राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक प्रकाश गजभिये ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर भीमा कोरेगांव मामले में कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने की मांग की थी.
मुंबईः महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के एक प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त करते हुए कहा कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में दलित कार्यकर्ताओं के खिलाफ दायर आपराधिक मामलों को जल्द से जल्द वापस लिया जाएगा.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रतिनिधिमंडल में कैबिनेट मंत्री जयंत पाटिल, छगन भुजबल और विधायक प्रकाश गजभिये शामिल थे.
एनसीपी के विधायक प्रकाश गजभिये ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर भीमा कोरेगांव मामले में कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने की मांग की थी.
Nationalist Congress Party MLC Prakash Gajbhiye has written to Maharashtra Chief Minister Uddhav Thackeray 'seeking withdrawal of cases filed against dalits in the Bhima Koregaon violence' pic.twitter.com/kCw42FQhrr
— ANI (@ANI) December 3, 2019
गजभिये ने कहा, ‘कानून का पालन करने वाली एजेंसियों ने भीमा कोरेगांव मामले में कार्यकर्ताओं की कथित भागीदारी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू कर दी थी. इन सभी को झूठे तरीके से फंसाया गया इसलिए हमने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को वापस लिया जाए और उन्होंने हमारे आग्रह को स्वीकार कर लिया.’
28 नंवबर को राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उद्धव ठाकरे ने राज्य के गृह मंत्रालय से आरे कॉलोनी में पेड़ काटे जाने का विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं और कोंकण में नाणार रिफाइनरी का विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों को जल्द से जल्द वापस लेने को कहा था.
इसी आश्वासन के बाद उद्धव ठाकरे ने भीमा कोरेगांव मामले में कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने का आश्वासन दिया.
भीमा कोरेगांव मामला एलगार परिषद की रैली से अलग है. एलगार परिषद मामले में नौ कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया, जिसमें सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वर्णन गोंजाल्विस, सुरेंद्र गाडलिंग, सुधीर धावले और पी वरवरा राव हैं, जिन पर प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) से कथित रूप से जुड़े होने का आरोप है.
पुणे पुलिस का कहना है कि सीपीआई (माओवादी) ने 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एलगार परिषद की फंडिंग की थी. आरोप है कि एलगार परिषद में एक जनवरी 2018 को कथित भड़काऊ भाषणों से भीमा कोरेगांव में जातीय दंगे हुए.
मालूम हो कि एक जनवरी 2018 को वर्ष 1818 में हुई कोरेगांव-भीमा की लड़ाई को 200 साल पूरे हुए थे. इस दिन पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में दलित समुदाय के लोग पेशवा की सेना पर ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की जीत का जश्न मनाते हैं. इस दिन दलित संगठनों ने एक जुलूस निकाला था. इसी दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
पुलिस ने आरोप लगाया कि 31 दिसंबर 2017 को हुए एलगार परिषद सम्मेलन में भड़काऊ भाषणों और बयानों के कारण भीमा-कोरेगांव गांव में एक जनवरी को हिंसा भड़की.
बीते साल 28 अगस्त को महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर पांच कार्यकर्ताओं- कवि वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वर्णन गोंसाल्विस को गिरफ़्तार किया था. महाराष्ट्र पुलिस का आरोप है कि इस सम्मेलन के कुछ समर्थकों के माओवादिओं से संबंध हैं.
इससे पहले महाराष्ट्र पुलिस ने जून 2018 में एलगार परिषद के कार्यक्रम से माओवादियों के कथित संबंधों की जांच करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन और महेश राउत को गिरफ्तार किया था.