झारखंड के सरायकेला खरसावां ज़िले में बीते 18 जून को चोरी के आरोप में तबरेज़ अंसारी नाम के युवक को भीड़ ने एक खंभे से बांधकर बेरहमी से कई घंटों तक पीटा था, जिससे उनकी मौत हो गई थी.
रांचीः झारखंड के सरायकेला खरसावां ज़िले में चोरी के आरोप में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मारे गए तबरेज अंसारी की हत्या के मामले में छह आरोपियों को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी.
झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आर. मुखोपाध्याय की पीठ ने इस घटना के छह महीने बाद आरोपियों को जमानत दी.
इस मामले की सुनवाई के दौरान आरोपियों के वकील एके साहनी ने पीठ को बताया कि तबरेज अंसारी मामले में इनका नाम एफआईआर में नहीं है और नामजद आरोपी पप्पू मंडल ने भी पुलिस को दिए अपने बयान में इनका नाम नहीं लिया है.
वकील एके साहनी ने दलील दी कि इसके बावजूद आरोपी भीमसेन मंडल, चामू नायक, महेश महली, सत्यनारायण नायक, मदन नायक, विक्रम मंडल 25 जून से जेल में बंद हैं.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उस समय कहा था कि सरायकेला-खरसावां जिले में 17 जून को तबरेज अंसारी और उसके दो सहयोगियों ने कथित तौर पर चोरी के इरादे से एक घर में घुसने की कोशिश की थी, जिसके बाद अंसारी को पकड़ककर भीड़ ने बेरहमी से पीटा था.
पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस अगली सुबह घटनास्थल पर पहुंची और ग्रामीणों की शिकायत के आधार पर अंसारी को जेल ले गई.
उन्होंने कहा कि जेल में अंसारी की तबियत बिगड़ने पर उन्हें सरायकेला-खरसावां जिले के सदर अस्पताल ले जाया गया, बाद में तबियत बिगड़ने पर उसे जमशेदपुर के टाटा मेन हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां 22 जून को अंसारी की मौत हो गई.
आरोपियों के वकील ने पीठ को बताया कि ऐसे में यह हिरासत में हुई मौत का मामला है. इसलिए आरोपियों को जमानत मिलनी चाहिए.
इस दौरान प्रतिवादी की ओर से जमानत का विरोध करते हुए कहा गया कि मारपीट की घटना में सभी लोग शामिल थे.
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सभी छह आरोपियों को जमानत दे दी.
मालूम हो कि भीड़ की हिंसा के इस मामले में तबरेज की पत्नी ने एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें आरोप है कि तबरेज को भीड़ ने एक खंभे से बांधकर उसकी पिटाई की थी. इसकी वजह से उसकी मौत हुई.
द वायर की पड़ताल के मुताबिक, इस मामले में पुलिस की भूमिका शुरुआत से ही सवालों के घेरे में रही. जब अंसारी को हिरासत में लिया गया तो पुलिस ने उन पर हमला करने वाले लोगों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया.
तबरेज अंसारी की मौत के बाद उनकी पत्नी की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया.
झारखंड जनाधिकार महासभा की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने जांच में पाया कि पुलिस ने अंसारी को उचित इलाज मुहैया नहीं कराया और उनके परिवार को भी धमकी दी.
भीड़ द्वारा तबरेज अंसारी पर हमला किए जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त की गई एक जांच समिति ने इस मामले में पुलिस की भूमिका में खामियां उजागर करते हुए कहा था कि अंसारी को पहले जिस अस्पताल में भर्ती किया गया था, उन्होंने अंसारी के सिर में गंभीर चोट लगने के बावजूद पुलिस हिरासत को लेकर उसे क्लीन चिट दे दी थी.
पुलिस ने इस मामले में 11 लोगों के खिलाफ हत्या की धारा हटा दी थी लेकिन बाद में इसकी व्यापक आलोचना के बाद पुलिस ने वापस हत्या की धाराएं लगाई थीं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)