लोकसभा चुनाव के दौरान पांच मौकों पर आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह को चुनाव आयोग द्वारा मिली क्लीन चिट का विरोध करने वाले चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और उनका परिवार बीते कई महीनों से केंद्रीय एजेंसियों की जांच के दायरे में हैं.
चुनाव आयुक्त अशोक लवासा एक बार फिर आयकर विभाग के निशाने पर हैं. इस बार आरोप है कि उनकी पत्नी नोवेल लवासा ने गुड़गांव में एक अपार्टमेंट को अशोक लवासा की बहन शकुंतला लवासा को ट्रांसफर करते समय स्टांप ड्यूटी नहीं भरी है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार आयकर विभाग ने हरियाणा के अतिरिक्त प्रमुख सचिव और वित्त सचिव को इस बारे में लिखकर आयकर रिटर्न और संपत्ति ट्रांसफर करने के दस्तावेजों में ‘विसंगतियों’ की जांच की बात कही है.
हरियाणा के राजस्व और डिज़ास्टर मैनेजमेंट के वित्त कमिश्नर धनपत सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘इस बारे में 9 दिसंबर को गुड़गांव के डिप्टी कमिश्नर को बताया गया था, लेकिन अब तक हमें इसका कोई जवाब नहीं मिला है. हमने उनसे आयकर विभाग और मेरे कार्यालय को सूचित करने के लिए कहा है.’
आयकर विभाग का कहना कि नोवेल के आईटी रिटर्न दिखाते हैं कि उन्होंने गुड़गांव की एक चारमंजिला इमारत का ग्राउंड फ्लोर शकुंतला लवासा को 1.73 करोड़ रुपये में बेचा है और 2017-18 के अपने आईटी रिटर्न में शकुंतला ने इसी संपत्ति को ‘सेल्फ-ऑक्युपाइड’ दिखाया है.
हालांकि संपत्ति के ट्रांसफर के दस्तावेज दिखाते हैं कि 27 दिसंबर 2018 को यह संपत्ति नोवेल ने अशोक लवासा को गिफ्ट में दी, जिन्होंने 21 जनवरी 2019 को इसे अपनी बहन शकुंतला को उपहार में दे दिया.
इस अखबार द्वारा प्राप्त आयकर विभाग की रिपोर्ट में लिखा है, ‘प्रथमदृष्टया ऐसा लगता है कि नोवेल लवासा और डॉ. शकुंतला लवासा द्वारा स्टांप चोरी की गयी है. इन दोनों के बीच अचल संपत्ति के ‘बिक्री’ के लेनदेन को ‘उपहार’ के रूप में दिखाया गया- पहले नोवेल लवासा ने (अपने पति) अशोक लवासा को यह संपत्ति दी, जिन्होंने इसे (उनकी बहन) शकुंतला लवासा को दिया.’
2014 में हरियाणा सरकार द्वारा दिए एक आदेश के अनुसार विशेष रूप से, रक्त संबंधियों और जीवनसाथी के बीच अचल संपत्ति को उपहार में देने पर स्टांप ड्यूटी से छूट दी गई है, इसलिए इस तरह की संपत्ति के ट्रांसफर में स्टांप ड्यूटी नहीं लगती.
लवासा परिवार ने आयकर विभाग के स्टांप चोरी के आरोपों से इनकार किया है. अशोक लवासा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘स्टांप ड्यूटी की कोई चोरी नहीं हुई है, उत्तरदायी व्यक्ति द्वारा लागू दरों के अनुसार इसका भुगतान किया गया है. यह विभाग की जिम्मेदारी है कि वे तथ्यों का पता लगाए और इस तरह की चुनिंदा जानकारी लीक करने में न संलिप्त हों.’
बीते कई महीनों से लवासा का परिवार आयकर विभाग के निशाने पर है. हाल के महीनों में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा अशोक लवासा के परिवार के चार सदस्यों को जांच के दायरे में रखा गया है.
बीते नवंबर में आई एक रिपोर्ट के अनुसार लवासा के बेटे अबीर लवासा की कथित रूप से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत जांच की जा रही है. साथ ही उस कंपनी की भी जांच की जा रही है जिसके वे निदेशक हैं.
मालूम हो कि अशोक लवासा ने ही लोकसभा चुनाव के दौरान पांच मौकों पर चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह को चुनाव आयोग द्वारा दी गई क्लीन चिट का विरोध किया था.
इससे पहले यह खुलासा हुआ था कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की 11 कंपनियों को पत्र लिखकर कहा था कि वे अपने रिकॉर्ड्स खंगालकर बताएं कि 2009-2013 के दौरान विद्युत मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने कहीं अपने प्रभाव का अनुचित इस्तेमाल तो नहीं किया था.
सितंबर महीने में अशोक लवासा के परिवार के तीन सदस्यों को आयकर विभाग का नोटिस मिला, जिसमें उनकी पत्नी नोवेल लवासा, बहन शकुंतला और बेटे अबीर लवासा शामिल हैं. इन सभी को आयकर की घोषणा न करने और अघोषित संपत्ति के आरोप में नोटिस भेजा गया था. इस मामले में कार्यवाही जारी है.
अशोक लवासा की बहन शकुंतला पेशे से बाल रोग चिकित्सक हैं, जबकि उनकी पत्नी नोवेल पूर्व बैंकर हैं और कई कंपनियों की निदेशक रह चुकी हैं. जबकि उनके बेटे अबीर नॉरिश ऑर्गेनिक फूड्स लिमिटेड नामक कंपनी के निदेशक हैं.