रतन टाटा के पद से हटने के बाद 2012 में साइरस मिस्त्री टाटा संस के प्रमुख बने थे. अक्टूबर 2016 में उन्हें टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था. इसके बाद मिस्त्री की याचिका पर सुनवाई करते हुए एनसीएलएटी ने बीते 18 दिसंबर को उन्हें टाटा संस के चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था.
नई दिल्ली: टाटा संस ने साइरस मिस्त्री को समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने के एनसीएलएटी के 18 दिसंबर के फैसले के खिलाफ बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. टाटा समूह ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है.
अपीलीय न्यायाधिकरण ने 18 दिसंबर को दिये अपने 172 पृष्ठ के आदेश में पद से हटाये गये मिस्त्री को टाटा संस का चेयरमैन बहाल करने का आदेश दिया था. न्यायाधिकरण ने इसके साथ ही समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर एन. चंद्रशेखर की नियुक्ति को ‘अवैध’ ठहराया था.
अपीलीय न्यायाधिकरण ने टाटा संस को पब्लिक फर्म से बदलकर प्राइवेट फर्म बनाने की कार्रवाई को भी रद्द कर दिया. न्यायाधिकरण ने कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाले कंपनी पंजीयक (आरओसी) को ‘टाटा संस’ का दर्जा प्राइवेट कंपनी से वापस बदलकर पब्लिक कंपनी करने को कहा था.
मामले से जुड़े एक वकील ने कहा, ‘हमने एनसीएलएटी के फैसले को पूर्ण रूप से चुनौती दी है.’
याचिका में शीर्ष न्यायालय से अपीलीय न्यायाधिकरण के निष्कर्षों को खारिज करने या रद्द करने की मांग की गई है. अपीलीय न्यायाधिकरण ने माना था कि समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा की मिस्त्री के खिलाफ कार्रवाई उत्पीड़नकारी थी.
एनसीएलएटी ने टाटा संस को मिस्त्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का भी निर्देश दिया है. मिस्त्री परिवार के पास टाटा संस में 18 प्रतिशत हिस्सेदारी है. शेष 81 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट और टाटा समूह की कंपनियों के साथ टाटा परिवार के सदस्यों के पास है.
एनसीएलएटी ने कहा था कि बहाली आदेश चार सप्ताह बाद प्रभावी होगा. निर्णय के अनुसार, टाटा संस इस अवधि में चाहे तो निर्णय के विरुद्ध अपील कर सकती है.
वहीं, आरओसी ने एनसीएलएटी के आदेश में कुछ संशोधन किये जाने के लिए न्यायाधिकरण से अपील की है.
कंपनी पंजीयक ने एनसीएलएटी में दायर अपनी याचिका में, मामले में पक्ष बनाये जाने और अपने हालिया आदेश में ‘गैरकानूनी’ और ‘आरओसी की मदद से’ जैसे शब्दों को हटाने का आग्रह किया था.
एनसीएलएटी के फैसले के पांच दिन बाद दायर आवेदन में मुंबई स्थिति आरओसी ने न्यायाधिकरण से फैसले के पैरा 186 और 187 (4) में जरूरी संशोधन का आग्रह किया है ताकि आरओसी की भूमिका गलत नहीं बल्कि कंपनी कानून के प्रावधानों के तहत सही दिखे.
इसके अलावा, टाटा संस को जल्दबाजी में आरओसी मुंबई द्वारा दी गयी किसी प्रकार की मदद की बात को भी हटाने का आग्रह किया गया है.
आरओसी ने कहा कि उसने उचित तरीके से काम किया और टाटा संस लि. की ओर से जब कंपनी का दर्जा बदलने की सूचना दी गई तो अपीलीय न्यायाधिकरण ने नौ जुलाई, 2018 के आदेश पर किसी तरह का स्थगन नहीं दिया था.
एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में इस अपील की सुनवाई कर रही दो सदस्यीय पीठ ने कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को कंपनी अधिनियम के नियमों के तहत निजी और सार्वजनिक कंपनियों की परिभाषा का विवरण जमा करने के लिए कहा है. पीठ ने इसके लिए चुकता पूंजी की जरूरत पर स्पष्टीकरण भी मांगा है.
अब एनसीएलएटी, कंपनी पंजीयक की याचिका पर अब शुक्रवार को सुनवाई करेगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)