रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि जब तक राज्य सरकारों का बजट ऋण माफी के लिए राजकोषीय गुंजाइश की अनुमति नहीं देता है, इस प्रकार का क़दम जोख़िमपूर्ण होगा.
मुंबई: भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को आगाह करते हुए कहा कि अगर राज्यों में कृषि ऋण माफी को लेकर होड़ लगी रही तो राजकोषीय स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है और इससे मुद्रास्फीति के बढ़ने यानी महंगाई बढ़ने का भी जोख़िम है.
रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि जब तक राज्य सरकारों का बजट ऋण माफी के लिए राजकोषीय गुंजाइश की अनुमति नहीं देता है, इस प्रकार का क़दम जोख़िमपूर्ण होगा.
रिजर्व बैंक ने कहा, बड़े कृषि ऋण माफी की घोषणा से राजकोषीय स्थिति ख़राब होने और उसके कारण मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका बढ़ी है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि वैश्विक राजनीतिक और वित्तीय जोख़िम से आयातित मुद्रास्फीति पैदा हुई है और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार भत्ते दिए जाने से इसके ऊपर जाने का जोख़िम बना हुआ है.
हालांकि आरबीआई ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से कुल मिलाकर मुद्रास्फीति पर कोई बड़ा प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है.
पटेल ने कहा कि ऋण माफी का जोख़िम है और पिछले दो-तीन साल में राजकोषीय मोर्चे पर जो महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त हुए हैं, वह गायब हो सकते है. उन्होंने कहा, पूर्व में हमारे देश में यह देखा गया है कि जब उल्लेखनीय मात्रा में राजकोषीय स्थिति बिगड़ती है, उसका असर देर-सबेर मुद्रास्फीति पर भी पड़ता है. इसीलिए यह ऐसा रास्ता है जिस पर हमें बहुत सावधानी से आगे बढ़ने की ज़रूरत है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने मंगलवार को कहा था कि सरकार 31 अक्तूबर से पहले ऋण माफी की घोषणा करेगी और पांच एकड़ से कम ज़मीन वाले करीब 1.07 करोड़ किसान इसके लिए पात्र होंगे.
इससे पहले, उत्तर प्रदेश सरकार ने भी 36,000 करोड़ रुपये के कृषि ऋण माफी की घोषणा की थी और अगर महाराष्ट्र छूट योजना लागू करती है, इससे सरकारी खज़ाने पर 30,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.
मध्य प्रदेश में भी किसान एक जून से प्रदर्शन कर रहे हैं और ऋण माफी, अधिक-न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य लाभ की मांग की है.
आरबीआई की नीतिगत समीक्षा की मुख्य बातें
- रेपो दर 6.25 प्रतिशत पर बरकराररिवर्स रेपो छह फीसद
- सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) 0.5 प्रतिशत घटाकर 20 प्रतिशत किया गया
- चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि का अपना अनुमान 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.3 प्रतिशत किया
- अप्रैल-मार्च 2017-18 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति 2 से 3.5 प्रतिशत, दूसरी छमाही में 3.5 से 4.5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान
इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति की द्वैमासिक समीक्षा में सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) 0.5 प्रतिशत घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया. एसएलआर के तहत बैंकों को निर्धारित हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों में लगाना होता है. शीर्ष बैंक के इस क़दम से बैंकों के पास क़र्ज़ देने के लिए अधिक नकदी बचेगी.
रिज़र्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को भी 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है.
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मुंबई में हुई पांचवीं बैठक में रेपो दर को 6.25 प्रतिशत और रिवर्स रेपो को 6 प्रतिशत पर बरक़रार रखा गया. रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक बैंकों को अल्पावधि क़र्ज़ देता जबकि रिवर्स रेपो के अंतर्गत आरबीआई बैंकों से अतिरिक्त नकदी को लेता है.
मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक एक अगस्त को होगी.
रिज़र्व बैंक ने वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा, एमपीसी का निर्णय मौद्रिक नीति के तटस्थ रूख के अनुरूप है. साथ ही यह क़दम वृद्धि को समर्थन देने और मध्यम अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य के मुताबिक है.
चलन से बाहर किए गए नोटों के 83 प्रतिशत के बराबर नई मुद्रा डाली जा चुकी है: आरबीआई
भारतीय रिज़र्व बैंक ने कहा कि नोटबंदी चलने से बाहर किए गए नोटों के लगभग 83 प्रतिशत के बराबर नए नोटों को प्रणाली में पहुंचाया जा चुका है और बैंकों में पैसे की कोई कमी नहीं है.
रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर बीपी कानूनगो ने मुंबई में बुधवार को संवाददाताओं से कहा, हमारे नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 82.67 प्रतिशत पुनर्मुद्रीकरण पूरा हो चुका और मूल्य के हिसाब से यह 108 प्रतिशत है.
सरकार ने पिछले साल आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की और 500 व 1000 रुपये के तत्कालीन नोटों को चलन से बाहर कर दिया. इस तरह से बाजार में पड़ी लगभग 87 प्रतिशत नकदी चलन से बाहर हो गई थी.
वित्त राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दो दिसंबर 2016 को संसद में सूचित किया था कि नोटबंदी की घोषणा के दिन 500 रुपये के 1716.5 करोड़ नोट व 1000 रुपये के 685.8 करोड़ नोट चलन में थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से सहयोग के साथ)