सीएए: शाह ने कहा- एक इंच पीछे नहीं हटेंगे, केरल सीएम ने 11 ग़ैर-भाजपाई मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 11 गैर-भाजपाई मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा है कि वे सीएए को रद्द करने की मांग से जुड़ा विधेयक पारित करने के लिए उनके राज्य की विधानसभा का अनुकरण करें. दूसरी ओर भाजपा नागरिकता संशोधन क़ानून के समर्थन में जनजागरण अभियान शुरू कर दिया है.

पिनाराई विजय और अमित शाह. (फोटो: पीटीआई)

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 11 गैर-भाजपाई मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा है कि वे सीएए को रद्द करने की मांग से जुड़ा विधेयक पारित करने के लिए उनके राज्य की विधानसभा का अनुकरण करें. दूसरी ओर भाजपा नागरिकता संशोधन क़ानून के समर्थन में जनजागरण अभियान शुरू कर दिया है.

पिनाराई विजय और अमित शाह. (फोटो: पीटीआई)
पिनाराई विजय और अमित शाह. (फोटो: पीटीआई)

जोधपुर/सिलीगुड़ी: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर केंद्र एक इंच भी पीछे नहीं हटेगा, वहीं नए कानून को लेकर बढ़ती सियासी कटुता के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान के ‘राजदूत’ हैं.

इस विवादित कानून के पक्ष और विपक्ष में देश के कई इलाकों में रैलियां होने के बीच केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 11 गैर-भाजपाई मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा कि वे सीएए को रद्द करने की मांग से जुड़ा विधेयक पारित करने के लिए उनके राज्य की विधानसभा का अनुकरण करें. माकपा के वरिष्ठ नेता विजयन ने कहा कि लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को बचाए रखने के लिए देश में एकजुटता की जरूरत है.

पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने भी शुक्रवार को इस कानून को लेकर सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार का यह कदम ‘आत्मघाती गोल’ है जिसने भारत को ‘अलग-थलग’ कर लिया है और देश एवं विदेश में इसके विरुद्ध आवाज उठाने वालों की सूची काफी लंबी है.

बीते शुक्रवार को शाह ने राजस्थान के जोधपुर के कमला नेहरू नगर में सीएए के समर्थन में पार्टी के जनजागरण अभियान की शुरुआत करते हुए कांग्रेस पर मुसलमानों को गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने पार्टी नेता राहुल गांधी को चुनौती दी कि अगर उन्होंने कानून पढ़ा है तो वह बहस कर लें.

शाह ने कहा, ‘आज कांग्रेस, ममता दीदी (बनर्जी), सपा, बसपा, (अरविंद) केजरीवाल एंड कंपनी, वामपंथी सभी सीएए का विरोध कर रहे हैं और मैं इन सभी दलों को चुनौती देने आया हूं. आप कह रहे हैं कि इससे अल्पसंख्यक अपनी नागरिकता खो देंगे.’

उन्होंने कहा, ‘राहुल बाबा, अगर आपने सीएए कानून पढ़ा है तो कहीं पर भी चर्चा करने के लिए आ जाओ और अगर नहीं पढ़ा है तो मैं इतालवी में इसका अनुवाद करके भेज देता हूं, उसको पढ़ लीजिए.’

उन्होंने कहा कि तीन करोड़ों लोगों तक पहुंचने के लिए भाजपा शनिवार से अभियान शुरू कर रही है जिसके तहत देशभर में 500 रैलियां निकाली जाएंगी.

भाजपा अध्यक्ष शाह ने कहा कि विपक्षी दलों द्वारा संशोधित कानून को लेकर किए गए दुष्प्रचार के कारण पार्टी ने यह अभियान शुरू किया है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विधानसभा क्षेत्र में आयोजित इस सभा में उन्होंने कहा, ‘ये सारी की सारी पार्टियां एक हो जाएं… भारतीय जनता पार्टी सीएए में एक इंच भी वापस नहीं हटने वाली.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एनआरसी और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की कोई चर्चा नहीं की.

वहीं ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए पूछा कि वह भारत की तुलना बार-बार पाकिस्तान से क्यों करते हैं. उन्होंने तंज कसते पूछा कि वह भारत के प्रधानमंत्री हैं या पाकिस्तान के राजदूत?

बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में आयोजित एक रैली में कहा कि यह शर्म की बात है कि आजादी के 70 साल बाद भी लोगों को अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ रही है.

उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा, ‘भारत एक बड़ा देश है जिसकी संस्कृति एवं विरासत समृद्ध है. प्रधानमंत्री नियमित रूप से हमारे देश की तुलना पाकिस्तान से क्यों करते हैं? आप भारत के प्रधानमंत्री हैं या पाकिस्तान के राजदूत?’

उन्होंने कहा, ‘आप हर मुद्दे पर पाकिस्तान का हवाला क्यों देते हैं? आपको (मोदी) हिंदुस्तान की बात करनी चाहिए. हम पाकिस्तान नहीं बनना चाहते. हम हिंदुस्तान से प्यार करते हैं.’

संशोधित नागरिकता कानून पर अपनी सरकार की स्थिति का बचाव करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दो जनवरी को कांग्रेस और उसके सहयोगियों को पाकिस्तान में पिछले 70 साल में वहां के धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुए अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने की चुनौती दी थी. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री अक्सर विपक्ष पर पाकिस्तान की भाषा बोलने का आरोप लगाते हुए उसकी आलोचना करते रहे हैं.

