साइरस मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था. वह टाटा संस के छठे चेयरमैन थे. मिस्त्री ने रतन टाटा के पद से हटने के बाद 2012 में कंपनी की कमान संभाली थी.
नई दिल्ली: टाटा समूह से लड़ाई में साइरस मिस्त्री को बुधवार को बड़ी जीत मिली. राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने मिस्त्री को टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बहाल करने का आदेश दिया.
साथ ही न्यायाधिकरण ने मिस्त्री की जगह कार्यकारी चेयरमैन पद पर एन. चंद्रशेखरन की नियुक्ति को अवैध ठहराया है.
न्यायाधीश एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि बहाली आदेश चार सप्ताह बाद प्रभावी होगा. निर्णय के अनुसार टाटा संस इस अवधि में चाहे तो निर्णय के विरुद्ध अपील कर सकती है.
इस वाद में निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुए अपीलीय न्यायाधिकरण ने टाटा संस को पब्लिक फर्म से बदल कर प्राइवेट फर्म बनाने की कार्रवाई को भी रद्द कर दिया है.
धनाढ्य शापूरजी पलोनजी परिवार से संबंध रखने वाले मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था. वह टाटा संस के छठे चेयरमैन रहे. मिस्त्री ने रतन टाटा के पद से हटने के बाद 2012 में कमान संभाली थी. बाद में समूह के अंदर विवाद उठने पर उन्हें टाटा संस के निदेशक मंडल से भी निकाल दिया गया.
सायरस मिस्त्री अभी शापूरजी पलोनजी एंड कंपनी के प्रबंध निदेशक हैं.
टाटा संस में मिस्त्री के परिवार की हिस्सेदारी 18.4 प्रतिशत है. मिस्त्री ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में उन्हें पद से हटाए जाने को चुनौती दी. मिस्त्री के परिवार की कंपनी साइरस इन्वेस्टमेंटस एंड स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट्स ने टाटा संस और रतन टाटा समेत 20 अन्य के खिलाफ उत्पीड़न और कुप्रबंधन का मामला दर्ज कराया.
Tata Sons statement: The NCLAT order appears to even go beyond the specific reliefs sought by the Appellant.
Tata Sons strongly believes in the strength of its case and will take appropriate legal recourse.— ANI (@ANI) December 18, 2019
हालांकि मामले को एनसीएलटी ने मार्च 2017 में खारिज कर दिया था और कहा था कि वह इस तरह का मामला दायर कराने के पात्र नहीं है.
उल्लेखनीय है कि कंपनी कानून, 2013 की धारा 244 कंपनी के किसी शेयरधारक को कंपनी के खिलाफ उत्पीड़न और कुप्रबंधन का मामला दर्ज कराने की अनुमति देता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि कंपनी के निर्गमित शेयरों का कम से कम 10 प्रतिशत हिस्सा उसके पास होना चाहिए.
एनसीएलटी के उक्त निर्णय के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण में जाने पर साइरस मिस्त्री के पक्ष को आंशिक जीत मिली थी. एनसीएलएटी ने 10 प्रतिशत शेयरधारिता की शर्त को हटा दिया लेकिन मामले को फिर विचार के लिए एनसीएलटी में भेज दिया था.
पिछले साल जुलाई में एनसीएलटी ने मिस्त्री को पद पर बहाल किए जाने की याचिका खारिज कर दी और कुप्रबंधन तथा अल्पांश हिस्सेदारों के उत्पीड़न के आरोपों को भी खारिज कर दिया था.
उसके बाद मिस्त्री ने मुंबई एनसीएलटी के निर्णय के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील की. अपीलीय न्यायाधिकरण ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद इस साल जुलाई में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, साइरस मिस्त्री ने कहा है कि ट्रिब्यूनल का यह फैसला उनके कहे हुए की पुष्टि करता है. उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ व्यक्तिगत जीत नहीं बल्कि गुड गवर्नेंस के सिद्धांतों और अल्प शेयरधारकों के अधिकारों की जीत है. यह फैसला हमारे दावों का प्रमाण है. मिस्त्री परिवार 50 साल से टाटा संस का अहम शेयरधारक है. मैं सोचता हूं कि अब समय आ गया है कि टाटा ग्रुप के सतत विकास के लिए मिलकर काम किया जाए.’
फैसला आने के बाद टाटा संस की ओर से कहा गया कि एनसीएलएटी का आदेश अपीलकर्ता द्वारा मांगी गई विशिष्ट राहत से परे भी जाता है. टाटा संस अपने पक्ष पर पूरा विश्वास करता है और वह इस बारे में उचित कानूनी मदद लेगा.
बेहतर संचालन व्यवस्था के सिद्धांतों, अल्पांश शेयरधारकों के हितों की जीत: मिस्त्री
टाटा संस के बर्खास्त चेयरमैन साइरस मिस्त्री ने राष्ट्रीय कंपनी अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के उन्हें बहाल करने के आदेश को बेहतर संचालन व्यवस्था के सिद्धांतों और अल्पांश शेयरधारकों के अधिकारों की जीत बताया। उन्होंने बुधवार को कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं है.
पिछली कड़वाहटों को भुलाते हुए मिस्त्री ने एक बयान में कहा कि यह टाटा समूह की सतत वृद्धि और विकास के लिए सभी के साथ मिलकर काम करने का है.
उन्होंने कहा कि 50 साल से अधिक समय से मिस्त्री परिवार की टाटा संस में अल्पांश हिस्सेदारी है. परिवार ने संस्थान के मामले में हमेशा एक जवाबदेह अभिभावक के रूप में अपनी भूमिका निभायी है जिस पर पूरे देश को गर्व है.
मिस्त्री ने कहा, ‘एक संस्थान के रूप में टाटा समूह के आगे और विकास के लिए यह जरूरी है कि व्यक्तिगत कंपनियों के प्रबंधन, उनके निदेशक मंडल, टाटा संस का प्रबंधन और निदेशक मंडल तथा शेयरधारक मजबूत संचालन व्यवस्था में साथ मिलकर काम करें. निवेशक, कर्मचारी समेत सभी शेयरधारकों के हितों की रक्षा हो.’
टाटा समूह की विभिन्न कंपनियों के शेयर टूटे
बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) द्वारा टाटा संस के चेयरमैन पद साइरस मिस्त्री को बहाल किए जाने के बाद शेयरों में गिरावट दर्ज की गई.
बंबई शेयर बाजार में टाटा ग्लोबल बेवरेजेज का शेयर 4.14 प्रतिशत, टाटा कॉफी 3.88 प्रतिशत और टाटा मोटर्स के शेयर 3.05 प्रतिशत नीचे आयें. सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में टाटा मोटर्स को सर्वाधिक नुकसान हुआ.
इसके अलावा इंडियन होल्टस कंपनी 2.48 प्रतिशत, टाटा केमिकल्स 1.65 प्रतिशत, टाटा इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन 1.22 प्रतिशत और टाटा पावर कंपनी 0.98 प्रतिशत नीचे आएं.
इसके विपरीत टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज का शेयर मामूली 0.07 प्रतिशत, टाटा मेटालिक्स 2.07 प्रतिशत, टाटा कम्युनिकेशंस 1.68 प्रतिशत, टाटा एलेक्सी 1.53 प्रतिशत, टाटा स्टील 1.16 प्रतिशत और टाइटन कंपनी 0.09 प्रतिशत लाभ में रहे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)