रविवार को देर शाम जेएनयू में बड़ी संख्या में बाहर से आए नकाबपोश लोगों ने छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया. इस दौरान जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष समेत कई छात्रों और शिक्षकों को गंभीर चोटें आईं.
नई दिल्ली: रविवार पांच जनवरी की देर शाम जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में बड़ी संख्या में बाहर से आए नकाबपोश लोगों ने जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष समेत छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया. इस दौरान आईशी घोष और दो-तीन शिक्षकों समेत 30 से अधिक छात्र-छात्राएं घायल हो गए.
जेएनयू छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) का दावा है कि यह हमला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के लोगों द्वारा किया गया है. इससे पहले शनिवार (चार जनवरी) को भी परिसर में छात्रों के बीच तनातनी की ख़बरें सामने आई थीं.
वहीं, रविवार देर रात हुई हिंसा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए सोमवार को जेएनयू के छात्र विश्वविद्यालय की पूर्वी गेट के सामने जमा हुए थे. इसे देखते हुए अतिरिक्त सुरक्षा बल को वहां तैनात कर दिया गया है.
Delhi: Jawaharlal Nehru University (JNU) students gather in front of the North Gate of the university, to protest against #JNUViolence. pic.twitter.com/Xd9IgHf96G
— ANI (@ANI) January 6, 2020
जेएनयू में साबरमती हॉस्टल के गेट पर कांच के टुकड़े बिखरे हुए थे और लाइट नहीं जल रही थी. कुछ कमरों को छोड़कर अधिकतर पर हमला बोला गया, आयरन रॉड और हॉकी स्टिक से दरवाजों को तोड़ने की कोशिश की गई. दरवाजों के ऊपर लगे कांच की खिड़कियों को तोड़ दिया गया था. हॉस्टल में चारों तरफ कांच के टुकड़े फैले हुए थे.
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ रिजनल डेवलपमेंट (सीएसआरडी) के छात्र चंद्रमणि ने बताया, ‘पिछले दो महीने से हम फीस बढ़ोतरी का विरोध कर थे. इस दौरान जेएनयू प्रशासन ने सेमेस्टर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए अलग-अलग समय पर नोटिफिकेशन निकाला था, जबकि छात्रों ने इसका बायकॉट किया था. एबीवीपी के लोग जबरदस्ती चाहते थे कि रजिस्ट्रेशन हो और क्लास चले. वह खुद का रजिस्ट्रेशन करवा सकते थे और बाकी लोगों से शांति से बात कर सकते थे, लेकिन वे हिंसक हो गए. उन्होंने सिर्फ और सिर्फ रजिस्ट्रेशन न कराने के कारण हमारे जेएनयूएसयू अध्यक्ष और महासचिव की पिटाई की.’
उन्होंने आगे बताया, ‘एबीवीपी पूरी तरह से प्रशासन का हिस्सा हो गया है और उनकी चमचागिरी में लगा है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ वाम संगठनों से जुड़े छात्रों को मारा गया है, बल्कि आम छात्रों को भी बक्शा गया. वे एक-एक छात्र से पूछ रहे थे कि रजिस्ट्रेशन कराया है? और जब छात्र कहते थे कि वे बायकॉट कर रहे हैं तो वे उनकी पिटाई करने लग जाते थे. प्रशासनिक ब्लॉक के सामने दोनों गुटों में भिड़ंत हुई जिसमें एबीवीपी के छात्र भी पीटे गए और लेफ्ट के भी छात्र. लेकिन इस चक्कर में उन लोगों ने बाहर से डेढ़-दो सौ लोगों को बुला लिया.’
