नए नागरिकता कानून के खिलाफ लखनऊ में गुरुवार को हिंसा भड़क उठी थी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई तथा 16 पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए थे.
गुवाहाटी: असम में शुक्रवार को मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई. संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के मद्देनजर 10 दिन पहले यहां इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी गई थी.
निजी टेलिकॉम संचालक एयरटेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार सुबह नौ बजे प्रतिबंध हटा दिया गया. उन्होंने कहा, ‘चूंकि हमें इंटरनेट बंद करने का कोई नया आदेश नहीं मिला था इसलिए हमने सुबह नौ बजे से प्रतिबंध हटा दिया.’
राज्य सरकार ने कहा था कि मोबाइल इंटरनेट सेवा शुक्रवार से बहाल कर दी जाएगी हालांकि गुवाहाटी हाईकोर्ट ने गुरुवार शाम पांच बजे ही इंटरनेट सेवा बहाल करने के आदेश दे दिए थे. असम में ब्रॉडबैंड सेवा पहले ही बहाल हो चुकी है.
लखनऊ समेत यूपी के 14 जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद
वहीं संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ लखनऊ में गुरुवार को हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद लखनऊ समेत प्रदेश के 14 जिलों में इंटरनेट सेवाएं आधी रात के बाद से बंद कर दी गई हैं.
जिलाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक राजधानी में कल हुए हिंसक प्रदर्शन और आगजनी के बाद उत्पन्न माहौल को देखते हुए इंटरनेट सेवाएं आधी रात के बाद बंद कर दी गईं.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार यह प्रतिबंध शनिवार दोपहर 12 बजे तक लागू रहेगा. लखनऊ के अलावा सहारनपुर, मेरठ, शामली, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, बरेली, संभल, मुरादाबाद, मऊ, आजमगढ़, आगरा, कानपुर और उन्नाव में भी यह प्रतिबंध लागू हैं.
मालूम हो कि नए नागरिकता कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार को हिंसा भड़क उठी थी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई तथा 16 पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए थे. उपद्रवियों ने पथराव और आगजनी की थी.
बीते गुरुवार को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली समेत देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए थे. इस दौरान पुलिस ने छात्रों, आम नागरिकों समेत कई नामचीन हस्तियों को भी हिरासत में ले लिया था.
इस कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है. नागरिकता संशोधन विधेयक में उन मुसलमानों को नागरिकता देने के दायरे से बाहर रखा गया है जो भारत में शरण लेना चाहते हैं.
इस प्रकार भेदभावपूर्ण होने के कारण इसकी आलोचना की जा रही है और इसे भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बदलने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है. अभी तक किसी को उनके धर्म के आधार पर भारतीय नागरिकता देने से मना नहीं किया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)