने के लिए सोमवार सुबह 10:30 बजे तक का समय दिया. इन दो दस्तावेजों में राज्यपाल को भाजपा और एनसीपी की ओर से मिला विधायकों का समर्थन पत्र शामिल है.
एनसीपी ने शनिवार शाम को अजीत पवार को पार्टी के विधायक दल के नेता पद से हटाते हुए कहा कि उनका कदम पार्टी की नीतियों के अनुरूप नहीं है.
पार्टी ने कहा कि अगले विधायक दल के नेता के चुनाव तक प्रदेश एनसीपी प्रमुख जयंत पाटिल के पास सभी संवैधानिक अधिकार होंगे. एनसीपी की बैठक में पारित हुए प्रस्ताव में कहा गया कि अजित पवार का व्हिप जारी करने का अधिकार भी वापस लिया जाता है.
एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजीत पवार को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद 30 अक्टूबर को पार्टी का विधायक दल का नेता चुना गया था.
उल्लेखनीय है कि भाजपा और शिवसेना ने विधानसभा चुनाव में क्रमशः 105 और 56 सीटें जीती हैं, जबकि एनसीपी और कांग्रेस को क्रमशः 54 और 44 सीटों पर जीत मिली है.
फड़णवीस के पास 170 से अधिक विधायकों का समर्थन है, बहुमत साबित करेंगे: भाजपा
इस बीच भाजपा ने रविवार को दावा किया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के पास 170 से अधिक विधायकों का समर्थन है और भरोसा जताया कि वह राज्य विधानसभा में अपनी सरकार का बहुमत साबित करेंगे.
मुंबई में पत्रकारों से बातचीत में भाजपा नेता आशीष शेलार ने कहा कि फड़णवीस एक स्थिर और मजबूत सरकार देंगे.
उन्होंने कहा, ‘फड़णवीस के पास 170 से अधिक विधायकों का समर्थन है और भाजपा सरकार सदन के पटल पर बहुमत साबित करेगी.’
शेलार ने कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सदन के पटल पर अपना बहुमत साबित करने के लिए नई सरकार को 30 नवंबर तक का समय दिया है.
उन्होंने इस आरोप को खारिज कर दिया कि शनिवार को हुआ शपथ ग्रहण रात के अंधेरे में किया गया.
मुंबई भाजपा के पूर्व प्रमुख ने कहा, ‘हम आरएसएस स्वयंसेवक हैं जो सुबह छह बजे शाखाओं में जाते हैं. हम मानते हैं कि सुबह जो किया जाता है वह अच्छा होता है.’
शिवसेना पर निशाना साधते हुए शेलार ने कहा, ‘रात के अंधेरे में जो किया गया वह कांग्रेस नेता अहमद पटेल से उस कार में मिलने जाना है जिसके शीशे काले थे.’
उन्होंने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के गत सप्ताह पटेल से मुलाकात करने के बारे में मीडिया में आ रही खबरों के संबंध में यह बात कही.
शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के पास 165 विधायकों का समर्थन है: राउत
उधर, मुंबई में पत्रकारों से बातचीत में शिवसेना सेना संजय राउत ने आरोप लगाया कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अजीत पवार द्वारा दिखाए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भाजपा के देवेंद्र फड़णवीस के नेतृत्व में नयी सरकार के गठन की इजाजत दी.
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर की समयसीमा केवल इसलिए दी गई ताकि दल बदल कराया जा सके.
राउत ने कहा, ‘शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के पास 165 विधायक हैं. अगर राज्यपाल पहचान परेड के लिए बुलाते हैं तो दस मिनट में हम अपना बहुमत साबित कर सकते हैं.’
उन्होंने कहा कि अजीत पवार ने जन नेता शरद पवार के साथ विश्वासघात करके अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल की है.
राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘अजित पवार को एनसीपी से तोड़ना भाजपा का आखिरी दांव है जो उस पर भारी पड़ेगा.’
