केरल के राज्यपाल और सरकार में उस वक्त से टकराव चल रहा है जब राज्य विधानसभा ने नए नागरिकता कानून को निरस्त करने के लिए पिछले महीने एक प्रस्ताव पारित किया था. राज्यपाल ने सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले की सूचना उन्हें नहीं दिए जाने को लेकर भी सरकार से अप्रसन्नता जताई थी.
तिरुवनंतपुरम: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने उन्हें सूचित किए बिना संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए माकपा नीत लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार से रिपोर्ट मांगी है. राज भवन कार्यालय ने राज्य के मुख्य सचिव से यह रिपोर्ट मांगी है.
राज भवन के एक शीर्ष सूत्र ने रविवार को कहा, ‘राज्यपाल कार्यालय ने सीएए के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख करने के सरकार के कदम के बारे में उन्हें सूचित नहीं करने को लेकर मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है.’
राज्यपाल और सरकार में उस वक्त से टकराव चल रहा है जब राज्य विधानसभा ने नये कानून को निरस्त करने के लिए पिछले महीने एक प्रस्ताव पारित किया था. खान ने सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले की सूचना उन्हें नहीं दिए जाने को लेकर भी सरकार से अप्रसन्नता जताई थी.
बता दें कि केरल सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाया था. इसके साथ ही केरल सरकार ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
नागरिकता संशोधन कानून और अन्य नियमों को चुनौती देते हुए केरल ने कहा था, ‘यह कानून अनुच्छेद 14, 21 और 25 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और यह कानून अनुचित और तर्कहीन है.’
केरल के बाद पंजाब विधानसभा में बीते शुक्रवार को सत्तारूढ़ कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया, जिसे सदन में पारित कर दिया गया. अब पंजाब सरकार केरल की तरह इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रही है.
बता दें कि, नए नागरिकता कानून के खिलाफ पहले से ही कई याचिकाएं दायर की गई हैं और केरल की याचिका में भी करीब-करीब वैसी ही दलीलें दी गईं हैं. राज्य ने कहा कि यह कानून धर्म के आधार पर भेदभाव करता है.
इस कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 2015 के पहले भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)