साइरस मिस्त्री की बहाली को लेकर एनसीएलएटी के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

एनसीएलएटी के 18 दिसंबर के फैसले के खिलाफ बीते 2 जनवरी को टाटा संस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. एनसीएलएटी ने 18 दिसंबर को साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था और समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर एन. चंद्रशेखर की नियुक्ति को ‘अवैध’ ठहराया था.

New Delhi: In this Wednesday, Aug. 24, 2016 file picture the then Tata group Chairman Cyrus P Mistry attends the 53rd Annual General Meeting of Tata Global Beverages in Kolkata. The National Company Law Appellate Tribunal on Wednesday, Dec. 18, 2019, ordered restoration of him as the Executive Chairman of Tata Sons. (PTI Photo/Swapan Mahapatra) (PTI12_18_2019_000106B)

एनसीएलएटी के 18 दिसंबर के फैसले के खिलाफ बीते 2 जनवरी को टाटा संस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. एनसीएलएटी ने 18 दिसंबर को साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था और समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर एन. चंद्रशेखर की नियुक्ति को ‘अवैध’ ठहराया था.

New Delhi: In this Wednesday, Aug. 24, 2016 file picture the then Tata group Chairman Cyrus P Mistry attends the 53rd Annual General Meeting of Tata Global Beverages in Kolkata. The National Company Law Appellate Tribunal on Wednesday, Dec. 18, 2019, ordered restoration of him as the Executive Chairman of Tata Sons. (PTI Photo/Swapan Mahapatra)  (PTI12_18_2019_000106B)
साइरस मिस्त्री. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने साइरस मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने के एनसीएलएटी के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी.

चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को चुनौती देने वाली टाटा संस की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई है. साथ ही मिस्त्री समेत अन्य को नोटिस जारी किया है.

अपीलीय न्यायाधिकरण ने 18 दिसंबर को दिये अपने 172 पृष्ठ के आदेश में पद से हटाये गये मिस्त्री को टाटा संस का चेयरमैन बहाल करने का आदेश दिया था. न्यायाधिकरण ने इसके साथ ही समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर एन. चंद्रशेखर की नियुक्ति को ‘अवैध’ ठहराया था.

अपीलीय न्यायाधिकरण ने टाटा संस को पब्लिक फर्म से बदलकर प्राइवेट फर्म बनाने की कार्रवाई को भी रद्द कर दिया. न्यायाधिकरण ने कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाले कंपनी पंजीयक (आरओसी) को ‘टाटा संस’ का दर्जा प्राइवेट कंपनी से वापस बदलकर पब्लिक कंपनी करने को कहा था.

अपीलीय न्यायाधिकरण ने माना था कि समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा की मिस्त्री के खिलाफ कार्रवाई उत्पीड़नकारी थी. एनसीएलएटी ने टाटा संस को मिस्त्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का भी निर्देश दिया था.

याचिका में शीर्ष न्यायालय से अपीलीय न्यायाधिकरण के निष्कर्षों को खारिज करने या रद्द करने की मांग की गई है. टाटा समूह ने अदालत से कहा था कि अधिकरण ने अपने फैसले में ‘कॉरपोरेट लोकतंत्र’ और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के ‘अधिकारों’ को कमजोर किया है.

बता दें कि, मिस्त्री परिवार के पास टाटा संस में 18 प्रतिशत हिस्सेदारी है. शेष 81 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट और टाटा समूह की कंपनियों के साथ टाटा परिवार के सदस्यों के पास है.

हालांकि, रविवार को मिस्त्री ने एक बयान में कहा कि वह टाटा समूह में वापस जाने के इच्छुक नहीं हैं और फैसला समूह के हित में लिया गया था और उसका हित किसी भी व्यक्ति के हित से बड़ा है.

