एक साक्षात्कार में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि एनपीआर आंकड़ों का इस्तेमाल कभी भी एनआरसी के लिए नहीं किया जा सकता है. यहां तक कि कानून भी अलग-अलग हैं…मैं सभी लोगों, खासकर अल्पसंख्यकों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि एनपीआर का इस्तेमाल एनआरसी के लिए नहीं किया जाएगा. यह एक अफवाह है.
नई दिल्ली: देशभर में विरोध का कारण बने विवादित नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर बोलते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देशव्यापी एनआरसी के लिए एक व्यवस्थित न्यायिक प्रक्रिया अपनाई जाएगी जिसके तहत राज्य सरकारों के साथ सलाह-मशवरा किया जाएगा. राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के लिए एकत्रित किए जाने वाले कुछ आंकड़ों का इस्तेमाल एनआरसी के लिए कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कानून मंत्री का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा की सहयोगी जदयू के नेतृत्व वाली बिहार सहित आधे दर्जन से अधिक राज्यों ने देशव्यापी एनआरसी को लागू करने का विरोध किया है. वहीं, इनमें से दो राज्यों ने कहा है कि वे एनपीआर को लागू नहीं करेंगी क्योंकि यही एनआरसी लागू करने की दिशा में पहला कदम हो सकता है.
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, ‘एनपीआर एक डेटाबेस है जिसके आधार पर नीतियां बनती हैं. एनआरसी एक प्रक्रिया है जिसमें लोगों से उनकी नागरिकता साबित करने के लिए कहा जाता है. दोनों प्रक्रियाओं के बीच कोई संबंध नहीं है, न ही उनका इस्तेमाल एक-दूसरे के सर्वे में होगा. एनपीआर आंकड़ों का इस्तेमाल कभी भी एनआरसी के लिए नहीं किया जा सकता है. यहां तक कि कानून भी अलग-अलग हैं…मैं सभी लोगों, खासकर अल्पसंख्यकों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि एनपीआर का इस्तेमाल एनआरसी के लिए नहीं किया जाएगा. यह एक अफवाह है.’
एनआरसी को कब लागू किया जाएगा पूछे जाने पर प्रसाद ने कहा, ‘एक फैसला लेना होगा. इसकी एक कानूनी प्रक्रिया है. पहले एक फैसला लिया जाएगा फिर नोटिफिकेशन जारी होगा फिर प्रक्रिया के तहत प्रमाणिकरण, आपत्तियां, आपत्तियों की सुनवाई और अपील का अधिकार मिलेगा.’
उन्होंने कहा, ‘इसके लिए राज्य सरकारों के साथ सलाह-मशवरा किया जाएगा, उनकी राय ली जाएगी. अगर कुछ किया जाना है तो वह सार्वजनिक तौर पर होगा. एनआरसी पर कुछ भी चोरी-छिपे नहीं होगा.’
एनपीआर की प्रक्रिया शुरू करने के केंद्र सरकार के फैसले का बचाव करते हुए प्रसाद ने कहा कि यह इसलिए आवश्यक है क्योंकि जनगणना के आंकड़ों को किसी विभाग को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है. वहीं, एनपीआर के आंकड़ों का इस्तेमाल कल्याणकारी योजनाएं उपलब्ध कराने के लिए किया जाएगा.
एनपीआर के आंकड़ों में से माता-पिता और उनके जन्मस्थान की जानकारी का इस्तेमाल एनआरसी में किए जाने के बारे में पूछे जाने पर प्रसाद ने कहा, ‘पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा. कुछ (एनपीआर आंकड़ों) का इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं सकते हैं…लेकिन यहां मुझे एक बड़े सवाल का जवाब देने दीजिए.’
उन्होंने कहा, ‘कोई भी व्यक्ति वोट कर सकता है लेकिन वोट देने के लिए आपका नाम वोटर लिस्ट में होना चाहिए. इसलिए अगर आप नागरिक हैं और वोटर लिस्ट में नहीं हैं तो एक नागरिक वोट नहीं कर सकता है. वोटर लिस्ट की समीक्षा होती है. इसी तरह, पासपोर्ट और पैन कार्ड के लिए भी कई तरह के आंकड़े लिए जाते हैं. पासपोर्ट एक्ट के तहत माता-पिता की जानकारी ली जाती है, यहां तक की वोटर लिस्ट में भी माता-पिता की जानकारी होती है. इसलिए यह कहना कि केवल एनपीआर माता-पिता के आंकड़े इकट्ठे करता है…मैं यह नहीं समझ पाता हूं.’