वे कहते हैं, ‘बाहर से आने वाले लोगों पेशवर तरीके से चेहरे पर रुमाल बांधकर बहुत मारा है सबको. जो एबीवीपी के नहीं थे, उन्हें निशाना बनाया गया. उन्होंने हर किसी को निशाना बनाया यहां तक कि टीचर्स को भी नहीं छोड़ा. उन्होंने दो फैकल्टी मेंबर्स की पिटाई की जिसमें से एक के सिर पर गंभीर चोट आई है. एक टीचर को तो उन्होंने पहले कई थप्पड़ मारे और फिर डंडे से पिटाई की. उनकी साइकल तोड़ दी गई और वे जान बचाकर भागे हैं. बाहरी लोगों ने आकर जब पथराव किया तब हम लोग भागकर कहीं छुप गए.’
देर रात डर के कारण साबरमती हॉस्टल के अधिकतर छात्र अपने कमरे में ताला लगाकर दूसरे हॉस्टलों में चले गए थे. नकाबपोश भीड़ के हमले का शिकार होने वाले अधिकतर छात्र मीडिया से बात करने के दौरान अपनी पहचान नहीं उजागर करना चाहते थे.
नकाबपोश लोगों के हाथ पिटने वाले जेएनयू के एक छात्र ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर द वायर से बात की. उन्होंने कहा, ‘जब हम पर इन नकाबपोश लोगों ने हमला किया तब हम लोग जेएनयू शिक्षक संघ (जेएनयूटीयू) द्वारा आयोजित एक मीटिंग में हिस्सा ले रहे थे. पहले तो हमने सोचा कि हम उनका सामना करेंगे लेकिन वह संभव नहीं था और हम भागकर अपने-अपने हॉस्टलों में छिप गए.’
वे कहते हैं, ‘हालांकि ये गुंडे हॉस्टल में भी घुस गए और उन्होंने हमारे कमरों के दरवाजे तोड़े, दरवाजे में लगे कांच को भी तोड़ा. इस दौरान वे बहुत ही बेहूदे तरीके से नारेबाजी कर रहे थे, जिसमें वे गोली मारों सालों को, जैसे नारे का इस्तेमाल कर रहे थे.’
उन्होंने कहा, ‘15-20 मिनट बाद मुझे लगा कि वे चले गए हैं. मैं कमरे से बाहर निकला, लेकिन मैं जैसे ही बाहर निकला उन लोगों ने मुझे पीटना शुरू कर दिया. सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि प्रशासनिक पद वाले कई प्रोफेसरों ने एबीवीपी कैडर्स को हमले के लिए भड़काया. यह पूरी तरह से साफ है कि उन्होंने बाहर से लोगों को बुलाया और जेएनयू के कुछ छात्रों और शिक्षकों ने उनकी मदद की. मुझे लगता है कि जब तक कुलपति जगदीश कुमार यहां हैं, हम सुरक्षित नहीं हैं.’
JNU Vice Chancellor M. Jagadesh Kumar: They need not fear about their process. The top priority of the University is to protect the academic interests of our students. https://t.co/OIvnMlgMZf
— ANI (@ANI) January 6, 2020
वहीं, सोमवार को इस मामले पर बयान देते हुए जेएनयू वाइस चांसलर एम. जगदीश कुमार ने कहा, ‘सभी छात्र संगठनों से शांति बनाए रखने की अपील है. शैक्षणिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने की सुविधा प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय सभी छात्रों के साथ खड़ा है. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि विंटर सेमेस्टर के रजिस्ट्रेशन बिना किसी बाधा के हो जाएं. उन्हें इसकी प्रक्रिया को लेकर भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है. यूनिवर्सिटी की शीर्ष प्राथमिकता हमारे छात्रों के शैक्षणिक हितों की रक्षा करना है.’
हालांकि, छात्रों और शिक्षकों पर बर्बर हमले के बाद जेएनयूएसयू ने वाइस चांसलर एम.जगदीश कुमार को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है. जेएनयूएसयू ने बयान जारी कर जगदीश कुमार को ‘गुंडा’ बताया है, जो यूनिवर्सिटी में हिंसा भड़का रहे हैं. छात्रसंघ ने कुलपति जगदीश कुमार के इस्तीफे की मांग की है.
