सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वॉट्सऐप मैसेज इस ओर इशारा करते हैं कि जो लोग नकाब पहनकर जेएनयू कैंपस में घुसे थे वे एबीवीपी के नेता और कार्यकर्ता हो सकते हैं.
नई दिल्ली: बीते रविवार की देर रात को कुछ अज्ञात लोग नकाब पहनकर जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के कैंपस में घुस आए और उन्होंने कई हॉस्टलों में तोड़-फोड़ की और कई छात्रों को बर्बर तरीके से पीटा. इस दौरान कुल 34 लोग घायल हुए, जिसमें कुछ शिक्षक भी शामिल हैं.
इस घटना के बाद से ही सोशल मीडिया पर कई वॉट्सऐप मैसेजेज वायरल हो रहे हैं, जिसमें जेएनयू में घुसकर बच्चों को पीटने की प्लानिंग की जा रही है. वामपंथी समूहों ने दावा किया है कि ये मैसेजेज एबीवीपी और दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोगों के हैं. वहीं दूसरी तरफ दक्षिणपंथी गुट इसके उलट दावा कर रहे हैं.
रविवार को यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट नाम के एक ग्रुप में बातचीत के दौरान शाम 7:03 बजे एक मैसेजे आया, ‘सालों को हॉस्टल में घुस कर तोड़े’. इसके जवाब में अगले व्यक्ति ने जवाब दिया, ‘बिल्कुल..एक बार ठीक से आर पार करने की जरुरत है. अभी नहीं मारेंगे सालों को तो, कब मारेंगे. गंध मचा रखा है कौमियों ने’
इस तरह मारपीट की प्लानिंग करते कई सारे मैसेज सामने आए हैं. इंडियन एक्सप्रेस और स्क्रॉल ने इनमें से कुछ नंबरों पर बात की और पाया कि कई सारे नंबर एबीवीपी कार्यकर्ताओं से जुड़े हुए हैं. फिलहाल ये नंबर स्विच ऑफ आ रहे हैं.
स्क्रॉल ने मोबाइल नंबर की पहचान करने वाला ऐप ‘ट्रूकॉलर’ और ‘फेसबुक’ की मदद से हिंसा के लिए भड़काने वालों की पहचान उजागर करने की कोशिश की है. वहीं इंडियन एक्सप्रेस ने इस तरह का मैसेज करने वाले छह लोगों से बात की है, जिसमें से तीन ने कहा कि उनके नंबर का दुरुपयोग किया गया है.
‘बिल्कुल..एक बार ठीक से आर पार करने की जरुरत है. अभी नहीं मारेंगे सालों को तो, कब मारेंगे. गंध मचा रखा है कौमियों ने’, ये मैसेज भेजने वाले व्यक्ति से जब इंडियन एक्सप्रेस ने बात की तो उन्होंने कहा, ‘मैं जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से पीएचडी कर रहा हूं. हां, मैं एबीवीपी से हूं. पत्रकार जेएनयू की छवि खराब कर रहे हैं.’
कुछ देर बाद इन्होंने कहा, ‘मैं जेएनयू से हूं लेकिन मैंने ये मैसेज नहीं भेजा था. किसी ने मेरे नंबर का दुरुपयोग किया है.’
‘सालों को हॉस्टल में घुस कर तोड़े’, ये मैसेज लिखने वाले व्यक्ति का नाम सौरभ दूबे है. इनके फेसबुक प्रोफाइल पर लिखा है कि ये दिल्ली विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह इवनिंग कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. दूबे ‘जेएनयूआईट्स फॉर मोदी (JNUites for MODI)’ नाम का एक ग्रुप चलाते हैं.
इससे पहले रविवार को शाम 5:39 बजे ‘फ्रेंड्स ऑफ आरएसएस’ नाम के एक वॉट्सऐप ग्रुप में एक व्यक्ति का मैसेज आता है, ‘कृपया इस ग्रुप में लेफ्ट टेरर के खिलाफ यूनिटी के लिए शामिल हों. इन लोगों को मार लगनी चाहिए. बस एक ही दवा है.’
