ईरान में बीते 15 नवंबर को ये प्रदर्शन तब शुरू हुए जब सरकार ने पेट्रोल के न्यूनतम दाम 50 प्रतिशत तक बढ़ाकर 15,000 रियाल प्रति लीटर कर दिए. अधिकारियों ने इन प्रदर्शनों को जल्द ही बलपूर्वक दबा दिया था और एक सप्ताह तक इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी थी.
दुबई/तेहरान: मानवाधिकारों पर काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि ईरान में पेट्रोल के तेजी से बढ़ते दामों के विरोध में प्रदर्शनों और उसके बाद सुरक्षा बलों की कार्रवाई में कम से कम 208 लोगों की मौत हो गई है.
हालांकि ईरान ने एमनेस्टी इंटरनेशनल के इस दावे को झूठा बताया है.
मालूम हो ईरान में पेट्रोल के दाम बढ़ाने पर 15 नवंबर से शुरू हुए इन प्रदर्शनों पर अब तक राष्ट्रव्यापी आंकड़ें जारी नहीं किए हैं.
ईरान ने प्रदर्शनों के बीच इंटरनेट बंद कर दिया जिससे लोग वीडियो और जानकारी साझा नहीं कर पा रहे है. साथ ही बाहर की दुनिया को भी इन प्रदर्शनों और हिंसा के बारे में जानने से रोक दिया. हाल के दिनों में इंटरनेट बहाल किए जाने के बाद प्रदर्शनों के वीडियो सामने आए हैं.
एमनेस्टी में ईरान के शोधार्थी मंसूरेह मिल्स ने कहा, ‘हमने देखा कि एक सप्ताह के भीतर ही 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई. इस्लामिक गणतंत्र में मानवाधिकार उल्लंघन के इतिहास में ऐसी घटना पहले नहीं देखी गई.’
हालांकि, इस बार के प्रदर्शन में उतने लोग सड़कों पर नहीं उतरे जितने 2009 के विवादित राष्ट्रपति चुनाव में आए थे लेकिन फिर भी पेट्रोल के दाम को लेकर यह प्रदर्शन जल्द ही हिंसक हो गया.
एमनेस्टी ने बीते दो नवंबर को एक बयान में कहा था कि तेहरान के उपनगर शहरयार में ‘दर्जनों लोगों की मौत’ हुई. यह संभवत: उन इलाकों में से एक है, जहां प्रदर्शनों में सबसे अधिक लोग मारे गए. शहरयार में व्यापक पैमाने पर प्रदर्शन हुए.
अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, ये प्रदर्शन जल्द ही 100 से ज्यादा ईरानी शहरों और कस्बों में शुरू हो गए. प्रदर्शनों के दौरान युवा और कामकाजी वर्ग देश के धार्मिक नेताओं से पद छोड़ने की मांग कर रहा था.
ईरान ने एमनेस्टी के आंकड़ों को झूठा बताया
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में ईरान ने एमनेस्टी के आंकड़ों को ‘अप्रमाणित’ बताया है. इसके अलावा ईरान के न्याय विभाग ने विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में हताहतों की गैर आधिकारिक संख्या को मंगलवार को सिरे से खारिज करते हुए इसे झूठ करार दिया है.
न्याय विभाग के प्रवक्ता गुलाम हुसैन इस्माइली ने सरकारी टेलीविजन पर हुए प्रसारण में कहा, ‘मैं स्पष्ट रूप से घोषणा करता हूं कि विरोधी गुटों द्वारा जो संख्या बताई जा रही है वह एकदम झूठ है और उन्होंने जो आंकड़े बताए हैं उनमें गंभीर विसंगतियां हैं.’
राष्ट्रीय टेलीविजन पर प्रसारित टिप्पणी में उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ आंकड़े और नाम बताए हैं… उनके द्वारा संख्या को लेकर किया गया दावा झूठा और मनगढ़ंत है.
इस्माइली ने कहा कि जो नाम उन्होंने दिए हैं वो झूठे हैं. इसमें उन्होंने न केवल जिंदा लोगों के नाम जोड़े हैं, बल्कि उन लोगों के नाम भी शामिल कर लिए हैं जिनकी मौत सामान्य परिस्थितियों में हुई.
मालूम हो कि ईरान में बीते 15 नवंबर को ये प्रदर्शन तब शुरू हुए जब सरकार ने पेट्रोल के न्यूनतम दाम 50 प्रतिशत तक बढ़ाकर 15,000 रियाल प्रति लीटर कर दिए.
अधिकारियों ने इस प्रदर्शन को जल्द ही दबा दिया था और एक सप्ताह तक इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी थी. अधिकारियों ने हिंसा में हुई मौतों की कुल संख्या अभी तक जारी नहीं की है.
ईरान ने प्रदर्शनकारियों को गोली मारने की बात मानी
ईरान के सरकारी टेलीविजन ने पेट्रोल के दाम बढ़ाए जाने पर हाल के प्रदर्शनों के बीच प्रदर्शनकारियों को ‘दंगाई’ बताते हुए मंगलवार को पहली बार माना कि सुरक्षाबलों ने उन पर गोलियां चलाई जिनमें कई लोग मारे गए.
ईरान की सरकार समाचार एजेंसी इरना के अनुसार, पिछले हफ्ते ईरान के गृह मंत्री अब्दोलरेज़ा रहमानी फज़ली ने बताया कि प्रदर्शनों में तकरीबन दो लाख लोगों ने भाग लिया और 731 बैंक, 70 पेट्रोल पंप स्टेशन और 140 सरकारी संस्थान जला दिए गए. इस दौरान 50 से ज्यादा सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर हमला किया गया.
रिपोर्ट के अनुसार, बीते दो नवंबर की रात ईरान की सरकारी आईआरटीवी2 ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि प्रदर्शनों के दौरान लोगों की मौतें हुए, लेकिन इसका कोई आंकड़ा नहीं दिया गया. मारे गए लोगों को ‘दंगाई’ बताया गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)