नासिक में किसान ने की ख़ुदकुशी, फायरिंग में 6 किसानों की मौत के विरोध में मध्य प्रदेश बंद

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सातवें दिन किसानों का आंदोलन जारी. मप्र में पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत के बाद कई इलाक़ों में कर्फ़्यू.

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पिपलियामंडी में हिंसा के बाद का एक दृश्य. (फोटो: पीटीआई)

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सातवें दिन किसानों का आंदोलन जारी. मप्र में पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत के बाद कई इलाक़ों में कर्फ़्यू.

पिपलियामंडी में हिंसा के बाद का एक दृश्य. (फोटो: पीटीआई)
मंदसौर में हिंसा के बाद का एक दृश्य. (फोटो: पीटीआई)

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में छह दिन से जारी किसान आंदोलन के बीच मंगलवार को एक किसान ने ख़ुदकुशी कर ली. समाचार एजेंसी भाषा ने ख़बर दी है कि महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के येओला तहसील में एक किसान के आत्महत्या कर ली. दूसरी तरफ़ मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस फायरिंग में हुई छह किसानों की मौत के विरोध में कांग्रेस और भारतीय किसान मज़दूर संघ ने प्रदेश बंद का आह्वान किया है. प्रदेश के कई इलाक़ों में कर्फ़्यू लगा दिया गया है.

एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि ज़िले के पिंपरी गांव निवासी नवनाथ चंगदेव भालेराव ने एक ज़हरीला रसायन खाकर अपना जीवन समाप्त कर लिया.

नासिक ज़िले में आंदोलन के जारी रहने के बीच पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 144 के तहत 19 जून तक निषेधाज्ञा लगा दी है.

लासलगांव एपीएमसी के अध्यक्ष जयदत्त होलकर ने कहा कि ज़िले में सभी 17 कृषि उत्पाद बाज़ार समितियां (एपीएमसी) और 20 उप-एपीएमसी मंगलवार को भी बंद रहे और प्याज की नीलामी नहीं हो सकी.

नासिक ज़िले के चांदवाड तहसील में वाकी बुडरक निवासी एक किसान गोरख सवालीराम कोकाने ने अपने घर में फांसी लगाकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली.

दैनिक भास्कर के मुख्य पृष्ठ पर छपी ख़बर
दैनिक भास्कर के मुख्य पृष्ठ पर छपी ख़बर

गौरतलब है कि देश में क़र्ज़, फ़सल ख़राब होने और भुखमरी सबसे ज़्यादा किसान आत्महत्याएं महाराष्ट्र में दर्ज हुई हैं. पिछले 20 सालों से जारी इन आत्महत्याओं को रोकने के लिए अभी तक कोई ठोस उपाय नहीं किए जा सके हैं.

महाराष्ट्र में आंदोलन जारी

नासिक में आंदोलन मंगलवार को भी जारी रहा. सब्ज़ियां लेकर मुंबई जा रहे कई वाहनों को प्रदर्शनकारियों ने रोक दिया. प्रदर्शनकारी किसानों ने निफद तहसील के नैतेल में गांव के राजस्व अधिकारी के कार्यालय को बंद कर दिया.

सब्ज़ियां लेकर मुंबई जा रहे ट्रकों को पड़ोसी अहमदनगर ज़िले में भी प्रदर्शनकारियों ने रोका. एक अधिकारी ने बताया कि सब्ज़ियां और फल लेकर जा रहे कई ट्रकों को भी रोका गया. प्रदर्शनकारियों ने दूध के एक टैंकर के पहिये को पंक्चर किया और कुछ स्थानों पर पुलिस ने उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठी चार्ज किया.

किसान समूह ने परभनी ज़िले के मनवत, सतारा, नांदेड़, कोल्हापुर और सांगली जिले में भी सरकारी कार्यालयों को बंद किया. कोल्हापुर ज़िले में गोकुल और वर्णा जैसी बड़ी डेयरियों ने दूध का संग्रहण जारी रखा. ये दोनों डेयरियां मुंबई में पैकेज्ड दूध की बड़ी आपूर्तिकर्ता हैं.