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी भारत में छाए आर्थिक संकट और बेरोजगारी से ध्यान हटाने के लिए बार-बार पाकिस्तान की बात करते रहते हैं.

Siliguri: West Bengal Chief Minister and Trinamool Congress supremo Mamata Banerjee addresses a protest rally against CAA, NRC and NPR, in Siliguri, Friday, Jan. 3, 2020. (PTI Photo) (PTI1 3 2020 000148B)
सिलीगुड़ी में रैली के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

उन्होंने भाजपा पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के क्रियान्वयन को लेकर जानबूझकर भ्रम पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसके नेता एक दूसरे से विरोधाभासी बयान दे रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘एक ओर प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा, दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्री एवं अन्य मंत्री दावा कर रहे हैं कि यह प्रक्रिया पूरे देश में लागू की जाएगी.’

इस पर पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रमुख एवं सांसद दिलीप घोष ने कहा, ‘(विभाजन के दौरान) पाकिस्तान के नेताओं ने कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की मांग की थी. ममता बनर्जी ने भी संशोधित नागरिकता कानून पर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह कराने की मांग की है. इससे यह साबित हो जाता है कि कौन पाकिस्तान की भाषा बोल रहा है.’

बहरहाल केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एक पत्र मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (दिल्ली), हेमंत सोरेन (झारखंड), उद्धव ठाकरे (महाराष्ट्र), नीतीश कुमार (बिहार), वाईएस जगनमोहन रेड्डी (आंध्र प्रदेश), कमल नाथ (मध्य प्रदेश), अमरिंदर सिंह (पंजाब), नवीन पटनायक (ओडिशा) और वी. नारायणसामी (पुदुचेरी) को लिखा है.

इस पत्र उन्होंने इन मुख्यमंत्रियों से अपील की है वे भी सीएए को रद्द करने की मांग से जुड़ा विधेयक पारित करने के लिए उनकी विधानसभा का अनुसरण करें. बीते 31 दिसंबर को सीएए के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शनों के बीच केरल विधानसभा ने इस विवादास्पद अधिनियम को वापस लेने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था. सीएए के खिलाफ किसी राज्य सरकार द्वारा उठाया गया यह पहला ऐसा कदम है.

मालूम हो कि इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ऐसा ही पत्र लिख चुके हैं.

इधर, भाजपा ने संशोधित नागरिकता कानून को लेकर कांग्रेस पर दोहरे चरित्र और सुविधा वाली राजनीति करने का आरोप लगाते हुए 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव के पार्टी के घोषणा-पत्र का उल्लेख किया, जिसमें पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के समग्र विकास का वादा किया गया था और जिसमें उनकी नागरिकता एवं पुनर्वास की बात भी शामिल थी.

भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने विपक्षी दल पर निशाना साधने के लिए कांग्रेस के घोषणा-पत्र का विवरण साझा किया.

वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में एक बैठक में कहा कि वह केंद्र सरकार से हाथ जोड़कर अनुरोध करते हैं कि विवादास्पद कानून को वापस ले ले.

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, ‘हमें इस कानून की कोई जरूरत नहीं, यह पूरी तरह से गैरजरूरी है. हम पाकिस्तान से आए दो करोड़ हिंदुओं को कहां रखेंगे.’

उन्होंने कहा कि यह कानून हिंदू और मुसलमान दोनों को प्रभावित करेगा. केजरीवाल ने कहा, ‘मुझे यह कानून समझ में नहीं आता. इस समय इस कानून की बजाय हमारे बच्चों को रोजगार देने की आवश्यकता है. इस कानून की भारत में जरूरत नहीं है.’

लेकिन केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून का विरोध करने वालों को ओबीसी और दलित विरोधी घोषित कर देना चाहिए.

गृह राज्य मंत्री राय ने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीड़न के कारण वहां से आने वाले लोगों में ज्यादातर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दलित वर्ग से हैं. उन्हें सम्मान देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीएए लेकर आए हैं.

वहीं कांग्रेस ने शाह से कहा कि राजग के घटक और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री सीएए को स्वीकार नहीं कर रहे, लेकिन प्रधानमंत्री और वह विपक्ष पर निशाना साध रहे हैं.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, ‘अमित शाह जी, मोदी जी और आपको देश की जनता ने काम करने के लिए प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री बनाया है. रोटी और रोजगार के लिए बनाया है. राहुल गांधी जी और विपक्षी नेताओं को गाली देने के लिए नहीं बनाया है.’

सुरजेवाला ने एक ट्वीट कर कहा, ‘अब तो आपके अपने मित्र दल ही इस विभाजनकारी सीएए को नहीं मान रहे हैं. क्या हमें आपको हिंदी अनुवाद भेजना चाहिए.’

वहीं माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भाजपा पर हिंदू वोट बैंक के ध्रुवीकरण की गंदी राजनीति करने का आरोप लगाया. येचुरी सीएए के खिलाफ माकपा द्वारा गुवाहाटी में आयोजित एक रैली को संबोधित कर रहे थे.

मालूम हो कि बीते 11 दिसंबर को संसद से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के बाद से देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. बीते 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही ये विधेयक अब कानून बन गया है.

इस विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है. नागरिकता संशोधन विधेयक में उन मुसलमानों को नागरिकता देने के दायरे से बाहर रखा गया है जो भारत में शरण लेना चाहते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)