गोरखा जनमुक्ति मोर्चा प्रमुख बिमल गुरूंग ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के तौर पर ममता बनर्जी ताकत दिखाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन मैं भी पर्वतीय क्षेत्र का मुख्यमंत्री हूं.’
दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल): पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) की ओर से शुरू की गई 12 घंटे लंबी हड़ताल को ग़ैरक़ानूनी बताते हुए कहा है कि उन लोगों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई होगी, जो इसमें हिस्सा ले रहे हैं.
इस हड़ताल ने पर्वतीय क्षेत्र में जनजीवन को शुक्रवार सुबह लगभग अस्त-व्यस्त कर दिया. अधिकतर दुकानें और बाज़ार बंद रहे. सड़कों से वाहन भी नदारद रहे.
जीजेएम सर्मथकों और पुलिस बल के बीच बृहस्पतिवार को हुई झड़प के बाद मुख्यमंत्री ने यहीं रुकने का निश्चय किया था. उन्होंने कहा, हड़ताल और बंद हर दूसरे मुद्दे के लिए नहीं किए जा सकते. यह शांति का संदेश नहीं हो सकता है. मुख्यमंत्री ने शुक्रवार सुबह क्षेत्र का मुआयना किया और हालात का जायज़ा लिया.
उन्होंने कहा, ‘मैं आज सुबह से क्षेत्र में घूम रही हूं. मैंने देखा है कि किस तरह से वाहनों में आग लगाई गई है. यहां कोई मुद्दा या घटना नहीं थी. हम पर्वतीय क्षेत्र में शांति एवं विकास चाहते हैं. सेना ने यहां अपना मोर्चा संभाल लिया है. कानून अपना काम करेगा.’
मुख्यमंत्री ने दार्जिलिंग में फंसे हुए पर्यटकों को आश्वस्त किया कि सरकार उन्हें मैदानी इलाकों में भेजने के लिए हरसंभव मदद करेगी. उन्होंने कहा कि तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एक समिति दार्जिलिंग में कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखने के लिए बनाई गई है.
उन्होंने कहा कि पर्यटकों के दार्जिलिंग से सिलिगुड़ी लौटने के लिए इंतज़ाम किए गए हैं. राज्य सरकार ने पर्यटकों को सिलिगुड़ी और कोलकाता ले जाने के लिए बसों का इंतज़ाम भी किया है. मुख्यमंत्री ने कहा, मैं पर्यटकों से कहूंगी कि चिंता न करें, सरकार आपके लिए मौजूद है. ममता ने कुछ इलाकों का दौरा भी किया.
उन्होंने कहा, मैंने देखा कि कई गाडि़यों को आग के हवाले कर दिया गया. हम यहां शांति और विकास चाहते हैं. सेना ने रूट मार्च करना शुरू भी कर दिया है.
ममता ने कहा, पुलिस अपना काम करेगी और क़ानून अपना काम करेगा. क़ानून से बढ़कर कोई नहीं है. सरकार बेहद सख़्त है. वह तोड़फोड़ करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेगी.
जीजेएम समर्थक पर्वतीय क्षेत्र के स्कूलों में बंगाली भाषा थोपे जाने सहित कई मुद्दों को लेकर विरोध कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री से जब यह पूछा गया कि राजभवन की ओर विरोध मार्च का नेतृत्व करने वाले जीजेएम प्रमुख बिमल गुरूंग के ख़िलाफ़ किस तरह की कार्रवाई करने का सरकार मन बना रही है तो इस पर उनका कहना था, पुलिस और कानून अपना काम करेंगे. कोई भी व्यक्ति क़ानून से ऊपर नहीं है. सरकार बहुत सख़्त है. सरकार उन सभी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेगी जो यह तोड़फोड़ कर रहे हैं.
सरकार ने बृहस्पतिवार रात ग़ैर ज़मानती धारा के तहत दार्जिलिंग सदर थाने में गुरूंग और जीजेएम महासचिव रोशन गिरी के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया है.
वहीं, गुरूंग ने ख़ुद को शुक्रवार को पर्वतीय क्षेत्र का मुख्यमंत्री बताया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को क्षेत्र में प्रदर्शन रोकने की चुनौती दी.
गुरूंग ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के तौर पर वह अपनी शक्ति दिखाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि मैं गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) का निर्वाचित सदस्य हूं. मैं पर्वतीय क्षेत्र का मुख्यमंत्री हूं.’
गुरूंग ने कहा कि वह सेना की तैनाती और पर्वतीय क्षेत्र में पुलिस द्वारा किए जा रहे कथित अत्याचार को लेकर सीधे केंद्र से बात करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘मैं केंद्र से बात करूंगा, हम लोग राजग के सहयोगी हैं. पहाड़ में पुलिस द्वारा निर्दोष लोगों पर किए गए अत्याचार की सारी जानकारी हम उन्हें देंगे.
सेना ने दार्जिलिंग, कैलिमपॉन्ग, कुरसेआॅन्ग में फ्लैग मार्च निकाला
हिंसा प्रभावित दार्जिलिंग शहर में हालात में शुक्रवार को सुधार दिखाई दिया और सेना ने इस शहर के साथ ही कुरसेआॅन्ग और कैलिमपॉन्ग में फ्लैग मार्च निकाला.
पश्चिम बंगाल सरकार ने दार्जिलिंग के अलावा कुरसेआॅन्ग और कैलिमपॉन्ग पहाड़ी क्षेत्रों के लिए एहतियातन सेना को बुलाया था. दार्जिलिंग में बृहस्पतिवार को बड़े स्तर पर हिंसा और तोड़फोड़ देखने को मिली.
सेना के एक प्रवक्ता ने बताया, कुल छह टुकड़ियां तैनात की गई हैं. तीन दार्जिलिंग शहर में, दो कैलिमपॉन्ग में और एक दार्जिलिंग ज़िले के कुरसेआॅन्ग में तैनात की गई है. इन जगहों पर सेना के अलावा सीआरपीएफ के तीन कॉलम को भी तैनात किया गया है.
प्रवक्ता ने कहा, सेना, सीआरपीएफ और प्रशासन एक दूसरे के साथ तालमेल से काम कर रहे हैं और हालात नियंत्रण में हैं.
जीजेएम के समर्थकों का बृहस्पतिवार को पुलिस के साथ संघर्ष हो गया था. उन्होंने पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाया और कुछ में आग भी लगा दी. इसके बाद अशांत दार्जिलिंग क्षेत्र में रात में ही सेना को बुलाया गया.
इससे पहले पहाड़ी क्षेत्रों के स्कूलों में बांग्ला भाषा को थोपने के ख़िलाफ़ जीजेएम समर्थकों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अध्यक्षता में चल रही कैबिनेट बैठक के स्थल तक मार्च का प्रयास किया जिन पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया.
बीते मई महीने में पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य भाषा बांग्ला को 10वीं तक के सभी स्कूलों में अनिवार्य कर दिया था.
फिलहाल पर्यटकों से भरा दार्जिलिंग कई महीने से शांत था. अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर यहां काफी समय पहले जीजेएम का आंदोलन चला था जो इस समय ठंडा पड़ा था लेकिन बृहस्पतिवार को नए सिरे से हिंसा उस समय भड़क गई जब बिमल गुरूंग की अगुवाई वाली पार्टी ने राजभवन तक मार्च निकालने का आह्वान किया जहां कैबिनेट बैठक चल रही थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से सहयोग के साथ)