किसानों की मौत पर छिड़ा सियासी युद्ध, शिवसेना, कांग्रेस और वामदलों ने बोला भाजपा सरकार पर हमला, राजस्थान के किसानों ने की मंदसौर जाकर आंदोलन में शामिल होने की घोषणा.
मध्य प्रदेश में आंदोलन कर रहे किसानों पर फायरिंग के बाद स्थिति गंभीर हो गई है. किसान संगठनों का कहना है कि पुलिस की फायरिंग में आठ किसानों की मौत हुई है. जबकि प्रशासन ने पांच मौतों की बात स्वीकार की है. किसानों का कहना है कि गोली पुलिस ने चलाई, जबकि पुलिस, गृहमंत्री व मुख्यमंत्री ने पुलिस की फायरिंग से इनकार करते हुए न्यायिक जांच बिठा दी है.
दूसरी तरफ, गुस्साए किसानों ने आंदोलन को और उग्र रूप देते हुए पूरे राज्य में हिंसा शुरू कर दी है. बुधवार को मध्य प्रदेश के कई ज़िलों में सड़कों पर उतरे किसानों ने पत्थरबाजी और आगज़नी की.
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसान एक जून से सड़क पर हैं और कृषि उपज का उचित मूल्य, क़र्ज़ माफ़ी और अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों ने पिछले सात दिन से दोनों राज्यों में दूध, सब्जी, फल आदि की आपूर्ति भी रोक दी है.
गोलीबारी की घटना के बाद विपक्षी दल कांग्रेस, शिवसेना, और वामदलों ने मप्र में भाजपा की शिवराज सरकार और केंद्र में मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है. किसान संगठनों ने मप्र में राष्ट्रपति शासन की मांग की है तो कांग्रेस ने बुधवार को राज्य में बंद बुलाया जिसका मिला जुला असर रहा.
नोटबंदी ने खेतों को बर्बाद किया
शिवसेना ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा है कि उसने नोटबंदी का चाबुक चलाकर ऋणग्रस्त किसानों को गहरी निराशा में धकेला और उनके खेतों को बर्बाद हो जाने दिया.
एक ऐसे समय में जब उद्योग जगत और सेवा क्षेत्र को विकास के लिए एक के बाद एक प्रोत्साहन मिल रहे हैं, ऐसे में कृषि क्षेत्र के प्रति सरकार की बेपरवाही पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में सवाल उठाया. संपादकीय में कहा गया कि हम यह जानना चाहते हैं कि जब भाजपा चुनाव में सैंकड़ों करोड़ रुपये ख़र्च सकती है तो फिर वह ऋणमाफ़ी में हिचकिचा क्यों रही है?
शिवसेना ने कहा, कई साल बाद, पिछले साल का मानसून किसानों के लिए उम्मीदें लेकर आया था और भारी फ़सल उत्पादन हुआ था. लेकिन नोटबंदी के चाबुक ने उन्हें अपनी फ़सलों को मिट्टी के मोल बेचने पर विवश कर दिया. उन्हें अपना लगाया धन भी नहीं मिल पाया और नतीजा यह हुआ कि ऋणग्रस्त किसान भारी घाटे में डूब गए.
शिवसेना ने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र के विकास के वादे के साथ सत्ता में आई थी लेकिन आज वह इस क्षेत्र को कर लगा देने के नाम पर डराती रहती है. संपादकीय में कहा गया, पंचायत से लेकर नगर निगमों तक के चुनाव जीत लेना आसान है. यदि आपके पास पैसा है तो आप चांद पर हो रहा चुनाव भी जीत सकते हैं. इसका यह मतलब नहीं है कि जनता आपकी नौकर है. किसानों की भावनाओं को समझने के लिए ज़रूरी है कि यह समझ लिया जाए कि वे महज वोटबैंक नहीं हैं.
शिवसेना ने कहा, यदि मुख्यमंत्री कहते हैं कि वह केवल असली किसान नेताओं से ही बात करेंगे तो सरकार की ओर से असली किसानों को ही असल किसान नेताओं से बातचीत करनी चाहिए. लेकिन क्या आपकी सरकार में एक भी असली किसान है?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा था कि सरकार सिर्फ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों से ही बात करेगी, अन्य से नहीं. सरकार उन लोगों के साथ बात नहीं करेगी, जो किसानों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं.
‘अघोषित आपातकाल लागू है’
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कई ट्वीट करके शिवराज सरकार से कई सवाल किए हैं. उन्होंने ट्वीट किया, ‘क्या भाजपा सरकार मंदसौर को ‘वॉर लाइक ज़ोन’ यानी युद्धग्रस्त इलाक़ा घोषित करेगी? पार्टियों, नेताओं के वहां जाने पर रोक लगाकर पहले ही अघोषित आपातकाल लागू है.
येचुरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोटो वाले कुछ अख़बारी विज्ञापनों के कतरन शेयर करते हुए टिप्पणी की, ‘पूरे देश में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. वे या तो ख़ुदकुशी कर रहे हैं या गोली खा रहे हैं और एक व्यक्ति ख़ुद को कृषि परिधानों में पेश करके विज्ञापनी उत्सव मना रहा है.’
उन्होंने लिखा, ‘मध्य प्रदेश में पानी नहीं है. 2001 के बाद राज्य में सबसे ज़्यादा 1982 किसान आत्महत्याएं 2016 में हुईं.’ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने पूछा, ‘क्या भाजपा शासित राज्यों में गोली ही एकमात्र जवाब है?’
राजस्थान के किसान मंदसौर कूच करेंगे
दूसरी तरफ़, राजस्थान में किसानों ने मध्य प्रदेश के किसानों का समर्थन करते हुए कहा है कि वे भी मंदसौर कूच करेंगे. किसानों को उनकी फ़सल का वाजिब मूल्य दिलाने और आपदा से प्रभावित किसानों को राहत देने की मांग को लेकर राष्ट्रीय किसान महापंचायत के बैनर तले गत दो साल से संघर्ष कर रहे किसान मध्य प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन में भाग लेने के मंदसौर कूच करेंगे.
राष्ट्रीय किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने बताया कि प्रतापगढ़ के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर मंगलवार को धरना देकर प्रदर्शन किया. आंदोलनरत किसान मध्य प्रदेश के किसानों के आंदोलन को सहयोग करने के लिए मंदसौर जाने का निर्णय लिया है.
उन्होंने बताया कि प्रतापगढ़ के गांधी चौक में एक श्रद्वाजंलि सभा आयोजित कर कर्फ़्यूग्रस्त मंदसौर में पुलिस गोली से मारे गए किसानों को श्रद्वाजंलि दी गई. उन्होंने कहा कि राजस्थान का किसान महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के आंदोलन कर रहे किसानों के साथ है. किसानों पर पुलिस अत्याचार की निंदा करते हुए जाट ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार किसानों की आवाज़ दबाना चाहती है, जो स्वीकार नहीं है. हम किसानों की मांगों के लेकर लगातार लड़ते रहेंगे.
आठ जून को किसान महासभा का राज्यव्यापी प्रदर्शन
मंदसौर में आंदोलनकारी किसानों के मारे जाने की घटना की भाकपा माले ने कड़ी निंदा की है. इसके विरोध में माले से संबंधित अखिल भारतीय किसान महासभा की उत्तर प्रदेश इकाई ने आठ जून को प्रदेश के सभी ज़िला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करने का आहृवान किया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)