शांतिपूर्ण प्रदर्शन लोकतांत्रिक ताने-बाने का आधार, इसे नहीं रोका जा सकता: मद्रास हाईकोर्ट

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी और उसके गठबंधन सहयोगियों की आज चेन्नई में हो रही महारैली पर रोक लगाने के लिए मद्रास हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी. हालांकि, हाईकोर्ट ने रैली पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. हाईकोर्ट ने पुलिस को रैली का वीडियो बनाने का आदेश दिया है.

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Hyderabad: Muslims under the banner of United Muslim Action Committee during their protest rally against CAA(Citizen Amendment Act) in Darussalam, Hyderabad, Saturday, Dec,21,2019.(PTI Photo)(PTI12_21_2019_000241B)

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी और उसके गठबंधन सहयोगियों की आज चेन्नई में हो रही महारैली पर रोक लगाने के लिए मद्रास हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी. हालांकि, हाईकोर्ट ने रैली पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. हाईकोर्ट ने पुलिस को रैली का वीडियो बनाने का आदेश दिया है.

Hyderabad: Muslims under the banner  of United Muslim Action Committee during their protest rally against CAA(Citizen Amendment Act)  in Darussalam, Hyderabad, Saturday, Dec,21,2019.(PTI Photo)(PTI12_21_2019_000241B)
नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन चल रहा है. (फोटो: पीटीआई)

चेन्नई: संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सोमवार को डीएमके की प्रस्तावित रैली के खिलाफ दाखिल जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान रविवार देर रात मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोका नहीं जा सकता क्योंकि यह लोकतांत्रिक ताने-बाने का आधार है.

जस्टिस एस. वैद्यनाथन और जस्टिस पीटी आशा की पीठ ने रैली रोकने से इनकार कर दिया.

याचिकाकर्ताओं आर. वराकी और आर. कृष्णमूर्ति ने रैली आयोजित करने से द्रमुक को रोकने का अनुरोध करते हुए दावा किया था कि इस प्रकार के ‘अवैध’ प्रदर्शनों से लोगों का जीवन प्रभावित होगा और इस रैली के हिंसक होने एवं अशांति पैदा होने की आशंका है जैसा कि दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न इलाकों में इसी प्रकार की रैलियों में हुआ है.

तमिलनाडु सरकार के वकील ने अदालत को सूचित किया कि पुलिस ने रैली की अनुमति नहीं दी है क्योंकि आयोजकों ने संपत्ति को कोई नुकसान होने या किसी प्रकार की हिंसा होने की स्थिति में जिम्मेदारी लेने को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाई.

इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि द्रमुक यदि अनुमति नहीं मिलने के बावजूद संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सोमवार को प्रस्तावित रैली करता है तो उसका वीडियो बनाया जाए.

चेन्नई में डीएमके और उसके सहयोगी दलों की ओर चेन्नई में आयोजित इस महारैली में डीएमके नेता एमके स्टालिन के साथ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम और एमडीएमके ने नेता वाइको भी हिस्सा ले रहे हैं.

मामले को तत्काल सुनवाई के लिए लाए जाने पर सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि द्रमुक ने रैली में हिस्सा लेने वाले लोगों की संख्या के संबंध में प्रश्न का उत्तर नहीं दिया और उसने उस व्यक्ति का नाम भी नहीं दिया जो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान होने एवं कोई अप्रिय घटना होने की स्थिति में जिम्मेदारी लेगा.

अदालत ने कहा, ‘प्रतिवादी के उत्तर से यह पता चलता है कि रैली/प्रदर्शन करने वाला राजनीतिक दल जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता और हमें लगता है कि पुलिस द्वारा पूछे गए सवाल प्रासंगिक हैं.’

उसने कहा कि जिम्मेदार राजनीतिक दल ने जिस तरीके से प्रश्नों का उत्तर दिया है, उससे अदालत के दिमाग में यह आशंका पैदा होती है कि प्रदर्शन कर रहे नेता सम्पत्ति को किसी प्रकार का नुकसान होने या कोई अप्रिय घटना होने की जिम्मेदारी लेने से बच रहे है.

इसके बाद अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि वह प्रदर्शन का वीडियो बनाए और आवश्यकता पड़ने पर ड्रोन कैमरों का भी इस्तेमाल करे ताकि कोई गैरकानूनी घटना होने पर रैली का आयोजन कर रहे राजनीतिक दलों के नेताओं की जिम्मेदारी तय की जा सके. उसने मामले की सुनवाई 30 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी.

द्रमुक और उसके गठबंधन सहयोगियों ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि वे सीएए के विरोध में 23 दिसंबर को यहां एक महारैली निकालेंगे.

बता दें कि, नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पूर्वोत्तर सहित देशभर में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. जहां विरोध प्रदर्शन की शुरुआत विश्वविद्यालयों और बड़े शैक्षणिक संस्थानों से हुई वहीं धीरे-धीरे ये विरोध प्रदर्शनों देशभर में फैल गए.

वहीं, देश के कई हिस्सों में ये विरोध प्रदर्शन हिंसक भी हो गए जहां पर देशभर में 23 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी जिसमें 15 लोग उत्तर प्रदेश में मारे गए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)