साल 2014 से 2019 के बीच 114 कंपनियां बंद, करीब 16,000 लोग प्रभावित

बसपा सांसद दानिश अली के सवाल पर श्रम और रोजगार राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने बीते 25 नवंबर 2019 को लोकसभा में ये जानकारी दी.

(फोटो: रॉयटर्स)

बसपा सांसद दानिश अली के सवाल पर श्रम और रोजगार राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने बीते 25 नवंबर 2019 को लोकसभा में ये जानकारी दी.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: साल 2014 से लेकर 2019 के बीच देश भर में कंपनियों की कुल 114 इकाइयां बंद हो गई हैं. इसकी वजह से करीब 16,000 कर्मचारी प्रभावित हुई हैं. श्रम और रोजगार राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने बीते 25 नवंबर 2019 को लोकसभा में ये जानकारी दी.

बसपा सांसद दानिश अली ने सदन में पूछा था कि क्या ये सच है कि बीते पांच साल में बड़ी संख्या में कंपनियां बंद हुई हैं और अगर ऐसा हुआ है तो इसका कारण और ब्यौरा दिया जाए.

उन्होंने यह भी पूछा था कि इन कंपनियों के बंद होने की वजह से कुल कितने लोग बेरोजगार हुए और सरकार की ओर से उनकी अजीविका के लिए क्या कदम उठाए गए हैं.

दानिश अली के सवाल के जवाब में संतोष गंगवार ने साल 2014 से 2019 के बीच का ब्यौरा दिया जिसमें बंद हुई इकाइयों की संख्या, बंद होने का कारण और प्रभावित हुए लोगों की संख्या के बारे में जानकारी शामिल है.

Closure of Companies
बंद हुई इकाइयां और प्रभावितों की संख्या. (स्रोत: लोकसभा)

केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 में 34, साल 2015 में 22, साल 2016 में 27, साल 2017 में 22, साल 2018 में आठ और साल 2019 में सितंबर तक में कुल 114 इकाइयां बंद हो चुकी हैं.

इन इकाइयों के बंद होने की वजह से साल 2014 में 4,726, साल 2015 में 1,852, साल 2016 में 6,037, साल 2017 में 2,740, साल 2018 में 537 और साल 2019 में सितंबर तक में कुल 45 कर्मचारी प्रभावित हुए हैं.

हालांकि अभी ये आंकड़ें अनंतिम यानी कि प्रोविजिनल हैं. गंगवार ने कहा कि ऐसे प्रभावित मजदूरों के हितों की रक्षा औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के तहत मुआवजा दे कर की जाती है.

इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के तहत काउंसलिंग, रिटेनिंग एंड रिडिप्लॉयमेंट (सीआरआर) नाम की एक योजना लागू की जा रही है. इसका उद्देश्य कौशल विकास प्रशिक्षण के माध्यम से वीआरएस/वीएसएस लेने वालों को नए वातावरण में समायोजित करना और उन्हें सक्षम बनाना है.