यह प्रोजेक्ट क्षेत्र दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन द्वारा रक्षा मंत्रालय से अधिग्रहीत की गई 3.05 हेक्टेयर भूमि का हिस्सा था. मेट्रो स्टेशन एक हेक्टेयर भूमि पर बनाया गया था और बाकी एक कंपनी को दिया गया था, जो आवासीय फ्लैट बनाने की योजना बना रही है.
नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने निर्देश दिया है कि विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन के पास बन रही 39 मंजिला निजी इमारत के निर्माण को रोका जाए और इसका पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन किया जाए.
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र, टीचर और स्टाफ इस बिल्डिंग के निर्माण का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने इस पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट और एनजीटी में याचिकाएं दायर की हैं.
डीयू के छात्रों की मांग है कि इस प्राइवेट बिल्डिंग वाले 20,000 स्क्वायर मीटर की जमीन को विश्वविद्यालय को दिया जाना चाहिए ताकि इस पर 4,000 छात्रों के लिए हॉस्टल बन सके.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीते बुधवार को पारित किए गए आदेश में एनजीटी ने कहा कि पर्यावरण कानून के ‘एहतियाती सिद्धांत’ को लागू करते हुए हम संबंधित डेटा के मूल्यांकन की आवश्यकता मानते हैं, पुराने डेटाबेस को नहीं. ये कार्य केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण मंत्रालय और आईआईटी दिल्ली के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक संयुक्त समिति द्वारा किया जाए.
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यह प्रोजेक्ट क्षेत्र दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन द्वारा रक्षा मंत्रालय से अधिग्रहीत की गई 3.05 हेक्टेयर भूमि का हिस्सा था. मेट्रो स्टेशन एक हेक्टेयर भूमि पर बनाया गया था और बाकी एक कंपनी को दिया गया था, जो आवासीय फ्लैट बनाने की योजना बना रही है.
एनजीटी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को पर्यावरणीय मंजूरी 2012 में दी गई थी, जो कि अब खत्म हो चुका है और इसमें संशोधन के लिए एक नया आवेदन दिया गया था. हालांकि राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) ने बाद में पर्यावरणीय मंजूरी को अमान्य घोषित कर दिया था.
एनजीटी ने कहा कि एसईआईएए ने बिना इस बात को ध्यान में रखते हुए संशोधन आवेदन को नए आवेदन के रूप में लिया कि जिन आंकड़ों का उल्लेख किया है उनका संबंध मौजूदा समय को लेकर है भी या नहीं.