किसानों की मौत के बाद जमकर हुई हिंसा

मध्य प्रदेश में मंगलवार को हिंसक हुए किसान आंदोलनकारियों पर पुलिस ने फायरिंग की थी जिसमें छह किसानों की मौत हो गई, व कई अन्य घायल हो गए.

मध्य प्रदेश के प्रमुख अख़बार दैनिक भास्कर के मुताबिक, ‘मंदसौर, पिपलियागढ़, नारायणगढ़ और मल्हारगढ़ में कर्फ़्यू लगा दिया है. मंदसौर समेत कुछ ज़िलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से आपात बैठक बुलाई और मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ मुआवज़ा देने की घोषणा की.’

अख़बार के मुताबिक, ‘मंगलवार को आंदोलनकारियों ने 25 ट्रकों में आग लगा दी और क़रीब 20 ट्रकों को तोड़ दिया. मुख्यमंत्री शिवराज चौहान का कहना है कि तोड़फोड़ और हिंसा करने वाले लोग किसान नहीं है, वे अराजकतत्व और कांग्रेसी हैं.’

पत्रिका अख़बार के मुख्य पृष्ठ पर छपे कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह ने कहा है कि ‘पुलिस सीआरपीएफ की फायरिंग से किसानों की मौत नहीं हुई है. मरने वाले अराजक तत्व हैं. अराजक तत्व ही किसानों के बीच हिंसा फैला रहे थे.’

भाषा के मुताबिक, ‘विपक्षी दल कांग्रेस ने किसानों पर फायरिंग के बाद इसे इतिहास का कालादिन बताया है.’

कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा के मुताबिक, कांग्रेस राहुल गांधी आज मंदसौर दौरे पर जाएंगे और किसानों से मुलाक़ात करेंगे. दूसरी ओर, गुजरात में पाटीदार आंदोलन की अगुवाई कर चुके हार्दिक पटेल भी मंदसौर पहुंचेंगे.

राष्ट्रपति शासन की मांग

पत्रिका के मुताबिक, भारतीय किसान मज़दूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कक्काजी ने राष्ट्रपति शासन की मांग की है. उन्होंने कहा, मध्य प्रदेश सरकार हत्यारी है. शांतिपूर्ण आंदोलन का दमन करने के लिए सरकार ने असामाजिक तत्वों को आंदोलन में शामिल किया और हिंसा हुई. यदि हालात नियंत्रण से बाहर होते हैं तो इसकी ज़िम्मेदार केंद्र सरकार होगी.

कृषि उत्पादों के उचित मूल्य, क़र्ज़ माफ़ी और अन्य मांगों को लेकर किसान एक जून से पश्चिमी मध्य प्रदेश में आंदोलन कर रहे हैं. यह आंदोलन मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में हो रहा है. एक जून से किसानों ने फल सब्ज़ी और दूध आदि की आपूर्ति रोक दी है, जिससे दोनों राज्यों में कारोबार ठप हो गया है और कृषि उत्पादों की किल्लत से जनजीवन प्रभावित हुआ है.

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, मंदसौर में कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मृतकों के शरीर पर कथित तौर पर गोली के निशान हैं लेकिन ज़िला प्रशासन ने किसानों के उग्र होने के बावजूद उन पर पुलिस फायरिंग से इंकार किया है.

कलेक्टर एसके सिंह ने इस घटना में पांच लोगों की मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि इसकी न्यायिक जांच कराने के आदेश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि पुलिस को आंदोलन कर रहे किसानों पर किसी भी स्थिति में गोली नहीं चलाने के आदेश दिए गए थे.

मुख्यमंत्री शिवराज चौहान, गृहमंत्री और कलेक्टर समेत पूरा प्रशासन पुलिस की गोलीबारी से पल्ला झाड़ चुका है और न्यायिक जांच का आदेश दिया गया है.

कलेक्टर ने बताया कि मरने वालों की पहचान मंदसौर के रहने वाले कन्हैयालाल पाटीदार, बबलू पाटीदार, चेन सिंह सिंह पाटीदार, अभिषेक पाटीदार और सत्यनारायण के तौर पर की गयी है.

कलेक्टर सिंह ने बताया, ‘पुलिस ने हमें बताया कि पुलिस ने न तो गोली चलाई और न ही गोली चलाने के आदेश दिए.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)