2001 के संसद हमला मामले में दविंदर सिंह की भूमिका की जांच हो सकती है: जम्मू कश्मीर डीजीपी

जम्मू कश्मीर पुलिस की सिफारिश के बाद हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकवादियों के साथ पकड़े गए दविंदर सिंह को बहादुरी के लिए दिया गया शेर-ए-कश्मीर पुलिस पदक बुधवार को 'वापस' ले लिया गया. सिंह की सेवा से बर्खास्तगी की सिफारिश भी की गई है.

दविंदर सिंह. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू कश्मीर पुलिस की सिफारिश के बाद हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकवादियों के साथ पकड़े गए दविंदर सिंह को बहादुरी के लिए दिया गया शेर-ए-कश्मीर पुलिस पदक बुधवार को ‘वापस’ ले लिया गया. सिंह की सेवा से बर्खास्तगी की सिफारिश भी की गई है.

दविंदर सिंह. (फोटो: पीटीआई)
दविंदर सिंह. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू: उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) दविंदर सिंह के हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकवादियों के साथ पकड़े जाने के बाद जम्मू कश्मीर पुलिस ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से एक जांच की सिफारिश की है.

बता दें कि, पुलिस ने 11 जनवरी को सिंह को दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम जिले के मीर बाजार में हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकवादियों नवीद बाबा और अल्ताफ के साथ गिरफ्तार किया था. इसके अलावा एक अज्ञात वकील भी था जो आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहा था.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जम्मू कश्मीर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने बुधवार को कहा, ‘हमने पहले ही इस मामले की एनआईए जांच की सिफारिश की है क्योंकि व्यापक परिमाण की बातें सामने आ सकती हैं.’

दविंदर सिंह को निलंबित किए जाने के बीच डीजीपी ने कहा कि उन्होंने सिंह के सेवा से बर्खास्तगी की सिफारिश की थी. उन्होंने कहा कि उन्होंने यह भी सिफारिश की थी कि 2018 में जम्मू कश्मीर राज्य द्वारा दविंदर सिंह को दिए जाने वाले वीरता पदक को वापस लिया जाए.

इसके तहत सिंह को बहादुरी के लिए दिया गया शेर-ए-कश्मीर पुलिस पदक बुधवार को यह कहते हुए ‘वापस’ ले लिया गया कि निलंबित अधिकारी का कदम विश्वासघात के बराबर है और उससे बल की छवि खराब हुई है.

एक सवाल के जवाब में डीजीपी ने कहा कि वे 2001 की संसद हमले में दविंदर सिंह की कथित भूमिका की जांच के लिए भी तैयार हैं. उन्होंने कहा, ‘अगर जांच के दौरान यह मामला सामने आता है, तो इसकी जांच भी की जा सकती है.’

संसद हमले के आरोपी अफ़ज़ल गुरु ने 2004 में अपने वकील सुशील कुमार को लिखे पत्र में बताया था कि ‘उस समय हुमहमा में जम्मू कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन्स ग्रुप में तैनात ‘डीएसपी दविंदर सिंह ने उसे मोहम्मद (एक पाकिस्तानी नागरिक, संसद पर हमले को अंजाम देने वाले लोगों में से एक) को दिल्ली ले जाने, उसके लिए फ्लैट किराये पर लेने और गाड़ी खरीदने को कहा था.’

अफ़ज़ल ने एक और पुलिस अधिकारी शैंटी सिंह का नाम भी लिया था. उसके अनुसार, शैंटी सिंह ने दविंदर सिंह के साथ उसे हुमहमा एसटीएफ कैंप में कथित तौर पर प्रताड़ित किया था. अफ़ज़ल ने एक ‘अल्ताफ़ हुसैन का जिक्र भी किया था, जो बड़गाम के एसएसपी अशाक़ हुसैन (बुखारी) का बहनोई था और जिसने पहली बार उसकी रिहाई को लेकर दविंदर सिंह के साथ ‘बात की थी’ और बाद में सिंह के पास लेकर गया था.’

अफ़ज़ल गुरु संसद हमले के मामले में दोषी पाया गया था और उसे 9 फरवरी 2013 को फांसी दे दी गई थी.

यह कहते हुए कि विशेष जांच दल दविंदर सिंह की अतीत में आपराधिक कृत्यों में संभावित संलिप्तता की भी जांच करेगा डीजीपी ने कहा, “हम किसी को आश्रय देने में विश्वास नहीं करते… हम ऐसे अपराधों में शामिल किसी के प्रति कोई भी दया नहीं दिखाते हैं, चाहे वह किसी की भी रैंक या संगठन से हो .

डीजीपी ने कहा कि दविंदर सिंह की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने लगभग आधा दर्जन स्थानों पर तलाशी ली है और जांच चल रही है.