छात्रों और शिक्षकों के साथ हुई हिंसा के बाद अधिकतर छात्र और शिक्षक जेएनयू कैंपस में टी-पॉइंट पर जमा हुए थे. वहां पर वे शांतिपूर्ण तरीके से जुटे हुए थे.
वहां मौजूद जेएनयू छात्रा शिवानी ने कहा, ‘शाम को जेएनयू कैंपस में एक भीड़ ने हमला किया. सौ-डेढ़ सौ की संख्या में घुसी इस भीड़ के पास लाठियां, बैट, हथौड़ा और कई तरह के हथियार थे. कल से चल रही हिंसा के खिलाफ हम लोग यहां पर जेएनयू शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) द्वारा बुलाए गए शांति मार्च के लिए इकट्ठा हुए थे. उसी समय हमलावर भीड़ आ गई थी’
वे कहती हैं, ‘उन्हें रोकने के लिए हमारे प्रोफेसर्स जब उनके सामने जाकर खड़े हो गए तो उन्हें भी मारा गया. यहां खड़े लोगों को भगा-भगाकर मारा जाता है. एक जगह हम लोग फंस गए थे और मेरी आंखों के सामने ही आईशी घोष (छात्रसंघ अध्यक्ष) को मारा गया. गाड़ियों के शीशे तोड़े गए. ढाबों की कुर्सियों और अन्य चीजों को तोड़ा गया. बहुत सारे छात्रों को मेरे सामने मारा गया था.’
शिवानी ने बताया, ‘इसके बाद भीड़ हॉस्टल में घुसती है. हॉस्टल में घुसकर लोगों के कमरे तोड़ गए. दरवाजों के बाहर लगे पोस्टरों की पहचान करके निशाना बनाया गया. उन्हें बहुत सारे कमरों के नंबर दिए गए थे और उनकी पहचान कर हमला किया गया. एक दृष्टिहीन छात्र के कमरे के बाहर आंबेडर का पोस्टर लगा है, उस छात्र के कमरे का दरवाजा तोड़ा गया और उसे भी पीटा गया. एक छात्र के कमरे के बाहर बॉब मार्ले (अमेरिकी सिंगर) का पोस्टर लगा था और इसलिए उसे कम्युनिस्ट समझकर हमला किया गया. वे लड़कियों के हॉस्टलों में भी घुस गए और कैंपस में आतंक का माहौल पैदा कर दिया.’
उन्होंने अनुसार, ‘इस कैंपस में पिछले दो महीने से विरोध प्रदर्शन चल रहा है. सोमवार से सभी सेंटर को बंद करने की भी तैयारी है, क्योंकि प्रशासन हमारी मांगें नहीं मान रहा है. हमने पहले ही रजिस्ट्रेशन का बायकॉट कर रखा है. रविवार को कैंपस के एबीवीपी छात्रों ने बहुत से छात्रों को रजिस्ट्रेशन न कराने के कारण पीटा था. प्रशासन के पक्ष वाले कुछ शिक्षकों ने भी छात्रों की पिटाई की.’
वे कहती हैं, ‘रविवार को दिनभर प्रशासनिक ब्लॉक में 50-60 लोग लाठी-डंडे लेकर बैठे हुए थे. उधर से गुजरने वालों को आतंकित करके पिटा जा रहा था. इस तरह का माहौल पिछले दो-तीन दिन से बनाकर रखा गया था. रविवार शाम को पेरियार हॉस्टल के बाहर संघर्ष हुआ.’
बता दें कि रविवार रात में कैंपस का मुआयना करने के लिए दिल्ली पुलिस के शीर्ष अधिकारी पहुंचे. हालांकि छात्रों ने भारी विरोध करते हुए उन्हें वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया. इस दौरान छात्रों और पुलिस के बीच जोरदार बहस हुई और छात्रों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की.