इसके जवाब में एक व्यक्ति ने मैसेज किया, ‘डीयू के लोगों की एंट्री आप खजान सिंह स्विमिंग साइड से करवाइए. हम लोग यहां 25-30 लोग हैं.’
यहां पर डीयू का उल्लेख संभवत: दिल्ली विश्वविद्यालय के लिए है और खजान सिंह स्विमिंग एकेडमी जेएनयू के अंदर स्थित है और उसका एक अलग प्रवेश द्वार है. विश्वविद्यालय के मेन गेट पर परिसर में प्रवेश करने से पहले आने वालों की जांच की जाती है.
इस मैसेज को भेजने वाले का नंबर ट्रूकॉलर पर चेक करने से पता चला कि ये विकास पटेल के नाम पर रजिस्टर्ड है. विकास पटेल ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर लिखा है कि वे एबीवीपी के कार्यकारी समिति के सदस्य हैं और जेएनयू में एबीवीपी के उपाध्यक्ष रह चुके हैं.
ये कई सारे मैसेज इसलिए सार्वजनिक हो पाए हैं क्योंकि इन ग्रुप्स में कई लेफ्ट और गैर-एबीवीपी संगठन के लोग जुड़ गए थे.
यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट नाम के ग्रुप में शाम 8.41 बजे एक व्यक्ति ने पूछा, ‘पुलिस तो नहीं आ गया?’ अगले ने जवाब दिया, ‘भाई इस ग्रुप में भी लेफ्टिस्ट आ गए.’ एक अन्य ने जवाब देते हुए कहा, ‘लिंक क्यूं शेयर किया जा रहा.’ पुलिस आने के संबंध ने एक ने जवाब दिया, ‘नहीं. वीसी ने एंट्री मना किया है. अपना वीसी है.’
ट्रूकॉलर पर पता चलता है कि ये नंबर ओंकार श्रीवास्तव नाम के एक व्यक्ति से जुड़ा है. इन्होंने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर लिखा है कि वे दिल्ली में एबीवीपी के के राज्य कार्यकारिणी के सदस्य हैं और 2015-16 में जेएनयू में एबीवीपी के उपाध्यक्ष रह चुके हैं.
Now on the RW groups the numbers of those who joined are being shared with TrueCaller showing Muslim names, JMI students and people clearly on the left.
The narrative is now that these are the people who caused the violence and are blaming the RW.
— Shivam Shankar Singh (@ShivamShankarS) January 5, 2020
वहीं दक्षिणपंथी संगठनों का आरोप है कि इस ग्रुप में लेफ्ट के कई लोग शामिल थे और हिंसा की प्लानिंग में थे. हालांकि इसके जवाब में कुछ लोगों ने कहा कि बाद में मुसलमानों और लेफ्ट के छात्रों को टार्गेट करने के लिए कई लोगों के नाम जानबूझकर इसमें शामिल कर लिया गया.
राजनीतिक विश्लेषक शिवम शंकर ने कहा कि हिंसा के लिए मुसलमानों और वाम समर्थकों को जिम्मेदार ठहराने के लिए नए नंबर इस तरीके से जोड़े गए थे.
इसमें से एक नंबर आनंद मन्गनले नाम के एक शख्स था जो कि पहले कांग्रेस पार्टी के साथ काम कर चुके हैं. इसके स्पष्टीकरण में उन्होंने बताया कि वे ‘जानबूझकर’ इस ग्रुप में जुड़े थे ताकि अंदर की जानकारी प्राप्त कर सकें.
The SM team of INC had hired the services of several private vendors to run the crowd funding campaign, for a limited period before Lok Sabha Elections after which it was discontinued. The number belonged to a vendor and has nothing to do with INC.
— Congress (@INCIndia) January 5, 2020
कांग्रेस ने भी ट्वीट कर स्पष्टीकरण दिया है कि कांग्रेस ने मन्गनले के साथ लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ समय के लिए ही काम किया था, अब इसके साथ पार्टी का कोई ताल्लुक नहीं है.