राजनीतिक रणनीतिकार और जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी का चुनावी अभियान संभाला था. इस समय वे 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस के साथ काम कर रहे हैं.
नई दिल्ली: साल 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का चुनावी अभियान संभालने वाले राजनीतिक रणनीतिकार और जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने अब आम आदमी पार्टी (आप) के साथ हाथ मिलाया है.
अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बीते शनिवार को घोषणा किया कि प्रशांत किशोर की राजनीतिक परामर्शदाता कंपनी ‘आई-पैक’ दिल्ली चुनाव में उनके साथ काम करेगी.
मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘मुझे यह खबर साझा करते हुए खुशी हो रही है कि ‘आई-पैक’ ने हमारे साथ हाथ मिलाया है. आपका स्वागत है.’
After Punjab results, we acknowledged you as the toughest opponent that we have ever faced. Happy to join forces now with @ArvindKejriwal and @AamAadmiParty. https://t.co/5Rcz4ie6Xs
— I-PAC (@IndianPAC) December 14, 2019
इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आई-पैक) अभी 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बन सकें.
खास बात ये है कि आई-पैक और आम आदमी पार्टी पंजाब चुनाव में एक दूसरे के सामने थे, जहां आई-पैक ने कांग्रेस के चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला था.
इन दो समूहों का साथ आना काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि दिल्ली चुनाव में मुश्किल से दो महीने बाकी हैं. 2015 के चुनावों में आप ने दिल्ली की राजनीति के दो पारंपरिक दावेदारों-कांग्रेस और भाजपा- को करारी मात दी थी.
पार्टी ने 54.5 फीसदी वोट हासिल किए थे और 70 विधानसभा सीटों में से रिकॉर्ड 67 सीटों पर कब्जा जमाया था. वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 14 फरवरी, 2020 को समाप्त हो रहा है, जिस समय तक मतदान प्रक्रिया समाप्त होने की संभावना है.
इस बार भी आम आदमी पार्टी अपने 2015 के बेहतरीन प्रदर्शन को दोहराना चाहती है. हालांकि 2014 का तरह ही भाजपा एक बार फिर से 2019 के आम चुनावों में दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही. केजरीवाल का कहना है कि मतदाता लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अलग-अलग तरीके से वोट करते हैं.
भाजपा इस चुनाव में एक अलग रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है. उन्होंने यह महसूस किया है कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा हमेशा राजनीति में मदद नहीं करती है. इसलिए इस बार उन्होंने नाम की घोषणा नहीं की. पार्टी का मानना है कि यह रणनीति इससे पहले महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तराखंड और झारखंड में सफल रही है और ये दिल्ली में भी काम कर सकती है.
एक और अंतर यह भी है कि इससे पहले आम आदमी पार्टी दिल्ली चुनावों में अन्य दलों पर भ्रष्टाचार या अक्षमता के आरोप लगाती रही है, लेकिन इस बार उसे अपने पांच साल का हिसाब देना होगा.
इसलिए यहां पर प्रशांत किशोर की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी, साल 2015 के बिहार चुनाव में नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के लिए सफलतापुर्वक चुनाव अभियान संभाला था.