पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र में क़दम उठाया है उससे साफ है कि मौजूदा शासन के हाथों में संवैधानिक मूल्य सुरक्षित नहीं हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संविधान हमें नागरिक के तौर पर अधिकारों एवं कर्तव्यों के बीच संतुलन बनाने की सीख देता है.
नई दिल्ली: 26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर संसद के दोनों सदनों की मंगलवार को हुई संयुक्त बैठक का कांग्रेस, शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), द्रमुक, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और वाम दलों समेत विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया, वहीं बसपा के सदस्य इस समारोह में शामिल हुए.
तृणमूल कांग्रेस ने भी संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित समारोह का बहिष्कार किया, हालांकि इस पार्टी की लोकसभा सदस्य नुसरत जहां केंद्रीय कक्ष में दिखाई दीं.
इन दलों ने महाराष्ट्र में मचे सियासी घमासान का इन दलों ने विरोध किया. जिस समय ये दल संसद भवन परिसर में प्रदर्शन कर रहे थे, उस समय प्रधानमंत्री संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित कर रहे थे.
संविधान को अंगीकार करने के 70 वर्ष पूरा होने के मौके पर संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संबोधित किया.
महाराष्ट्र में सरकार गठन के मुद्दे पर भाजपा का विरोध करते हुए कांग्रेस, शिवसेना, राकांपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, वाम दलों और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) समेत विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्य संविधान दिवस पर आयोजित समारोह में शामिल नहीं हुए.
हालांकि तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सदस्य नुसरत जहां की इस समारोह में उपस्थिति चर्चा की विषय रही.
संयुक्त बैठक में भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उसके सहयोगी दलों जनता दल यू (जदयू), अकाली दल, अपना दल, अन्नाद्रमुक और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा), तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), बीजू जनता दल (बीजद), वाईएसआर कांग्रेस आदि दलों के दोनों सदनों के सदस्य उपस्थित थे.
इस दौरान बसपा के राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र और लोकसभा सदस्य दानिश अली तथा मलूक नागर, तेदेपा के लोकसभा सदस्य राममोहन नायडू, टीआरएस के राज्यसभा सदस्य के केशव राव, लोकसभा सदस्य नमा नागेश्वर राव, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य विजय साई रेड्डी और लोकसभा सदस्य मिथुन रेड्डी तथा रघु रामकृष्ण राजू आदि उपस्थित थे.
इससे पहले कांग्रेस की अगुवाई में कई विपक्षी दलों ने संविधान दिवस के अवसर पर संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक का बहिष्कार किया और संसद भवन परिसर में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया.
Congress President Smt. Sonia Gandhi reads out the Preamble of the Constitution of India outside Parliament on #ConstitutionDay pic.twitter.com/gvCGmNgNMk
— Congress (@INCIndia) November 26, 2019
महाराष्ट्र के मुद्दे पर हुए इस विरोध प्रदर्शन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कई अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए.
प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संविधान की प्रस्तावना पढ़कर सुनाई.
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए केरल से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, ‘हम सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, जो एक तरफ संविधान का उल्लंघन कर रही है और दूसरी ओर संविधान दिवस मना रही है.’
प्रदर्शन में कांग्रेस के अलावा द्रमुक, राकांपा, राजद, भाकपा, माकपा, तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना सहित अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल थे. यह पहला मौका है जब कांग्रेस द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन को शिवसेना का समर्थन मिला.
इन नेताओं ने हाथों में बैनर ले रखा था जिस पर ‘संकट में संविधान’ लिखा हुआ था. उन्होंने ‘संविधान की हत्या बंद करो’ के नारे लगाए.
प्रदर्शन में द्रमुक के टीआर बालू, शिवसेना के अरविंद सावंत, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और राकांपा के माजिद मेमन सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया.
मालूम हो कि मंगलवार सुबह ही सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में बुधवार शाम तक बहुमत साबित करने का आदेश दिया था. लेकिन दोपहर बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया.
