ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से कहा गया है कि उत्तर प्रदेश से ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं जिनमें पुलिसकर्मी कथित तौर पर हिंसा, तोड़फोड़ और आगज़नी करते हुए दिखाई दे रहे हैं. इन पर भी वैसी ही कार्रवाई होनी चाहिए जैसी वीडियो फुटेज में आने वाले अन्य लोगों पर की जा रही है.
लखनऊ: संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ उत्तर प्रदेश में हाल में हुई हिंसा के दौरान पुलिस द्वारा गोलीबारी और आगजनी के कई वीडियो सामने आने के बीच ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने ऐसे पुलिसकर्मियों को निलंबित कर मुकदमा दर्ज करने और उनसे सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई किए जाने की मांग की है, जिनके कथित तौर पर तोड़फोड़, हिंसा एवं आगजनी में शामिल होने के वीडियो सामने आए हैं.
बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने सोमवार को मीडिया से कहा कि वह उन लोगों की भी निंदा करते हैं, जिन्होंने सीएए के विरोध के नाम पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. साथ ही उन पुलिसकर्मियों की भी निंदा करते हैं जिन्होंने कानून-व्यवस्था बनाए रखने की आड़ में जुल्म किए.
उन्होंने प्रदेश में प्रशासन द्वारा जगह-जगह हुई हिंसा के दौरान महज सीसीटीवी फुटेज में आने पर लोगों को वसूली की नोटिस भेजे जाने को गलत बताते हुए कहा कि फुटेज में ऐसे बेकसूर लोग भी आए होंगे, जो उस वक्त हालात खराब होते देखकर भागने की कोशिश कर रहे थे.
अब्बास ने कहा कि अब ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं जिनमें पुलिसकर्मी कथित तौर पर हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी करते हुए दिखाई दे रहे हैं. इन पुलिसकर्मियों पर भी वैसी ही कार्रवाई होनी चाहिए जैसी वीडियो फुटेज में आने वाले अन्य लोगों पर की जा रही है.
उन्होंने मांग की कि ऐसे पुलिसकर्मियों को फौरन निलंबित करके उन पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए और उनसे सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई भी की जानी चाहिए.
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में हुई हिंसा के संबंध में विभिन्न शहरों की पुलिस और जिला प्रशासन ने लोगों को नोटिस भेजकर नुकसान हुए सार्वजनिक संपत्ति की भरपाई करने के लिए कहा है.
मालूम हो कि हाल ही में फिल्मकार और संगीतकार विशाल भारद्वाज ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा कथित तौर पर तोड़-फोड़ किए जाने की खबरों पर निराशा जताई थी.
उन्होंने कहा था, ‘उत्तर प्रदेश पुलिस क्या कर रही है, एनडीटीवी पर यह देख कर बड़ी निराशा हुई. सीसीटीवी तोड़ना और सार्वजनिक संपत्ति को क्षतिग्रस्त करना, नुकसान पहुंचाना. अब क्या? क्या इसकी कोई न्यायिक जांच होगी?’
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हिंसा की विभिन्न घटनाओं में अब तक 21 लोगों की मौत हुई है. बीते 26 दिसंबर को पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, 288 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिनमें से 61 गोली लगने से जख्मी हुए हैं.
उन्होंने बताया था कि 327 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं. 1,113 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि 5,558 लोगों को एहतियातन हिरासत में लिया गया है. इसके अलावा सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट के संबंध में 124 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर 19 हज़ार से ज़्यादा प्रोफाइल ब्लॉक किए गए हैं.
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चेतावनी दी थी कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, उनसे बदला लिया जाएगा. नुकसान की भरपाई की जाएगी.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)