पक्षी विज्ञानियों के अनुसार, मोर और मोरनी में एवियन प्रजनन अंग होता है, जिसे ‘क्लोअका’ कहा जाता है. इसी के माध्यम से दोनों संबंध बनाते हैं.
राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश महेश चंद शर्मा द्वारा मोर के ब्रह्मचर्य को लेकर किए दावे को भारत के पक्षी विशेषज्ञों ने ख़ारिज कर दिया है. दरअसल बुधवार को अपने कार्यकाल के आख़िरी दिन जस्टिस शर्मा ने कोर्ट के बाहर मीडिया से बातचीत में कहा, ‘हमने मोर को राष्ट्रीय पक्षी इसलिए घोषित किया है क्योंकि वह आजीवन ब्रह्मचारी रहता है. उसके जो आंसू निकलते हैं, मोरनी उसे चुगकर गर्भवती होती है. मोर कभी भी मोरनी के साथ सेक्स नहीं करता.’
इतना ही नहीं जस्टिस शर्मा के अनुसार, ‘मोर पंख को भगवान कृष्ण ने इसलिए लगाया क्योंकि वह ब्रह्मचारी है. साधु-संत भी इसलिए मोर पंख का इस्तेमाल करते हैं. मंदिरों में इसलिए मोर पंख लगाया जाता है. ठीक इसी तरह गाय के अंदर भी इतने गुण हैं कि उसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए.’
पक्षी विशेषज्ञ बिक्रम ग्रेवाल ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा, ‘जस्टिस शर्मा की बात में किसी तरह की सत्यता नहीं है. मोर सभी सामान्य पक्षियों की तरह ही प्रजनन करता है. इस तरह के बयान के पीछे किसी भी तरह का वैज्ञानिक तर्क नहीं है. यह बेहद हास्यास्पद है कि कोई इस तरह का बयान भी दिया जा सकता है.’
बीते बुधवार को जस्टिस शर्मा ने मीडिया को दिए अपने बयान में बाघ की जगह गाय को राष्ट्र पशु घोषित करने की वकालत के साथ, गाय से जुड़े चिकित्सकीय फायदे भी गिनवाए थे.
मोर के ब्रह्मचर्य को लेकर दिया गया उनका बयान काफी चर्चा में रहा. सोशल मीडिया पर आलोचना के साथ-साथ उनके बयान का लोगों ने जमकर मज़ाक भी उड़ाया है.
वैज्ञानिकों के अनुसार, मोर और मोरनी में एवियन प्रजनन अंग होता है, जिसे ‘क्लोअका’ कहा जाता है. जो भागीदारों के बीच शुक्राणुओं को स्थानांतरित करता है. जिससे यह बात साफ होती है कि मोर और मोरनी भी अन्य पक्षियों की तरह ही प्रजनन करते हैं.
तमिलनाडु स्थित सलीम अली पक्षी विज्ञान और प्राकृतिक इतिहास केंद्र के निदेशक के. शंकर ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा, ‘मोर और मोरनी में संभोग महज़ चंद सेकेंड्स के लिए होता है. मेरे अनुसंधान के 30 वर्षों में केवल दो या तीन मौकों पर ही मैंने इस तरह की घटना देखी है. मोर-मोरनी के साथ संबंध बनाता है उसके बाद ही मोरनी गर्भवती होती है. मोर के पास शुक्राणु होता है और मोरनी के पास अंडे. मोर के शुक्राणु मोरनी के क्लोअका में जाकर अंडों को निषेचित करते हैं.’
के. शंकर आगे कहते हैं, ‘जस्टिस शर्मा ने जो बात कही है, वो मिथक है. लोग सिर्फ मोर का नाच जानते हैं, लेकिन यह मोरनी का चुनाव होता है कि वो किस मोर को संबंध बनाने के लिए चुनेगी. जो भी मोर सबसे अच्छा नाचता है और जिसके पंख लंबे होते हैं, मोरनी उसे ही इसके लिए चुनती है.’
वे कहते हैं, ‘उनके बीच संभोग का वक़्त महज़ कुछ पलों का होता है इसलिए पक्षियों पर शोध करने वाले भी इस प्रक्रिया को देख नहीं पाते.’