अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक, हालिया जीडीपी आंकड़े पूरी तरह अस्वीकार्य: मनमोहन सिंह

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रहने को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नाकाफ़ी बताया. उन्होंने यह भी जोड़ा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है लेकिन हमारे समाज की स्थिति ज्यादा चिंताजनक है.

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह. (फोटो: पीटीआई)

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रहने को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नाकाफ़ी बताया. उन्होंने यह भी जोड़ा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है लेकिन हमारे समाज की स्थिति ज्यादा चिंताजनक है.

Mumbai: Congress senior leader and former prime minister Manmohan Singh addresses a press conference, in Mumbai, Thursday, Oct. 17, 2019. (PTI Photo/Mitesh Bhuvad)(PTI10_17_2019_000071A)
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को नाकाफी और चिंताजनक बताया.

अर्थव्यवस्था पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन में अपना विदाई भाषण देते हुए सिंह ने कहा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक है लेकिन मैं यह भी कहूंगा कि हमारे समाज की स्थिति ज्यादा चिंताजनक है.

उन्होंने कहा, ‘शुक्रवार को सामने आए जीडीपी के आंकड़े 4.5 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर पर है. यह साफ तौर पर अस्वीकार्य है. देश की आकांक्षा 8-9 प्रतिशत की वृद्धि दर है. पहली तिमाही की 5.1 प्रतिशत जीडीपी से दूसरी तिमाही में 4.5% पर पहुंचना चिंताजनक है. आर्थिक नीतियों में कुछ बदलाव कर देने से अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद नहीं मिलेगी.’

ज्ञात हो कि शुक्रवार को एनएसओ द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में गिरावट और कृषि क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले कमज़ोर प्रदर्शन से वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रह गई. बीते वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह सात प्रतिशत थी.

आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2019-20 की जुलाई-सितंबर के दौरान स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी 35.99 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल इसी अवधि में 34.43 लाख करोड़ रुपये था. इस प्रकार, दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रही.

एक साल पहले 2018-19 की इसी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत थी. वहीं चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी.

इसके साथ ही, सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में बुनियादी क्षेत्र के आठ उद्योगों का उत्पादन अक्टूबर में 5.8 प्रतिशत घटा है, जो आर्थिक नरमी के गहराने की ओर इशारा करता है. आठ प्रमुख उद्योगों में से छह में अक्टूबर में गिरावट दर्ज की गयी.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति सामाजिक स्थिति से प्रभावित होती है. उन्होंने कहा, ‘हमारा समाज गहरे अविश्वास, भय और निराशा की भावना के विषाक्त संयोजन से ग्रस्त है. यह देश में आर्थिक गतिविधियों और वृद्धि को प्रभावित कर रहा है.’

‘डर का माहौल’

उन्होंने कहा, ‘हमारी अर्थव्यवस्था के सालाना आठ प्रतिशत की वृद्धि के लिए हमें समाज के वर्तमान डर के माहौल को आत्मविश्वास के माहौल में बदलना होगा. अर्थव्यवस्था की स्थिति समाज की स्थिति का प्रतिबिंब होती है. हमारा भरोसे और आत्मविश्वास का सामाजिक तानाबाना नष्ट हो चुका है.

उन्होंने आगे कहा कि आपसी विश्वास हमारे सामाजिक लेनदेन का आधार है और इससे आर्थिक वृद्धि को मदद मिलती है. उन्होंने कहा, ‘कई उद्योगपतियों ने मुझे बताया कि वे सरकारी अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न के डर में रहते हैं. बैंकर क्षतिपूर्ति न भरनी पड़े, इस डर से नए लोन नहीं देना चाहते. उद्यमी विफलता के डर से नए प्रोजेक्ट शुरू करने में झिझक रहे हैं.’

पूर्व प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार और अन्य संस्थानों में बैठे नीति निर्धारक सच बोलने या बौद्धिक रूप से ईमानदार नीतिगत चर्चा में भाग लेने से डरते हैं. विभिन्न आर्थिक पक्षों में गहरा भय और अविश्वास है.

सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि समाज में गहरे तक पैठ बना चुके संदेह को दूर करते हुए अर्थव्यवस्था की मदद करें.

उन्होंने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह करूंगा कि समाज में ‘गहराती आशंकाओं’ को दूर करें और देश को फिर से एक सौहार्दपूर्ण तथा आपसी भरोसे वाला समाज बनाएं जिससे अर्थव्यवस्था को तेज करने में मदद मिल सके.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)