झारखंड पुलिस ने नागरिकता संशोधन के प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ दर्ज राजद्रोह का मामला ख़ारिज किया

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि क़ानून जनता को डराने और उनकी आवाज़ दबाने के लिए नहीं बल्कि आम जन-मानस में सुरक्षा का भाव उत्पन्न करने के लिए होता है.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन. (फोटो: ट्विटर)

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि क़ानून जनता को डराने और उनकी आवाज़ दबाने के लिए नहीं बल्कि आम जन-मानस में सुरक्षा का भाव उत्पन्न करने के लिए होता है.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन. (फोटो: ट्विटर)
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन. (फोटो: ट्विटर)

नई दिल्ली: बीते बुधवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्विटर पर घोषणा किया कि धनबाद जिले में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के मुकदमे को उनकी सरकार ने खारिज कर दिया है.

सोरेन ने लिखा, ‘धनबाद में 3000 लोगों पर लगाए गए राजद्रोह की धारा को अविलंब निरस्त करने के साथ-साथ दोषी अधिकारी के खिलाफ समुचित करवाई की अनुशंसा कर दी गई है.’

हेमंत सोरेन ने आगे कहा, ‘कानून जनता को डराने एवं उनकी आवाज दबाने के लिए नहीं बल्कि आम जन-मानस में सुरक्षा का भाव उत्पन्न करने के लिए होता है. मेरे नेतृत्व में चल रही सरकार में कानून जनता की आवाज को बुलंद करने का कार्य करेगी.’

इस संबंध में धनबाद के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने संबंधित पुलिस अधिकारी को पत्र लिखकर निर्देश दिया कि कोर्ट में शुद्धि पत्र दायर कर एफआईआर से आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह) को हटाया जाए.

बीते सात जनवरी को सात ज्ञात लोगों के साथ करीब 3,000 अज्ञात लोगों के खिलाफ धनबाद में आईपीसी की धारा 143, 145, 149, 186, 188, 290, 291, 336, 153ए, 153बी और 124ए के तहत मामला दर्ज किया गया था. इन आरोप है कि ये लोग नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के लिए सार्वजनिक स्थान पर गैरकानूनी रूप से जमा हुए थे.

धनबाग सर्किल ऑफिसर प्रशांत कुमार लायक की लिखित शिकायत पर पुलिस ने बिना इजाजत के कथित तौर पर ट्रैफिक जाम करने और धार्मिक भावना को आहत करने वाले नारे लगाने के आरोप में एफआईआर दर्ज किया था.

मामले की गहराई से आंकलन किए बिना एफआईआर में धारा 124ए जोड़ने की बात कहते हुए एसपी ने धनबाद थाना के प्रभारी संतोष कुमार से कहा है कि वे तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण देकर बताएं कि क्यों उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई न की जाए.

एसपी ने अपने पत्र में लिखा कि इस तरह से राजद्रोह की धाराएं लगाना घोर लापरवाही, मनमानेपन, स्वेच्छाचारिता और एक अयोग्य पुलिस पदाधिकारी होने का परिचायक है.