मिस्त्री ने कहा था, ‘इस संबंध में चल रही गलत सूचनाओं को खारिज करने के लिए मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि अधिकरण का फैसला मेरे पक्ष में आने के बावजूद, मैं टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन या टीसीएस, टाटा टेलीसर्विसेज या टाटा इंडस्ट्रीज के निदेशक पद पर दावा नहीं करुंगा.’

टाटा-मिस्त्री के मामले में एनसीएलटी और एनसीएलएटी का घटनाक्रम इस प्रकार है –

24 अक्टूबर 2016- साइरस मिस्त्री टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए गए. रतन टाटा अंतरिम चेयरमैन बने.

20 दिसंबर 2016- मिस्त्री परिवार द्वारा समर्थित दो निवेश कंपनियां साइरस इनवेस्टमेंट्स प्राइवेट लि. और स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट्स कॉरपोरेशन प्राइवेट लि. एनसीएलटी की मुंबई बेंच में गयी. उन्होंने टाटा संस पर अल्पांश शेयरधारकों के उत्पीड़न और कुप्रबंधन का आरोप लगाया. मिस्त्री को बर्खास्त करने की कार्रवाई को चुनौती दी गयी.

12 जनवरी 2017- टाटा संस ने टीसीएस के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी और प्रबंध निदेशक एन. चंद्रशेखरन को चेयरमैन बनाया.

6 फरवरी 2017- मिस्त्री को टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के निदेशक मंडल से भी हटाया गया.

6 मार्च 2017- एनसीएलटी मुंबई ने मिस्त्री परिवार की दो निवेश कंपनियों की अर्जी खारिज की. न्यायाधिकरण ने कहा कि अपीलकर्ता कंपनी में न्यूनमत 10 प्रतिशत मालिकाना हक के मानदंड को पूरा नहीं करता.

17 अप्रैल 2017- एनसीएलटी मुंबई ने दोनों निवेश कंपनियों की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें अल्पांश शेयरधारकों के उत्पीड़न का मामला दर्ज कराने को लेकर कम-से-कम 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के प्रावधान से छूट देने का आग्रह किया गया था.

27 अप्रैल 2017- ये निवेश कंपनियां अपीलीय न्यायाधिकरण में पहुंचीं .

21 सितंबर 2017- अपीलीय न्यायाधिकरण ने दोनों निवेश कंपनियों की उत्पीड़न और कुप्रबंधन के खिलाफ मामला दायर करने के लिए न्यूनतम हिस्सेदारी के प्रावधान से छूट देने के आग्रह वाली याचिका स्वीकार कर ली. हालांकि उसने मिस्त्री की दूसरी याचिका को खारिज कर दिया, जिसे एनसीएलटी विचार करने लायक नहीं होने के आधार पर खारिज किया था. अपीलीय न्यायाधिकरण ने एनसीएलटी की मुंबई पीठ को नोटिस जारी करने और मामले में सुनवाई करने को कहा.

5 अक्टूबर 2017- निवेश कंपनियों ने दिल्ली में एनसीएलटी की प्रधान पीठ से संपर्क कर पक्षपात का हवाला देते हुए मामले को मुंबई से दिल्ली स्थानांतरित करने का आग्रह किया.

6 अक्टूबर 2017- एनसीएलटी की प्रधान पीठ ने याचिका खारिज कर दी और दोनों निवेश कंपनियों पर 10 लाख रुपये की लागत का जुर्माना थोपा.

9 जुलाई 2018: एनसीएलटी मुंबई ने मिस्त्री की याचिका खारिज की, जिसमें टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाये जाने को चुनौती दी गयी थी.

3 अगस्त 2018: दोनों निवेश कंपनियां एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण गयीं.

29 अगस्त 2018: अपीलीय न्यायाधिकरण ने साइरस मिस्त्री की याचिका सुनवाई के लिए दाखिल कर ली.

18 दिसंबर 2019: अपीलीय न्यायाधिकरण ने मिस्त्री को टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बहाल करने का आदेश दिया. मामले में अपील करने के लिये टाटा संस को चार सप्ताह का समय दिया गया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)