सेंटर फॉर सोशल हेल्थ एंड कम्युनिटी सेंटर की प्रोफेसर रितु प्रिया ने कहा, ‘नकाबपोश लोगों की भीड़ लोहे की रॉड और अन्य हथियारों के साथ आई थी. छात्रों के कमरे और मेस में घुसकर उनके साथ मारपीट की गई. मैंने खुद देखा कि एक छात्र को पहले तल से नीचे फेंक दिया गया और उसे फ्रैक्चर आया है. यह बहुत ही बर्बर और सुनियोजित हमला था. पुलिस ने छात्रों की मदद नहीं की. जेएनयू वीसी ने हमले की निंदा तो की है लेकिन सुरक्षा के लिए उन्होंने क्या किया यह पता नहीं चला है.’
उन्होंने कहा, ‘एबीवीपी के छात्रों के बारे में साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता है, लेकिन बाहर से लोगों को बुलाया गया और वे लोग लेफ्ट और आम छात्रों को निशाना बना रहे थे. जेएनयूटीयू की मीटिंग चल रही थी, वहां पर शिक्षकों को निशाना बनाया गया, कारों को तोड़ा-फोड़ा गया. यह साफ है कि पहचान करके लोगों को निशाना बनाया जा रहा था.’
वे कहती हैं, ‘अंदर आने के बाद भी पुलिस बाहरी लोगों से छात्रों की सुरक्षा नहीं कर सकी, यह बात पक्की है. हमलावरों के जाने के बाद हॉस्टल के सभी छात्र निकलकर बाहर सड़क पर आ गए, क्योंकि वे डर गए थे. इसके बाद छात्रों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को देखकर पुलिस पीछे हट गई, लेकिन पुलिस का काम दोनों तरफ की हिंसा को रोकने का होना चाहिए.’
जेएनयू कैंपस में 1997 से रहने वाले विजय प्रताप की पत्नी यहां प्रोफेसर हैं. उन्होंने कहा, ‘एक वॉट्सऐप ग्रुप यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट का स्क्रीनशॉट मैंने देखा जिसमें शाम 5:33 बजे के ट्वीट में लोगों को आईआईएमसी, मुनिरका सहित अलग-अलग गेटों से आने को कहा जा रहा है. उसमें कहा गया कि अब पिटाई ही इनकी एकमात्र दवा है. यह पूरी तरह से सुनियोजित तरीके से किया गया.’
हालांकि, द वायर इस वॉट्सऐप ग्रुप की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है.
उन्होंने कहा, ‘मैंने जेएनयू प्रशासन का बयान देखा उसमें इसे दो गुटों की लड़ाई कहकर पेश किया जा रहा है जो कि सरासर झूठ है. साबरमती में उनके घुसने के बाद छात्रों ने हमें मैसेज कर बताया कि हमें पीटा जा रहा है. हम लोग पहुंचे तो वे पिटाई करके जा चुके थे. हमने देखा कि एक बोतल टूटी हुई पड़ी थी जिसमें एसिड था, हॉकियां पड़ी हुई थीं, रॉड थी, तमाम दरवाजों के शीशे तोड़ दिए गए थे. तमाम लोग दरवाजे बंद करके अंदर छिपे थे. जिन दरवाजों पर एबीवीपी नहीं लिखा था उन्हें तोड़ने की कोशिश की गई. 12 के करीब दरवाजे तोड़े गए और उनमें रहने वालों की पिटाई की गई.’
विजय प्रताप ने एक दृष्टिबाधित छात्र की पिटाई और एक छात्र को पहले तल से नीचे गिराए जाने की पुष्टि की.
उन्होंने कहा, ‘मेरी बेटी बाहर से आ रही थीं तो उनकी चेकिंग की गई लेकिन ये गुंडे कहां से आ गए उनकी चेकिंग नहीं की गई. उन्हें अलग-अलग तरीके से गाइडेंस दिया जा रहा है.’
