फैक्ट चेक: मोदी सरकार ने संसद में खुद माना है कि एनपीआर, एनआरसी से जुड़ा हुआ है

एक तरफ सरकार जहां इस बात से इनकार कर रही है कि एनपीआर और एनआरसी में कोई संबंध है, वहीं अपने पहले कार्यकाल में नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद में कम से कम नौ बार बताया था कि एनआरसी को एनपीआर आंकड़ों के आधार पर पूरा किया जाएगा.

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New Delhi: Prime Minister Narendra Modi and Home Minister Amit Shah, attend prayer meeting at Sadaiv Atal, the memorial of former prime minister A B Vajpayee on his 95th birth anniversary, in New Delhi, Wednesday, Dec. 25, 2019. (PTI Photo/Kamal Kishore) (PTI12_25_2019_000016B)

एक तरफ सरकार जहां इस बात से इनकार कर रही है कि एनपीआर और एनआरसी में कोई संबंध है, वहीं अपने पहले कार्यकाल में नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद में कम से कम नौ बार बताया था कि एनआरसी को एनपीआर आंकड़ों के आधार पर पूरा किया जाएगा.

New Delhi: Prime Minister Narendra Modi and Home Minister Amit Shah, attend prayer meeting at Sadaiv Atal, the memorial of former prime minister A B  Vajpayee on his 95th birth anniversary,  in New Delhi, Wednesday, Dec. 25, 2019. (PTI Photo/Kamal Kishore)   (PTI12_25_2019_000016B)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के बीच अंतर बताते हुए कहा कि दोनों के लिए अलग-अलग कानून हैं और एनपीआर के आंकड़ों का इस्तेमाल कभी भी एनआरसी प्रक्रिया के लिए नहीं किया जाएगा.

समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में शाह ने कहा, ‘एनपीआर एक डेटाबेस है जिसके आधार पर नीतियां बनती हैं. एनआरसी एक प्रक्रिया है जिसमें लोगों से उनकी नागरिकता साबित करने के लिए कहा जाता है. दोनों प्रक्रियाओं के बीच कोई संबंध नहीं है, न ही उनका इस्तेमाल एक-दूसरे के सर्वे में होगा. एनपीआर आंकड़ों का इस्तेमाल कभी भी एनआरसी के लिए नहीं किया जा सकता है. यहां तक कि कानून भी अलग-अलग हैं…मैं सभी लोगों, खासकर अल्पसंख्यकों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि एनपीआर का इस्तेमाल एनआरसी के लिए नहीं किया जाएगा. यह एक अफवाह है.’

हालांकि, आंकड़े कोई और कहानी कहते हैं. एनआरसी को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत एनपीआर के आधार पर 2003 के नागरिकता नियमों में निहित किया गया है. वास्तव में, एनपीआर उन नियमों का हिस्सा है जिन्हें एनआरसी के लिए तैयार किया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यही नहीं, अपने पहले कार्यकाल में नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद में कम से कम नौ बार बताया था कि एनआरसी को एनपीआर आंकड़ों के आधार पर पूरा किया जाएगा.

एनपीआर देश के आम निवासियों का रजिस्टर है. इसे नागरिकता अधनियम 1955 और नागरिकता (नागरिकों का रजिस्ट्रीकरण एवं राष्ट्रीय पहचान पत्रों का जारी किया जाना) नियम 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय (गांव/उपनगर), उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है. ये नियम नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 18 के तहत उप धारा (1) और (3) के तहत नियम तय किए गए हैं.

एनआरसी के लिए तय किए नियम 3 की उपधारा (4) कहती है, ‘केंद्र सरकार इस संबंध में एक आदेश जारी कर एक तारीख तय कर सकती है जिसके द्वारा जनसंख्या रजिस्टर सभी व्यक्तियों से संबंधित जानकारी एकत्र करके तैयार किया जाएगा, जो आमतौर पर स्थानीय रजिस्ट्रार के अधिकार क्षेत्र में रहते हैं.’

नियम की उपधारा (5) कहती है, ‘भारतीय नागरिकों के स्थानीय रजिस्टर में जनसंख्या रजिस्टर से किए गए सत्यापन के बाद व्यक्तियों का विवरण होगा.’

नियम 4 के तहत ‘भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर की तैयारी’ शीर्षक उपधारा 4 कहती है, सत्यापन प्रक्रिया के दौरान, संदिग्ध नागरिकता वाले व्यक्तियों के विवरण स्थानीय रजिस्ट्रार द्वारा आगे की जांच के लिए जनसंख्या रजिस्टर में उचित टिप्पणी के साथ दर्ज की जाएगी और संदिग्ध नागरिकता के मामले में, व्यक्ति या परिवार को सत्यापन प्रक्रिया समाप्त होने के तुरंत बाद एक निर्दिष्ट में प्रोफार्मा सूचित किया जाएगा.

नियम 7 के तहत, ‘परिवार के मुखिया को एनपीआर अभ्यास के दौरान सही जानकारी उपलब्ध करानी होगी जिसमें विफल होने पर उस पर 1,000 रुपये तक का जुर्माना (नियम 17 के तहत) लगाया जाएगा.’

हाल में जारी गृह मंत्रालय की साल 2018-19 की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि एनआरसी लागू करने की दिशा में एनपीआर पहला कदम है. सालान रिपोर्ट में कहा गया है, ‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) उपर्युक्त क़ानून (नागरिकता अधिनियम) के प्रावधानों के तहत भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरआईसी) के निर्माण की दिशा में पहला कदम है.’

  • 8 जुलाई 2014 को कांग्रेस सांसद राजीव सतव के सवाल के लिखित जवाब में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री किरण रिजीजू ने कहा, ‘एनपीआर की योजना की समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि एनपीआर को पूरा किया जाना चाहिए और इसे अपने तार्किक निष्कर्ष पर ले जाना चाहिए, जो कि एनपीआर में हर सामान्य निवासी की नागरिकता की स्थिति का सत्यापन करके एनआरआईसी का निर्माण करना है.’
  • 15 और 22 जुलाई को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान रिजीजू ने एक बार फिर से इसी तरह एनपीआर और एनआरआईसी का संबंध जोड़ा.
  • 23 जुलाई को उन्होंने राज्यसभा में यही बयान एक बार फिर से दिया.
  • 26 नवंबर, 2014 को रिजीजू ने राज्यसभा में कहा, ‘एनपीआर हर भारतीय निवासी की नागरिकता की स्थिति की पुष्टि करके एनआरआईसी के निर्माण की दिशा में पहला कदम है.’
  • 21 अप्रैल और 28 जुलाई, 2015 को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान गृह राज्यमंत्री हरीभाई पार्थीभाई चौधरी ने तार्किक निष्कर्ष पर जाने के बयान को दोहराया.
  • 13 मई, 2015 को राज्यसभा में रिजीजू ने यही बयान एक बार फिर से दिया.
  • 16 नवंबर, 2016 को रिजीजू ने इस राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान दोहराया. उन्होंने कहा, ‘सरकार ने देश में सामान्य निवासियों के विवरणों को शामिल करते हुए जनसंख्या रजिस्टर तैयार करने को मंजूरी दी है. जनसंख्या रजिस्टर की तैयारी नागरिकता अधिनियम, 1955 के नागरिकता नियमों, 2003 के प्रावधानों के तहत भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर की तैयारी का एक हिस्सा है.’

एनआरसी करने की बात कई बार कहने वाले शाह ने मंगलवार को दिए गए अपने साक्षात्कार में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस टिप्पणी का समर्थन किया कि सरकार में एनआरसी को लेकर कोई बात नहीं हो रही है.