उन्होंने आरोप लगाया कि अजीत पवार ने अपनी पार्टी के विधायकों को भ्रम में रखा और ज्यादातर विधायक एनसीपी खेमे में लौट आए हैं.
राउत ने यह भी कहा कि 23 नवंबर का दिन महाराष्ट्र के इतिहास में ‘काला शनिवार’ था.
शिवसेना नेता ने कहा कि भाजपा को इंदिरा गांधी द्वारा लगाए आपातकाल को ‘काला दिवस’ कहने का कोई अधिकार नहीं है.
राउत ने पूछा, ‘अगर भाजपा के पास बहुमत था तो शपथ ग्रहण इतनी गोपनीयता से क्यों किया गया?’ उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने भाजपा को ज्यादा वक्त देकर पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया.
उन्होंने कहा, ‘शिवसेना और एनसीपी को 24 घंटे का वक्त दिया गया था और भाजपा को 30 नवंबर तक का समय दिया गया है.’
भाजपा पर निशाना साधते हुए राउत ने कहा, ‘मुझे लगता था कि भाजपा व्यापार जानती है. पार्टी ने सोचा कि अजीत पवार 30 से 40 विधायकों को अपने साथ ला सकते हैं लेकिन केवल पांच गए.’
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को नुकसान पहुंचाया.
एनसीपी ने अजीत पवार को विधायक दल के नेता पद से हटाए जाने की सूचना राज्यपाल को दी
एनसीपी नेता जयंत पाटिल पार्टी के विधायक दल के नेता के तौर पर अजीत पवार का स्थान लिए जाने के संबंध में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सूचना देने के लिए एक पत्र लेकर रविवार को राजभवन गए और बाद में दावा किया कि सभी एनसीपी विधायक पार्टी के साथ हैं.
राजभवन के एक अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल मुंबई में नहीं हैं.
पाटिल ने कहा कि अजीत पवार को एनसीपी के खिलाफ बगावत करने के उनके फैसले के बारे में पुनर्विचार करने के लिए मनाया जा रहा है.
अजीत पवार के भाजपा के साथ हाथ मिलाने और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के कुछ घंटों बाद उन्हें शनिवार को एनसीपी के विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया था. देवेंद्र फड़णवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली.
राजभवन जाने के बाद पाटिल ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने राज्यपाल को एनसीपी की शनिवार शाम को हुई बैठक की सूचना देते हुए एक पत्र सौंपा है. इस बैठक में अजीत पवार को पार्टी के विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया.
पाटिल बाद में अजित पवार से मिलने के लिए यहां चर्चगेट स्थित उनके आवास पर गए.
उन्होंने कहा, ‘हमारी दोपहर को विधायकों के साथ बैठक है. वे सभी विधायक जो कल बैठक में मौजूद नहीं थे, वे आज दोपहर को बैठक में शामिल होंगे. हम चाहते हैं कि अजित पवार बैठक से दूर न रहे इसलिए हम उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं.’
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी कोशिशों को लेकर अजीत पवार का सकारात्मक रुख है इस पर पाटिल ने कहा, ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.’
ख़रीद-फ़रोख़्त की आशंका के बीच एनसीपी, शिवसेना, कांग्रेस विधायकों को होटलों में भेजा गया
महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक नाटक और विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका के बीच एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना ने अपने-अपने विधायकों को मुंबई के विभिन्न लग्जरी होटलों में भेजा है.
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस ने अपने विधायकों को जुहू इलाके के जेडब्ल्यू मैरियट होटल में रखा है, वहीं एनसीपी के विधायक पवई के द रेनेसां होटल में ठहरे हुए हैं.
उन्होंने बताया कि इसके अलावा, शिवसेना के विधायक यहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास स्थित द ललित होटल में ठहरे हैं.
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस विधायक पहले जयपुर के लिए रवाना होने वाले थे, लेकिन बाद में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए उन्हें मुंबई में ही रखने का फैसला किया गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)