केंद्र की मोदी सरकार ने बीते पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने संबंधी अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने का फैसला किया था. कश्मीर घाटी में अब भी मोबाइल इंटरनेट सेवा पर बहाल नहीं की गई है.
श्रीनगर: लद्दाख के कारगिल जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं शुक्रवार को बहाल कर दी गई. अधिकारियों ने बताया कि केंद्र द्वारा पांच अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के बाद से यहां 145 दिन तक इंटरनेट सेवा निलंबित थी.
केंद्र की मोदी सरकार ने बीते पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने संबंधी अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने का फैसला किया था. फैसले के तहत जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र की अपनी विधायिका होगी जबकि लद्दाख बिना विधायिका वाला केंद्रशासित क्षेत्र होगा.
इस फैसले की घोषणा के कुछ घंटे पहले ही कानून और व्यवस्था बनाए रखने के हवाला देकर जम्मू कश्मीर प्रशासन ने संचार की सभी लाइनों- लैंडलाइन टेलीफोन सेवा, मोबाइल फोन सेवा और इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया था.
बता दें कि कश्मीर के कुछ सरकारी दफ्तरों और कारोबारी प्रतिष्ठानों को छोड़कर समूची घाटी में इंटरनेट सेवाएं बीते पांच अगस्त से लगातार बंद चल हैं. इसके बाद पहले लैंडलाइन टेलीफोन सेवाएं धीरे-धीरे बहाल की गईं. बाद में पोस्टपेड मोबाइल सेवाएं बहाल हुईं. हालांकि प्रीपेड मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं अब भी बहाल नहीं हुई हैं.
बहरहाल कारगिल से अधिकारियों ने बताया कि बीते चार महीने में कोई अप्रिय घटना यहां नहीं घटी है और हालात पूरी तरह से सामान्य हो चुके हैं. इसे देखते हुए सेवाएं बहाल की गई हैं. उनका कहना है कि स्थानीय धार्मिक नेताओं ने लोगों से अपील की है कि वे इस सुविधा का गलत फायदा न उठाएं.
यहां ब्रॉडबैंड सुविधा पहले से चल रही थी.
कश्मीर से अर्धसैनिक बलों के सात हज़ार जवानों को वापस भेजने के बाद तीन दिन बाद सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया था. पांच अगस्त के बाद घाटी में हजारों की संख्या में सेना के जवान तैनात किए गए हैं.
मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद श्रीनगर से बड़ी संख्या में राजनीतिक कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों को उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में रखा गया है. इस बीच मुख्यधारा के बहुत सारे नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में अब भी रखे गए हैं.
हाल ही में केंद्र सरकार ने राज्यसभा में जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से दिए गए आंकड़ों के आधार पर बताया था कि जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए घाटी में चार अगस्त से 5161 लोगों को हिरासत में लिया गया था. इनमें से 609 लोगों को एहतियाती तौर पर हिरासत में लिया गया है.
सरकार ने बताया था कि नवंबर, 2019 तक जम्मू कश्मीर की जेलों में 3248 लोग बंद थे, जबकि उत्तर प्रदेश में 234 और हरियाणा में 27 कैदी बंद थे.
इतना ही नहीं बीते दिनों जम्मू कश्मीर प्रशासन ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और तीन बार मुख्यमंत्री रहे फारूक अब्दुल्ला की हिरासत अवधि तीन महीने के लिए बढ़ा दी है. फारूक अब्दुल्ला के अलावा उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती भी बीते पांच अगस्त से हिरासत में हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)