एक ऐशट्रे है, जिस पर एक निर्वस्त्र स्त्री की आकृति बनी हुई है, इस पर जलती हुई सिगरेट बुझाई जाएगी. क्या यह मानसिकता किसी भी तरीक़े से उस मानसिकता से कम है, जब बलात्कार करके, बलात्कारी उस लड़की की योनि में कांच, पत्थर डाल देते हैं?
आॅनलाइन शॉपिंग वेबसाइट अमेजन पर ‘कार्ट टू इंडिया’ नाम की एक कंपनी एक ऐशट्रे बेच रही है. इस पर एक निर्वस्त्र स्त्री की आकृति बनी हुई है, इस पर जलती हुई सिगरेट बुझाई जाएगी.
जिस देश में हर दिन, हर घंटे, लड़कियों, महिलाओं और छोटी-छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार होते हैं, उस देश में इस तरह का ऐशट्रे बेचने का क्या मतलब है?
जिस देश के मर्दों की मानसिकता ऐसी है कि नन्हीं बच्चियों से लेकर बूढ़ी औरतों तक के बलात्कार होते हैं, शरीर में डंडे, कांच, रॉड डाल दी जाती हो, आंतड़ियां बाहर खींच दी जाती हो, जहां औरत को सिर्फ़ वेजाइना समझा जाता है, उस देश में इस तरह का बाज़ारवाद फल फूल रहा है.
कंपनी आपको अपनी मर्दवादी कुंठा बुझाने का वह सामान दे रही है कि आप असलियत में औरत के साथ बर्बरता नहीं बरत पा रहे हैं तो ऐशट्रे पर ही कर लीजिए. जलती हुई सिगरेट मेटल की वेजाइना में बुझाइए और खुश होइए, ये सोचकर के किसी औरत के शरीर को जला दिया. यह बाज़ार का सबसे घिनौना रूप है. ये रेप करने वालों और रेप करने की मानसिकता रखने वालों को एक तोहफा है. क्या पैसे कमाने का इस से घटिया तरीक़ा कोई नहीं सूझा?
बलात्कार सिर्फ़ ज़बरदस्ती संबंध बनाने तक सीमित नहीं रहते, लड़कियों के शरीर को वीभत्स तरीक़े से नुकसान पहुंचाकर मर्डर कर दिया जाता है. वेजाइना में कंकर, लोहे की रोड, कांच, शराब की बोतलों के कांच घुसेड़ दिए जाते हैं. ऐसी घटना कोई रेयरेस्ट आॅफ़ रेयर नहीं होती, बल्कि यहां अकसर होती रहती हैं.
मीडिया में जितनी घटनाओं का ज़िक्र हम सुनते हैं, उनसे ज्यादा संख्या में ये घटनाएं घटती हैं. दिल्ली से बाहर की घटनाओं को चर्चा तक मिल पाती. बहुत सारी घटनाएं तो पुलिस थाने तक भी नहीं पहुंच पातीं. महिलाओं को लेकर हमारा समाज अभी जंगल के तरीक़े से ही चल रहा है, जिसको जहां मौक़ा मिला, हिंसा की और लूट लिया. महिलाएं सेकंड सेक्स के तौर पर ट्रीट की जाती हैं. और ऐसा देश के सुदूर घने जंगलों में रह रहे लोगों के बीच नहीं है बल्कि मॉडर्न इंडिया का हाल है, देश के दिल दिल्ली का हाल है.
पुरुषों की मानसिकता इस हद तक महिलाओं के ख़िलाफ़ है कि महिलाओं पर की गई हिंसा को वो हिंसा ही नहीं समझते. इस मानसिकता को भुनाने में बाज़ार ने कोई कमी नहीं छोटी. बाज़ार को आधुनिकता और बदलाव का पर्याय होना चाहिए था, लेकिन नहीं हुआ, बल्कि उसी स्त्री विरोधी और हिंसक मानसिकता को सपोर्ट कर रहा है जो सदियों से चली आ रही है.
शायद जो आप चाहते हो उसे उस तरीक़े से आपके सामने पेश करके, आपकी कुंठाओं को बढ़ाकर ज़्यादा कमाई की जा सकती हो. बाज़ार की ये स्ट्रेटजी शायद माल बेचने के लिए सही हो. लेकिन नैतिक मूल्यों के स्तर पर ये भयावह पतन है. एक तरफ जहां सारा देश इस बलात्कार वाली मानसिकता की समस्या से जूझ रहा है, बाज़ार उन चीज़ों को कैसे बेच सकता है?
क्या ये सिर्फ़ नैतिक मूल्य की ही बात है? क्या इनके ख़िलाफ़ सख़्त क़ानून की ज़रूरत नहीं है? ऑनलाइन वेबसाइट्स सिर्फ़ देश के ही नहीं, बल्कि इंटरनेशनल प्रोडक्ट्स बेचती हैं. लेकिन किस देश में क्या बेचा जाए, ये सरकार तय क्यों नहीं करती?
जिस तरह कोई किताब एक देश में प्रतिबंधित हो जाती है तो वो पूरी तरह बैन हो जाती है, उसकी ऑनलाइन बिक्री भी बंद हो जाती है. उसे हटा दिया जाता है. उसी तरह दूसरे प्रोडक्ट्स का बाज़ार में आने से पहले रिव्यु क्यों नहीं किया जाता?
क्या इस तरह की ऐशट्रे उस बलात्कारी मानसिकता का पोषण नहीं कर रही है? मेरा मानना है देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट अमेजन को अपनी साइट से ये प्रोडक्ट तुरंत हटाना चाहिए.