सुप्रीम कोर्ट का चुनावी बॉन्ड योजना पर तत्काल रोक से इनकार, केंद्र और चुनाव आयोग से मांगा जवाब

चुनावी बॉन्ड योजना को लागू करने के लिए मोदी सरकार ने साल 2017 में विभिन्न कानूनों में संशोधन किया था. इसके बाद एडीआर ने याचिका दायर कर इन संशोधनों को चुनौती दी थी.

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New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
(फोटो: पीटीआई)

चुनावी बॉन्ड योजना को लागू करने के लिए मोदी सरकार ने साल 2017 में विभिन्न कानूनों में संशोधन किया था. इसके बाद एडीआर ने याचिका दायर कर इन संशोधनों को चुनौती दी थी.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनावी बॉन्ड योजना पर तत्काल रोक लगाने से इनकार करते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की अर्जी पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.

याचिकाकर्ता एडीआर की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि इस योजना का इस्तेमाल सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के पक्ष में बेहिसाब कालेधन को भुनाने के रूप में किया जा रहा है.

भूषण ने चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगाने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के एक दस्तावेज का भी उल्लेख किया.

भूषण ने कहा कि हर चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को बड़ी रकम चंदे में मिल रही है, जिस पर अदालत को रोक लगानी चाहिए.

प्रशांत भूषण ने अदालत में कहा, ‘भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और चुनाव आयोग ने भी इसकी पुष्टि की है कि हर चुनाव से पहले सरकार चुनावी बॉन्ड की योजना शुरू कर देती है. आरबीआई और चुनाव आयोग भी केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर लिख चुका है. अब दिल्ली चुनाव से पहले भी सरकार चुनावी बॉन्ड लेकर आई है, इस पर रोक लगनी चाहिए.’

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशांत भूषण ने दलील दी कि यह योजना केवल लोकसभा चुनाव के दौरान निश्चित अवधि के लिए थी, लेकिन हर राज्य विधानसभा चुनावों के लिए इस योजना को अवैध रूप से शुरू किया जा रहा है. इससे सत्ताधारी दल को भारी धनराशि मिल रही है.

सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा लेकिन भूषण ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उस समय तक दिल्ली के चुनाव खत्म हो जाएंगे.

पीठ ने कहा कि इन मुद्दों पर पहले ही तर्क दिया जा चुका है तो भूषण ने कहा कि नए तथ्य सामने आए हैं.

चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि इन सभी दस्तावेजों को पहले ही पेश किया जा चुका है. उन्होंने इस योजना के खिलाफ एनजीओ की याचिका पर जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा.

पीठ ने कहा, ‘हम इसे देखेंगे. हम इसे दो सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करेंगे.’

मालूम हो कि चुनावी बॉन्ड योजना को लागू करने के लिए मोदी सरकार ने साल 2017 में विभिन्न कानूनों में संशोधन किया था. एडीआर ने साल 2017 में याचिका दायर कर इन्हीं संशोधनों को चुनौती दी थी.

पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान 12 अप्रैल को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया था कि वे प्राप्त चुनावी बॉन्ड की राशि और इसके दानकार्ताओं समेत सभी जानकारी सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को 30 मई तक दें.

इस सुनवाई के बाद से अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सूचीबद्ध नहीं किया.

एडीआर की याचिका में कहा गया है कि वित्त कानून 2017 और इससे पहले वित्त कानून 2016 में कुछ संशोधन किए गए थे और दोनों को वित्त विधेयक के तौर पर पारित किया गया था, जिनसे विदेशी कंपनियों से असीमित राजनीतिक चंदे के दरवाजे खुल गए और बड़े पैमाने पर चुनावी भ्रष्टाचार को वैधता प्राप्त हो गई है. साथ ही राजनीतिक चंदे में पूरी तरह अपारदर्शिता है.

सुप्रीम  कोर्ट ने कहा था कि वह कानून में किए गए बदलावों का विस्तार से परीक्षण करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि संतुलन किसी दल के पक्ष में न झुका हो.

हालांकि इस दौरान चुनाव आयोग ने भी इस योजना का विरोध करते हुए कहा था कि इसमें पारदर्शिता की कमी है.

बता दें कि हाल ही में चुनाव आयोग को दी गई ऑडिट रिपोर्ट में भाजपा ने बताया था कि वित्त वर्ष 2018-19 में पार्टी की कुल आय 2,410 करोड़ रुपये रही.

भाजपा की कुल आय का 60 फीसदी हिस्सा चुनावी बॉन्ड के जरिए इकट्ठा हुआ है. चुनावी बॉन्ड से ही भाजपा को 1,450 करोड़ रुपये की आय हुई है. वित्त वर्ष 2017-2018 में भाजपा ने चुनावी बॉन्ड से 210 करोड़ रुपये की आय होने का ऐलान किया था.