तत्काल बहुमत परीक्षण कराने की शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की मांग पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रोटेम स्पीकर का तत्काल चुनाव हो और फिर बहुमत परीक्षण कराया जाए. कोर्ट ने इस कार्यवाही का लाइव टेलीकॉस्ट और वीडियो रिकॉर्डिंग कराने का भी आदेश दिया है.
मौजूदा सरकार के हाथों में संवैधानिक मूल्य सुरक्षित नहीं: मनमोहन
उच्चतम न्यायालय द्वारा देवेंद्र फड़णवीस सरकार को महाराष्ट्र विधानसभा में बुधवार शाम तक बहुमत साबित करने का निर्देश देने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को कहा कि मौजूदा सरकार में संवैधानिक मूल्य सुरक्षित नहीं हैं.
सिंह ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘उच्चतम न्यायालय ने जो भी फैसला दिया है उसका सम्मान होना चाहिए.’
नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने यह भी कहा, ‘जिस तरह से केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र में कदम उठाया है उससे साफ है कि मौजूदा शासन के हाथों में संवैधानिक मूल्य सुरक्षित नहीं हैं.’
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के पालन पर दिया ज़ोर
संविधान दिवस के अवसर पर मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों का अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के पालन पर जोर देने का आह्वान किया, वही प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि हमें नागरिक के तौर पर अधिकारों एवं कर्तव्यों के बीच संतुलन बनाना होगा.
संविधान को अंगीकार करने 70 वर्ष पूरा होने के अवसर पर संसद के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में आयोजित लोकसभा एवं राज्यसभा की संयुक्त बैठक को कोविंद, नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और मोदी ने संबोधित किया.
संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भारतीय संविधान ने दो मंत्रों ‘भारतीयों के लिए गरिमा’ और ‘भारत की एकता’ को साकार किया है. उन्होंने भारतीय नागरिकों का आह्वान किया, ‘हम सब देश के नव नागरिक और नेक नागरिक बने.’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे संविधान की मजबूती के कारण ही हम एक भारत श्रेष्ठ भारत की तरफ आगे बढ़ पा रहे हैं. भारतीयों के लिये गरिमा और भारत की एकता. संविधान ने इन दो मंत्रों को साकार किया है.’
इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वर्तमान समय में हम सभी को संवैधानिक मूल्यों, ईमानदारी को अपनाते हुए भय, प्रलोभन, पक्षपात, राग द्वेष एवं भेदभाव से मुक्त रहकर काम करने की आवश्यकता है. ऐसे में संविधान निर्माताओं की भावना को शुद्ध अंत:करण से अपनाना चाहिए.
कोविंद ने संविधान दिवस के अवसर पर 250 रुपये के स्मारक सिक्के और एक विशेष डाक टिकट को जारी किया, वहीं उन्होंने राष्ट्रीय युवा संसद योजना के पोर्टल और संसद भवन के पुस्तकालय में आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया.
उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने ‘भारतीय संसदीय लोकतंत्र में राज्यसभा की भूमिका’ नामक पुस्तक को जारी किया और इसकी पहली प्रति राष्ट्रपति कोविंद को भेंट की.
नायडू ने देश के नागरिकों का आह्वान किया कि यदि वे प्रतिबद्धता के साथ अपने दायित्वों को निभाए तथा राष्ट्रीय उद्देश्यों एवं संवैधानिक मूल्यों के प्रति संकल्पबद्ध रहे तो देश का तेजी से विकास हो सकता है और यह अधिक परिपक्व लोकतंत्र बन सकता है.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने अनुशासन को मौलिक अधिकारों द्वारा प्रदान की गई स्वतंत्रता और शक्तियों के प्रयोग की एक जरूरी शर्त देते हुए कहा कि कर्तव्यों से विमुख होकर सिर्फ अधिकारों की बात करने से एक प्रकार का असंतुलन पैदा होगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)