छात्रों और शिक्षकों पर हमले की सूचना पाकर उनके समर्थन में सामाजिक कार्यकर्ता बेजवाड़ा विल्सन भी जेएनयू पहुंचे. उन्होंने कहा, ‘घटना के बारे में सुनकर मैं चौक गया क्योंकि यह जेएनयू की संस्कृति नहीं है. छात्रों और प्रोफेसरों ने जो बताया वैसा अनुभव हमने पहले कभी नहीं किया. मारना-पीटना यहां की संस्कृति नहीं है. बाहर वालों ने यह किया है. पुलिस को उन्हें तत्काल पकड़ना चाहिए और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘किसी विश्वविद्यालय में इस तरह का आतंकवाद का फैलाना सही नहीं है. पिछले एक-दो महीने से पुलिस कैंपस में ही मौजूद है और हर किसी की चेकिंग कर रही है तो यहां बड़ा सवाल है कि इतने सारे नकाबपोश लोग अंदर कैसे आ गए?’
उन्होंने कहा, ‘उन्हें इसकी जांच कराकर कार्रवाई करनी चाहिए. वीसी और प्रशासन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. ऐसे नहीं छोड़ा जा सकता. यह संस्कृति फैल जाए तो देश और शैक्षणिक संस्थानों का क्या होगा? मैंने कभी नहीं सोचा था कि जेएनयू में ऐसा होगा. यह एक बहुत ही नई संस्कृति है जो कि फासीवादी है.’
उन्होंने कहा, ‘ऐसे संस्थानों को बचाना हर किसी की जिम्मेदारी है, लेफ्ट-राइट-सेंटर करके इसे तबाह नहीं किया जा सकता है. यह केवल ध्यान भटकाने की साजिश नहीं है बल्कि सरकार हर किसी पर हमला करवाने की फैक्टरी बन गई है. सरकार पूरी तरह से इसके लिए जिम्मेदार है और गृह मंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए.’
जेएनयू से पीएचडी कर रहे प्रतीक कुटे ने बताया, ‘जेएनयू के छात्र प्रतिनिधियों के बिना पास कराए गए हॉस्टल मैनुअल के खिलाफ बीते 28 अक्टूबर से यहां विरोध प्रदर्शन चल रहा था. मैं खुद लोहित हॉस्टल का अध्यक्ष हूं, लेकिन किसी भी प्रतिनिधि को नहीं बुलाया गया था. पिछले दो महीने से हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा था. छात्र और शिक्षक सभी पूरा सहयोग कर रहा थे. हमारी मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ भी बात चल रही थी. अपनी मांगों के संबंध में हम किसी निष्कर्ष पर पहुंचने ही वाले थे लेकिन इसी बीच एबीवीपी द्वारा हमारे विरोध प्रदर्शन को खत्म करने की कोशिश जाने लगी.’
उन्होंने कहा, ‘एक जनवरी से सेमेस्टर रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ था लेकिन हमने उसका बायकॉट किया था. अधिकतर छात्र हमारे साथ थे लेकिन एबीवीपी द्वारा हमारा विरोध किया जा रहा था. रविवार को कम्युनिकेशंस एंड साइंसेज की बिल्डिंग में एबीवीपी के छात्रों ने हमारे शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर हमला किया था. जेएनयू के शिक्षकों के संघ जेएनयूटीए से अलग आरएसएस-भाजपा समर्थित शिक्षकों के संगठन जेएनयूटीएफ ने हमारे ऊपर हमला किया था.’
वे कहते हैं, ‘उसके बाद रविवार शाम को ही दिल्ली यूनिवर्सिटी, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के लोगों को बुलाया गया और हमला कराया गया. यहां सिक्योरिटी कंपनी पर भी सवाल उठ रहे हैं. हम छात्रों से 10 बार पूछताछ की जाती है लेकिन वे बिना किसी चेकिंग के अंदर आ गए. छात्रों, शिक्षकों सभी को पीटा गया. साबरमती, नर्मदा और पेरियार हॉस्टल में घुसकर पिटाई की गई. लड़कियों के हॉस्टल में भी मारपीट की गई. इन गुंडो ने गेट पर योगेंद्र यादव और डी. राजा जैसे नेताओं के साथ हाथापाई की. मंत्रालय भी उनका समर्थन कर रहा है.’