उत्तर प्रदेश: सपा सांसद आज़म ख़ान के बेटे अब्दुल्ला की विधायकी रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सपा सांसद आज़म ख़ान के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आज़म ख़ान को फ़र्ज़ी दस्तावेज़ देकर चुनाव लड़ने का दोषी पाया है. 2017 में जब अब्दुल्ला ने नामांकन पत्र दाख़िल किया था, उस समय उनकी आयु चुनाव लड़ने की निर्धारित उम्र 25 वर्ष नहीं थी.

सपा सांसद आजम खान के साथ उनके बेटे मोहम्मद अब्दुल्लाह आजम खान. (फोटो साभार: फेसबुक)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सपा सांसद आज़म ख़ान के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आज़म ख़ान को फ़र्ज़ी दस्तावेज़ देकर चुनाव लड़ने का दोषी पाया है. 2017 में जब अब्दुल्ला ने नामांकन पत्र दाख़िल किया था, उस समय उनकी आयु चुनाव लड़ने की निर्धारित उम्र 25 वर्ष नहीं थी.

सपा सांसद आजम खान के साथ उनके बेटे मोहम्मद अब्दुल्लाह आजम खान. (फोटो साभार: फेसबुक)
सपा सांसद आजम खान के साथ उनके बेटे मोहम्मद अब्दुल्लाह आजम खान. (फोटो साभार: फेसबुक)

इलाहाबाद: समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद आज़म खान के बेटे और रामपुर जिले की स्वार विधानसभा सीट से विधायक मोहम्मद अब्दुल्ला आज़म खान की विधानसभा सदस्यता अवैध घोषित कर दी.

इलाहाबाद बोर्ड के जस्टिस एसपी केसरवानी ने सोमवार को नवाब काजिम अली खान की चुनाव याचिका को स्वीकारते हुए यह आदेश पारित किया.

अदालत ने इस चुनाव याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि अब्दुल्ला आज़म खान ने 2017 में संपन्न विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए जब अपना नामांकन पत्र दाखिल किया, उस समय उनकी आयु 25 वर्ष नहीं थी. इस तरह वह विधानसभा चुनाव लड़ने के पात्र नहीं थे.

हाईकोर्ट ने उन्हें फर्जी दस्तावेज देकर चुनाव लड़ने का दोषी पाया है. अदालत ने कहा कि अब्दुल्ला आज़म ने 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी उम्र को लेकर फर्जी दस्तावेज पेश किए थे.

मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान को रामपुर जिले की स्वार विधानसभा सीट से 11 मार्च, 2017 को विधायक चुना गया था. उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था.

स्वार सीट से अब्दुल्ला खान से चुनाव हारने वाले बसपा उम्मीदवार नवाब काजिम अली खान ने अदालत का रुख किया था. उनका आरोप था कि प्रतिवादी अब्दुल्ला आजम खान का जन्म एक जनवरी, 1993 को हुआ था, इसलिए नामांकन दाखिल करने के दिन 25 जनवरी, 2017 को वह 25 वर्ष की आयु से काफी कम थे. अब नवाब काजिम अली कांग्रेस में हैं.

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि मोहम्मद अब्दुल्ला के शैक्षणिक प्रमाण-पत्र, पासपोर्ट और वीजा में भी इसी जन्मतिथि का उल्लेख है, लेकिन बाद में लखनऊ स्थित जन्म एवं मृत्यु पंजीयक कार्यालय से एक जन्म प्रमाण-पत्र जारी कराया गया जिसमें अब्दुल्ला का जन्म 30 सितंबर, 1990 दिखाया गया.

संपूर्ण तथ्यों पर गौर करने के बाद अपने 49 पेज के निर्णय में अदालत ने कहा कि शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों के अलावा, उनकी मां ने अपनी सर्विस बुक में अब्दुल्ला के जन्म का उल्लेख 1993 किया है जोकि अपने आप में एक प्रमाण है.

अदालत ने रजिस्ट्रार जनरल, उच्च न्यायालय को इस निर्णय से निर्वाचन आयोग और उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष को अवगत कराने का निर्देश दिया.

स्वार सीट से चार बार विधायक रहे काजिम अली ने अपनी दलील में अब्दुल्ला के हाईस्कूल के प्रमाण-पत्र का हवाला दिया जिसमें उसकी जन्म तिथि एक जनवरी, 1993 है.

इस फैसले पर अब्दुल्ला आज़म ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है जबकि उनके सहयोगियों का कहना है कि वे हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पासपोर्ट के लिए जमा किए गए जन्मतिथि संबंधी दस्तावेजों में विसंगतियों को लेकर जुलाई महीने में अब्दुल्ला आज़म खान को हिरासत में लिया गया था.

भाजपा नेता आकाश सक्सेना की शिकायत पर दर्ज एफआईआर के मुताबिक, ‘अब्दुल्ला आज़म खान की हाईस्कूल, बीटेक और एमटेक के प्रमाणपत्रों में जन्मतिथि एक जनवरी 1993 लिखी है जबकि पासपोर्ट में उनकी जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 है.’

अब्‍दुल्ला आज़म खान की मां तजीन फातमा भी विधायक हैं  और उनके पिता आज़म खान रामपुर से सांसद हैं.

इससे पूर्व, सुनवाई के दौरान अब्दुल्ला की मां और तत्कालीन राज्यसभा सदस्य ताजीन फातिमा ने इस बात का समर्थन किया था कि उनके बेटे का जन्म 30 सितंबर, 1990 को हुआ था जिसे उनके सर्विस रिकार्ड से सिद्ध किया जा सकता है क्योंकि उन्होंने 1990 में मातृत्व अवकाश लिया था. हालांकि अदालत ने उनकी यह दलील नहीं मानी.

उल्लेखनीय है कि सभी गवाहों के बयान दर्ज करने और सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला 27 सितंबर, 2019 को सुरक्षित रख लिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)