उत्तर प्रदेश के बिजनौर में मंगलवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में गोलीबारी हुई जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि दो पुलिसकर्मियों सहित तीन लोग घायल हो गए. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो गई है. अगर राज्य सरकार पर्याप्त सुरक्षा नहीं दे सकती है तो हम केंद्र सरकार से केंद्रीय बल तैनात करने के लिए कहेंगे.
लखनऊ/बिजनौर: उत्तर प्रदेश के बिजनौर में मंगलवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत में गोलीबारी हुई जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि दो पुलिसकर्मियों सहित तीन लोग घायल हो गए.
पुलिस अधीक्षक संजीव त्यागी ने बताया कि हत्या मामले के दो आरोपियों को सीजेएम की अदालत में पेशी पर लाया गया था कि इस दौरान तीन शार्प शूटरों ने गोलियां बरसाना शुरू कर दिया.
त्यागी ने बताया कि एक आरोपी की गोली लगने से अदालत कक्ष में ही मौत हो गयी जबकि दूसरा आरोपी और दो पुलिसकर्मी घायल हो गए. उन्होंने बताया कि सीजेएम सुरक्षित बच गए. हमलावरों का पीछा कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है.
पुलिस के अनुसार लगभग छह माह पहले थाना नजीबाबाद में प्रापर्टी डीलर हाजी एहसान और उसके भांजे की ऑफिस में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मुख्य आरोपी शाहनवाज ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था.
पुलिस ने बताया कि शाहनवाज और उसके साथी सहअभियुक्त जब्बार को तिहाड़ जेल से यहां सीजेएम योगेश कुमार की अदालत में पेश किया जा रहा था कि इसी दौरान तीन हमलावर अदालत में घुस गये और उन्होंने शाहनवाज की गोली मारकर हत्या कर दी.
उन्होंने बताया कि अभियुक्त जब्बार को गंभीर हालत में मेरठ रेफर किया गया है. इस घटना में दो पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं.
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने बुधवार को बताया कि मंगलवार को अदालत में हुई गोलीबारी को गंभीरता से लेते हुए लापरवाही के आरोप में एक सब इंस्पेक्टर समेत 18 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है. इनमें पांच महिला पुलिसकर्मी और 12 पुरुषकर्मी शामिल हैं. ये पुलिसकर्मी अदालत परिसर स्थित पुलिस चौकी में तैनात थे.
पुलिस अधीक्षक बिजनौर को लिखे पत्र में क्षेत्राधिकारी बिजनौर अरूण कुमार सिंह ने इन पुलिसकर्मियों को निलंबित करने की सिफारिश करते हुए कहा कि अदालत परिसर में तैनात पुलिसकर्मियों की यह डयूटी थी कि वह बिना जांच के किसी को अदालत में प्रवेश न करने दें.
उन्होंने कहा कि सबकी जांच करना थोड़ा मुश्किल काम है क्योंकि इसको लेकर पुलिस और वकीलों में कई बार विवाद भी हो चुका है, लेकिन चूंकि पुलिसकर्मियों को अदालत की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था, इसलिए अगर वे अपनी ड्यूटी ठीक से निभाते तो ऐसी घटना नहीं होती.
बिजनौर के पुलिस अधीक्षक ने भी बताया कि कल बिजनौर की अदालत की घटना में 18 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूछा, क्या कोर्ट की सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर है?
बिजनौर में सीजेएम की अदालत में हुई गोलीबारी के मामले में बुधवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को समन किया और कोर्ट परिसरों की सुरक्षा मजबूत करने के लिए योजना पेश करने को कहा. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 20 दिसंबर तय की गई है.
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, जस्टिस सुधीर अग्रवाल और सुनीत कुमार की पीठ ने कहा, ‘ऐसा लग रहा है कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो गई है. राज्य में सबसे असक्षम पुलिसकर्मियों को कोर्ट परिसरों की सुरक्षा के लिए तैनात कर दिया गया है. क्या सरकार कोर्ट की सुरक्षा के लिए गंभीर है. क्या शीर्ष अधिकारी उन घटनाओं के बारे में जानते हैं जो हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश की विभिन्न अदालतों में हुईं?’
न्यायाधीशों ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को बताया कि राज्य में अदालत की सुरक्षा को मजबूत करना 2008 से ही मुद्दा बना हुआ है, लेकिन वास्तविकता में इसके लिए बहुत कुछ नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार अदालत परिसर में पर्याप्त सुरक्षा नहीं दे सकती है तो हम केंद्र सरकार से इसके लिए केंद्रीय बल तैनात करने के लिए कहेंगे.
यूपी विधान परिषद में हंगामा
बिजनौर में सीजेएम की अदालत में हुई हत्या के मुद्दे पर बुधवार को विधान परिषद में सपा एवं कांग्रेस के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया.
बुधवार को सुबह 11 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, सपा-कांग्रेस के सदस्यों ने बिजनौर में सीजेएम की अदालत में हुई हत्या का मुद्दा उठाया और आसन के समक्ष आ गए. इन सदस्यों ने प्रदेश में खराब कानून व्यवस्था को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
इस पर आसन ने सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी.
11 बज कर 20 मिनट पर दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने फिर से आसन के समक्ष आ कर हंगाम शुरू कर दिया.
सदन के अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा ने सदस्यों से शांत रहने और कार्यवाही चलने देने की अपील की. हंगामा थमते न देख उन्होंने दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में विपक्ष के नियम-56 के तहत दिए गए प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में कहा, ‘बिजनौर जैसी घटनाओं को स्वीकार नहीं किया जाएगा. अदालत की सुरक्षा के लिए सरकार के पास कार्ययोजना है.’
योगी ने कहा कि बिजनौर जैसी घटनाओं को सरकार रोकेगी. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका, महिलाओं और पूरे प्रदेश की सुरक्षा के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. हर बेटी और बहन की सुरक्षा, हर नागरिक की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार लेगी. किसी को अराजकता फैलाने की छूट सरकार नहीं देगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)