बिजली, खनन और विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन के कारण औद्योगिक उत्पादन अक्टूबर महीने में 3.8 प्रतिशत घट गया. एक साल पहले इसी माह में इसमें 8.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
नई दिल्ली: खाने पीने की वस्तुओं के दाम चढ़ने से नवंबर माह में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 5.54 प्रतिशत पर पहुंच गई. यह बीते तीन सालों या 40 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. कई अर्थशास्त्रियों ने इसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए काफी चिंता की बात कहा है.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति इसी साल अक्टूबर में 4.62 प्रतिशत और नवंबर, 2018 में 2.33 प्रतिशत रही थी. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार नवंबर माह के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 10.01 प्रतिशत पर पहुंच गई.
अक्टूबर में यह 7.89 प्रतिशत तथा एक साल पहले इसी महीने में 2.61 प्रतिशत थी. इससे पहले जुलाई, 2016 में खुदरा मुद्रास्फीति 6.07 प्रतिशत दर्ज की गई थी.
सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के दायरे में (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) रखने का लक्ष्य दिया है.
औद्योगिक उत्पादन में गिरावट
वहीं बिजली, खनन और विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन के कारण औद्योगिक उत्पादन अक्टूबर महीने में 3.8 प्रतिशत घट गया.
बीते गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के रूप में मापा जाने वाले औद्योगिक उत्पादन का एक साल पहले इसी माह में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
विनिर्माण क्षेत्र में नरमी दर्ज की गई. इसमें अक्टूबर महीने में 2.1 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी महीने में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
आंकड़े के अनुसार बिजली उत्पादन में अक्टूबर 2019 में तीव्र 12.2 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि पिछले साल इसी महीने इसमें 10.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
खनन उत्पादन भी अक्टूबर महीने में 8 प्रतिशत गिरा जबकि पिछले वित्त वर्ष के इसी महीने में इसमें 7.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
एडीबी ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.1 प्रतिशत किया
वहीं एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने 2019-20 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत से घटाकर बीते बुधवार को 5.1 प्रतिशत कर दिया.
एडीबी ने सितंबर में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019-20 के लिए 6.5 प्रतिशत और उसके बाद 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था.
एडीबी ने कहा कि खराब फसल से ग्रामीण क्षेत्र की बदहाल स्थिति तथा रोजगार की धीमी वृद्धि दर ने उपभोग को प्रभावित किया है. इसके कारण वृद्धि दर के अनुमान को घटाया गया है.
उसने कहा कि अनुकूल नीतियों के कारण आर्थिक वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में मजबूत होकर 6.5 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)