संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में मध्य प्रदेश कांग्रेस ने बुधवार को कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की संविधान बचाओ यात्रा निकाली. कमलनाथ ने कहा कि एनपीआर को हम लाना चाहते हैं, लेकिन इसके साथ एनआरसी को जोड़कर नहीं.
![मध्य प्रदेश में संविधान बचाओ यात्रा निकालते मुख्यमंत्री कमलनाथ. (फोटो: ट्विटर)](https://hindi.thewire.in/wp-content/uploads/2019/12/Kamalnath-Twitter.jpg)
भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बुधवार को फिर दोहराया कि राज्य की कांग्रेस सरकार द्वारा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) लागू नहीं किया जाएगा. साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के साथ क्रियान्यवन पर भी सवाल उठाया.
कमलनाथ ने कहा कि एनपीआर को हम भी लाना चाहते हैं लेकिन इसके साथ एनआरसी को जोड़कर नहीं.
बता दें कि, एनआरसी को लेकर हो रहे देशव्यापी विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने एनपीआर को अपडेट करने की मंजूरी दे दी है.
सीएए के विरोध में प्रदेश कांग्रेस के पैदल मार्च के समापन के बाद एनपीआर की घोषणा के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘वो जो एनपीआर लाये, ये तो हम भी चाहते थे, पर उसके साथ कोई एनआरसी नहीं जोड़ा था जो ये जोड़कर ला रहे हैं. ये इनकी नीयत साबित करती है.’
केंद्र की मंशा पर सवाल उठाते हुए कमलनाथ ने कहा कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री संसद में पहले ही बता चुके हैं कि पूरे देश में एनआरसी को लागू करेंगे. उन्होंने कहा कि संसद में अपने 40 वर्षो के दौरान मैंने कभी सीएए और एनआरसी जैसे संविधान विरोधी कानून नहीं देखा. सवाल यह नहीं है कि क्या लिखा गया है (इन कानून में) बल्कि क्या नहीं लिखा गया है. सवाल इसके उपयोग का नहीं दुरुपयोग का है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में कृषि क्षेत्र की समस्याएं, निवेश लाने की चुनौतियां, बेरोजगारी तथा आर्थिक मंदी सहित अनेक मुद्दे हैं लेकिन केंद्र इन गंभीर समस्याओं से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है.
कमलनाथ ने यह भी दोहराया कि उनकी सरकार प्रदेश में सीएए लागू नहीं करेगी. उन्होंने कहा, ‘जो जनविरोधी, संविधान विरोधी, समाज विरोधी, धर्म विरोधी कानून हैं, वे मध्य प्रदेश में कभी लागू नहीं होंगे, जब तक कांग्रेस की सरकार है.’
पैदल मार्च शुरु होने के पहले रंगमहल चौराहे पर उपस्थित जनसमूह के सामने कमलनाथ ने देश के बुनियादी ढांचे के विरोधी सीएए कानून के खिलाफ अंत तक लड़ने की शपथ ली. उन्होंने कहा कि भारत की पहचान उसके संविधान से है, जो विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ता है और देश की एकता सुनिश्चित करता है.
कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की संविधान बचाओ यात्रा रंगमहल टॉकीज चौराहे से शुरु होकर मिंटो हॉल (पुरानी विधानसभा परिसर) में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास समाप्त हुई.
मार्च में प्रदेश सरकार के मंत्री, कांग्रेस के पदाधिकारी और अन्य राजनीतिक दलों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, बसपा, राकांपा आदि के नेताओं सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए. पैदल मार्च में लोग राष्ट्रीय ध्वज लिये थे और भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे.
इससे पहले, झारखंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने बीते मंगलवार को कहा कि वह संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विवरण का अध्ययन करेंगे और यदि इसकी वजह से उनके राज्य से कोई एक भी व्यक्ति उजड़ता है तो इसे लागू नहीं किया जाएगा.
बता दें कि, गैर-एनडीए दल शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने राज्यों में नागरिकता संशोधन कानून लागू करने से साफ इनकार कर दिया है. अब तक, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, केरल के पिनारई विजयन, पंजाब के अमरिंदर सिंह, छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल, दिल्ली के अरविंद केजरीवाल और राजस्थान के अशोक गहलोत ने कहा कि वे अपने राज्यों में संशोधित कानून को लागू नहीं होने देंगे.
वहीं, महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार ने कहा कि उनके राज्य में नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)