पोस्टमॉर्टम के दौरान मृत गायों के पेट में औसतन 50-60 किलो की मात्रा में पॉलीथिन और प्लास्टिक पदार्थ पाए जाते हैं.
राज्य पशु चिकित्सा विभाग और पशु कल्याण संगठन के अनुसार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ शहर में लगभग हर साल 1000 गायें पॉलीथिन की वजह से मारी जाती हैं. पॉलीथिन की वजह से मरने वाली गायों की कुल संख्या के 90 प्रतिशत मामलों में पशु के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं. इन गायों की मृत्यु उनके पेट में अत्यधिक पॉलीथिन और प्लास्टिक पदार्थों के सेवन से होती है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जीवन आश्रय नामक गौशाला के सचिव यतेंद्र त्रिवेदी का कहना है कि उनके यहां हर महीने 50 गायों की मृत्यु हो जाती है. मरी हुई गायों का जब पोस्टमॉर्टम किया जाता है, तो औसतन एक गाय के पेट से 50-60 किलो की मात्रा में पॉलीथिन होती है. वो आगे बताते हैं कि ये पॉलीथिन उनके पेट में जमा होते-होते चट्टान की तरह बन जाती है, जिसके कारण ज़्यादातर युवा गायों की मौत हो जाती है.
लखनऊ के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी तेजसिंह यादव का कहना है कि हर महीने सड़कों पर मृत पाए जाने वाले 20-25 जानवरों के लिए पोस्टमॉर्टम की व्यवस्था की जाती है. ज्यादातर मामलों में पॉलीथिन का अत्यधिक सेवन मौत की वजह होती है.
तेजसिंह आगे कहते हैं कि उन्हें कोई शक नहीं है कि सड़क पर घूमने वाली हर गाय की मृत्यु पॉलीथिन के सेवन से होती है. पशुओं में इस तरह की मौत बेहद भयानक होती है और उन्होंने अक्सर युवा अवस्था में गायों को इस तरह मरते देखा है.
कान्हा उपवन में वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी जयप्रकाश कहते हैं, ‘पॉलीथिन खाने से गायों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है. समय पर उचित चिकित्सा उपचार नहीं दिया जाता है, तो उनके पीछे के पैरों में लकवा मार जाता है. रक्त का संचार पॉलीथिन में मौजूद विष पदार्थों की वजह से धीमा हो जाता है या रुक जाता है.’
पशुचिकित्सा उमेश चन्द्र ने कहा, ‘पॉलीथिन और प्लास्टिक का लंबे समय तक सेवन करने से यह गायों में अंतःस्रावी व्यवधान का कारण बन जाता है. इससे अन्य पाचन अंगों और आंतों में रुकावट हो जाती है.’
उमेश आगे बताते हैं कि स्थिति बहुत दयनीय है कि जब इन आवारा गायों को चारा खिलाया जाता हैं, तो वे सदमे में आ जाते हैं.
नगर निगम द्वारा चलाए गए कांजी हाउस में कार्यवाहक महेंद्र सिंह बताते हैं कि जब गायों को चारा दिया जाता है, तो वे उसे खाते ही उलटी कर देती हैं. गायों को प्लास्टिक और कूड़ा खाने की आदत हो चुकी है.