राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने तेलंगाना में कहा कि ये देश परंपरा से हिंदुत्ववादी है. हम विविधता में एकता नहीं तलाश रहे बल्कि ऐसी एकता तलाश रहे हैं जिसमें विविधता हो और एकता हासिल करने के विभिन्न रास्ते हो.
हैदराबाद: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत का कहना है कि संघ भारत की 130 करोड़ आबादी को हिंदू समाज के रूप में मानता है, चाहे उनका धर्म और संस्कृति कुछ भी हो.
उन्होंने कहा कि धर्म और संस्कृति से परे जो लोग राष्ट्रवादी भावना रखते हैं और भारत की संस्कृति और उसकी विरासत का सम्मान करते हैं, वे हिंदू हैं और आरएसएस देश के 130 करोड़ लोगों को हिंदू मानता है.
उन्होंने कहा कि संपूर्ण समाज हमारा है और संघ का उद्देश्य संगठित समाज का निर्माण करना है.
भागवत ने कहा, ‘भारत माता का सपूत, चाहे वह कोई भी भाषा बोले, चाहे वह किसी भी क्षेत्र का हो, किसी स्वरूप में पूजा करता हो या किसी भी तरह की पूजा में विश्वास नहीं करता हो, एक हिंदू है. इस संबंध में संघ के लिए भारत के सभी 130 करोड़ लोग हिंदू समाज है.’
उन्होंने कहा कि आरएसएस सभी को स्वीकार करता है, उनके बारे में अच्छा सोचता है और उन्हें बेहतरी के उच्च स्तर पर ले जाना चाहता है.
मालूम हो कि भागवत तेलंगाना के आरएसएस स्वयंसेवकों के तीन दिवसीय ‘विजय संकल्प शिविर’ के तहत यहां एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा, ‘एक प्रसिद्ध कहावत है विविधता में एकता लेकिन हमारा देश उससे एक कदम आगे है. सिर्फ विविधता में एकता नहीं बल्कि एकता की विविधता.’
भागवत ने कहा, ‘हम विविधता में एकता नहीं तलाश रहे हैं. हम ऐसी एकता तलाश रहे हैं जिसमें विविधता आए और एकता हासिल करने के विभिन्न रास्ते हैं.’
उन्होंने कहा कि ये देश परंपरा से हिंदुत्ववादी है.
हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, भागवत ने कहा कि भारत धर्म की विजय में विश्वास करता है, जहां लोग खुशी और दूसरों की भलाई के लिए जीते हैं. उन्हें स्वर्ग, साम्राज्य या अपने लिए कुछ नहीं चाहिए.
भागवत ने कहा कि हालांकि अंग्रेजों की इच्छा थी कि हिंदू और मुस्लिम एक दूसरे से लड़कर आपस में ही खत्म हो जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
उन्होंने कहा, ‘इस संघर्ष के बीच समाज ने एक साथ मिलकर रहने के समाधान खोज निकाला और यह समाधान यकीनन हिंदू उपाय था. ये रबिंद्रनाथ टैगोर के शब्द थे.’
भागवत ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी रबींद्रनाथ टैगोर ने ‘स्वदेशी समाज’ में लिखा था कि हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच कुछ अंतर्निहित विरोधाभासों के बाद भी हिंदू समाज देश को एकजुट करने का रास्ता तलाशने में सक्षम है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)