राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह टिप्पणी कोटा के जेके लोन अस्पताल में 48 घंटे में दस बच्चों की मौत होने के मामले में बोलते हुए की है, जिसमें नवजात शिशु भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि बीते छह साल में सबसे कम जानें इस साल गई हैं. एक बच्चे की मौत भी दुर्भाग्यपूर्ण है.
जयपुरः राजस्थान के कोटा के जेके लोन अस्पताल में दिसंबर महीने में 77 बच्चों और बीते दो दिनों में 10 बच्चों की हुई मौतों के मामले पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश के हर अस्पताल में रोजाना तीन-चार मौतें होती हैं. मरने वालों में नवजात शिशु भी हैं.
उन्होंने कहा कि इस साल बीते छह सालों के मुकाबले सबसे कम बच्चों की मौतें हुई हैं.
अशोक गहलोत ने कहा, ‘आंकड़ें बताऊं तो सबसे कम बीते छह साल में सबसे कम जानें इस साल गई हैं. एक बच्चे की मौत भी दुर्भाग्यपूर्ण है. पहले एक साल में 1300, 1400 और 1500 मौतें भी हुई हैं लेकिन इस साल लगभग 900 बच्चों की मौत हुई है. 900 भी क्यों हुई हैं, वह भी नहीं होनी चाहिए. देश-प्रदेश के अंदर हर दिन हर अस्पताल के अंदर तीन-चार मौतें होती हैं. इसमें कोई नई बात नहीं है. इसके लिए उन्होंने जांच कराई है और एक्शन भी लिया है.’
Rajasthan CM on Kota child deaths: This year has least deaths in last 6 yrs. Even 1 child death is unfortunate.But thr hv been 1500,1300 deaths in a year in past,this year figure is 900.There are daily few deaths in every hospital in state&country,nothing new.Action being taken pic.twitter.com/86oSvPsGA3
— ANI (@ANI) December 28, 2019
कोटा के जेकेलोन मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में दस नवजात बच्चों की अचानक मौत हो गई थी। इस महीने इसी अस्पताल में 77 बच्चों की मौत हो चुकी है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि सरकार ने जांच में अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ एचएल मीणा को इन मौतों के लिए जिम्मेदार मानते हुए उन्हें शनिवार को उनके पद से हटा दिया है और उनकी जगह डॉ सुरेश दुलारा को प्रभार दिया है.
भाजपा के राज्य अध्यक्ष सतीश पुनिया ने कहा कि वह राज्यपाल से इस मामले को देखने का आग्रह करेंगे क्योंकि उन्हें सरकार की ओर से इन मामले में गंभीर लापरवाही का पता चला है.
पुनिया ने कहा, अस्पताल में जीवनरक्षक उपकरणों की कमी है. अस्पताल में अपर्याप्त वेंटिलेंट, नेबुलाइर और वॉर्मर हैं. अस्पताल में स्वच्छता की कमी है जिसकी वजह से बच्चों के संक्रमित होने की अत्यधिक संभावना है.
इससे पहले मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की समीक्षा की थी और अधिकारियों से इलाजरत बच्चों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया था.
मालूम हो कि कोटा के जेके लोन अस्पताल में इस महीने 77 से ज्यादा बच्चों और दो दिनों में 10 बच्चों की मौत हो चुकी है. इसमें नवजात शिशु भी शामिल हैं.
अस्पताल का कहना है कि बीते दो दिनों में ही जिन 10 बच्चों की मौत हुई है, उनकी स्थिति काफी गंभीर थी और वे वेंटिलेटर पर थे.
अस्पताल ने दावा किया है कि 23 और 24 दिसंबर को जिन पांच नवजात शिशुओं की मौत हुई वे सिर्फ एक दिन के थे और भर्ती करने के कुछ ही घंटों के भीतर उन्होंने आखिरी सांस ली.
अस्पताल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वे हाइपॉक्सिक इस्केमिक इंसेफ्लोपैथी से पीड़ित थे.